Hindi Poem: पति परमेश्वर ने एक दिन कहा हमसे कि अब तुम बहुत हसीन दिखने लगी हो,
आकर उम्र के इस पड़ाव पर अब तुम बहुत खूबसूरत दिखने लगी हो।
स्तब्ध थी मैं और अचंभित भी बहुत थी!
क्या यह अल्फाज आज उनके ही मुख से थे निकले?
जिन्होंने न की कभी तारीफ़ बीस पच्चीस की उम्र में,
क्या हुआ ऐसा, जो हाथ मेरा थाम आज ऐसा बोले!
कुछ नाराजगी से हम भी फिर उनसे ये बोले।
अब काहे की सुंदरता पति परमेश्वर जी,अब तो ढलता परवाना है।
क्या हैं हम आपके लिए,आपने आज ये जाना है?
देखो तो आप कुछ महीन रेखाएँ भी आंँखों के नीचे आ गईं।
ढल गए कितने वसंत और न जाने कितने सावन,
फिर आज क्यों आपकी जुबान पर ये बात अचानक आ गई?
उन्होंने प्यार से फिर हमें बराबर में बिठाया,
लेकर हाथों में हाथ हमारा फिर हमें ये समझाया,
युवावस्था का प्रेम और तारीफ तो सिर्फ,
महज आकर्षण ही होता है।
असली प्रेम तो मेरी सरकार इसी उम्र में होता है।
तुमने जो अब तक मेरी गृहस्थी की गाड़ी बखूबी सँभाली है।
की न कहीं कोई रुसवाई, हमेशा बिगड़ी बात बना ली है।
क्या रखा है “आई लव यू” के तीन इंग्लिश शब्दों में?
आज दिल की गहराइयों से तुमसे कहता हूँ।
तुम मेरे “दिल की धड़कन” हो तुम “मेरी जान हो”।
मेरे इस घर – उपवन की तुम ही तो पहचान हो।
सुनकर यह सब हम थोड़ा सा शरमाए,
पर वो थे कि जनाब इससे आगे भी कुछ यूंँ फरमाए…
संतोष और अनुभव का दर्पण सा, जो तुम्हारे चेहरे पर दिखता है।
सच्चे मायनों में तो अब ही तुम्हारा रूप सोने सा खिलता है।
आओ इस प्रेम की अमरबेल में अनुभव के भी कुछ मोती पिरों लें।
जो न कह सके अधरों से अब तक एक-दूसरे से,
आज एक दूजे के दिल गहराइयों में उतर कर चलो दिल की गहराइयों को छू लें।
