दाल बिना भारतीयों को अपना भोजन अधूरा ही लगता है। शिशु के जन्म के छह महीने बाद से ही जब वह दूध के अलावा सॉलिड फूड लेता है तो सबसे पहले उसे दाल का पानी ही दिया जाता है। यानी कि दाल हमारे आहार में हमेशा से शामिल रहा है जिसका मुख्य कारण है इसमें मौजूद पौष्टिक तत्वों की भरमार। दाल में सबसे ज्यादा प्रोटीन होता है जिससे शरीर को ऊर्जा मिलती है। शाकाहारी लोगों के लिए ये प्रोटीन का सबसे अच्छा माध्यम है। यही नहीं इसमें विटामिन और मिनरल्स के साथ-साथ मैग्नीशियम, जिंक, फोलेट, आयरन भी होते हैं जो कि सेहत के लिहाज से इसे जरूरी आहार बनाते हैं। दालें बहुत प्रकार की होती हैं जिसमें तुअर की दाल, चने की दाल, मूंग की दाल, मसूर की दाल और उड़द की दाल शामिल है। इनके स्वास्थ्य लाभों के बारे में जानना बेहद जरूरी है।
तुअर दाल या अरहर दाल
तुअर दाल कार्बोहाइड्रेट का एक शानदार स्रोत है। यह दाल न केवल आपके भोजन का स्वाद बढ़ाती है बल्कि सभी प्रकार के पोषक तत्व भी प्रदान करती है। तुअर दाल भारत का मुख्य भोजन है और चावल और रोटी के साथ लगभग सभी भारतीय घरों में रोजाना खाया जाता है। यह दाल न केवल स्वादिष्ट है, बल्कि इसके कई स्वास्थ्य लाभ भी हैं।

फायदे :
- तुअर दाल में बहुत अच्छी मात्रा में फाइबर होता है जो कब्ज जैसी समस्या को रोकने में मदद करता है। तुअल दाल के सेवन से गंभीर बीमारियों का खतरा भी कम हो जाता है।
- तुअर दाल कार्बोहाइड्रेट का एक बहुत अच्छा स्रोत है जिसकी वजह से हमारे शरीर को ऊर्जा मिलती है।
- कार्बोहाइड्रेट के अलावा तुअर दाल में प्रोटीन, फाइबर और वसा भी होते हैं जो शरीर के लिए आवश्यक होते हैं।
- तुअर दाल में मौजूद कॉम्प्लेक्स डाइटरी फाइबर की वजह से शरीर का मल त्याग नियमित होता है।
- तुअर दाल कोलेस्ट्रॉल मुक्त और आहार फाइबर में उच्च हैं। इसकी वजह से हृदय का स्वास्थ्य ठीक रखने में मदद मिलती है।
- गैस्ट्रिक परेशानियों, पेट दर्द और विषाक्तता के प्रभावों को ठीक करने के लिए तुअर दाल बड़े काम की है।
- तुअर दाल में पोटैशियम की मौजूदगी ब्लड प्रेशर को सामान्य बनाए रखने में मदद करती है।
- दाल में मौजूद प्रोटीन मांसपेशियों, हड्डियों, कोशिकाओं और ऊतकों के निर्माण में मदद करता है।
- गर्भवती महिलाओं के लिए तुअर की दाल बहुत जरूरी है क्योंकि यह फोलेट की कमी, खून की कमी का कारण बन सकती है। इससे गर्भ में पल रहा बच्चा भी प्रभावित हो सकता है। तुअर की दाल खाने में ज्यादा मात्रा में विटामिन मिलता है और इस समस्या से बचा जा सकता है।
- शरीर की सूजन को जल्दी ठीक करने के लिए तुअर की दाल गुणकारी होती है।
- तुअर की दाल में कैलोरी की मात्रा बहुत कम होती है जो कि वजन नियंत्रित करने का लक्ष्य लेकर चल रहे लोगों के लिए फायदेमंद है।
नुकसान:
तुअर दाल को नियमित रूप से खाना फायदेमंद होता है, लेकिन सामान्य से ज्यादा सेवन करने पर पेट संबंधी समस्याएं हो सकती है।
मूंग की दाल
मूंग की दाल को हरी दाल भी कहा जाता है। इसमें पोटैशियम और आयरन बहुत ज्यादा होता है। शाकाहारियों के लिए मूंग दाल प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत है। आप विभिन्न दालों का संयोजन तैयार कर सकते हैं। मूंग दाल का उपयोग इडली, चीला, नमकीन और स्वास्थ्यवर्धक विकल्प स्प्राउट्स को तैयार करने के लिए भी किया जा सकता है।
फायदे
- मूंग दाल को अपने आहार में शामिल करना कोलेस्ट्रॉल के स्तर के लिए अच्छा है। खराब कोलेस्ट्रॉल आपके स्वास्थ्य को विभिन्न तरीकों से प्रभावित कर सकता है और आपको कई बीमारियों के खतरे में डाल सकता है। यह फाइबर और एंटीऑक्सिडेंट में समृद्ध है जो बेहतर कोलेस्ट्रॉल के स्तर में योगदान कर सकते हैं।
- मूंग दाल उन लोगों के लिए फायदेमंद है जिन्हें पाचन की समस्या है। यह गैस की समस्या और सूजन को रोकने में मदद करती है।
- मूंग दाल में पोटैशियम होता है जो हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में बेहद मददगार होता है। हाई फाइबर कंटेंट भी नियंत्रित ब्लड प्रेशर में मदद करती है।
- हरी मूंग दाल हाई फाइबर के रूप में जटिल कार्बोहाइड्रेट से भरी हुई है, जो पाचन में सहायता करता है। जटिल कार्ब्स भी ब्लड शुगर को स्थिर करते हैं और भोजन के बाद अचानक वृद्धि को नियंत्रित करते हैं, जबकि शरीर की ऊर्जा को संतुलित स्तर पर रखते हैं। हाई ब्लड शुगर लेवल वाले लोगों के लिए हरी मूंग अत्यधिक फायदेमंद हो सकती है।
- मूंग में विटामिन बी -1, विटामिन सी और विटामिन बी -6 होते हैं। विटामिन-बी 6 से भरपूर आहारों का नियमित सेवन संक्रामक एजेंटों के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने में मदद करता है जो बीमारियों का कारण बनते हैं। इसमें कैंसर रोधी गुण भी हैं।
- आयरन लाल रक्त कोशिकाओं के उचित उत्पादन में मदद करता है। यह, बदले में, एनीमिया को रोकता है और शरीर में ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करता है। सही ब्लड सर्कुलेशन शरीर के विभिन्न अंगों और कोशिकाओं को ऑक्सीजन की आपूर्ति करने में मदद करता है।
- बुखार, पेट दर्द या दस्त की समस्या होने पर बड़ों के साथ-साथ बच्चों को भी मूंग दाल दी जा सकती है।
- मूंग दाल में मौजूद विटामिन सी रेटिना को सही रखता है। इसलिए मूंग दाल आंखों की सेहत के लिए फायदेमंद है।
- गर्भावस्था में गैस, जलन की शिकायतों को दूर करने के लिए मूंग दाल का सेवन करना चाहिए।
- मूंग दाल का सेवन करने से शरीर विषाक्त पदार्थों से मुक्त हो सकता है।
- इस दाल में विटेक्सिन और आइसोविटेक्स नामक घटक पाए जाते हैं, जिनमें एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव मौजूद होता है। यह गुण लू लगने के जोखिम को कम करता है।
नुकसान:
मूंग दाल को संतुलित मात्रा में लें। इसका ज्यादा सेवन लो शुगर की समस्या वालों के लिए नुकसानदायकहो सकता है। इसमें मौजूद एंटीडायबिटिक गुण रक्त में मौजूद शुगर के स्तर को कम कर सकता है। मूंग दाल में एंटीहाइपरटेंसिव गुण होता है। इसलिए किसी का ब्लड प्रेशर पहले से कम है, तो ऐसी स्थिति में इस दाल का सेवन करने पर समस्या बढ़ सकती है।
उड़द की दाल

उड़द दाल एशिया के दक्षिणी भाग में इस्तेमाल होने वाली प्रसिद्ध दाल है, विशेष रूप से भारतीय व्यंजनों में। उड़द दाल साबुत, छिलका लगी हुई दाल या बिना छिलके के उपलब्ध होती है। प्रोटीन, वसा और कार्बोहाइड्रेट से भरपूर, उड़द की दाल कई स्वास्थ्य लाभों देती हैं। उड़द दाल प्रोटीन और विटामिन बी के सबसे समृद्ध स्रोतों में से एक है और महिलाओं के लिए भी फायदेमंद है।
फायदे
- यह दाल आयरन, फोलिक एसिड, कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटैशियम से भरी होती है, जो गर्भवती महिलाओं के लिए इस दाल को बेहद फायदेमंद बनाती है। उड़द की दाल बनाना आसान है और इसे साइड डिश के रूप में भी खाया जा सकता है। डोसा, पापड़ और वड़ा जैसे विभिन्न पकवानों की तैयारियों में भी इसका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है।
- उड़द की दाल में घुलनशील और अघुलनशील दोनों प्रकार के फाइबर होते हैं, जो हमारे पाचन में सुधार के लिए जाना जाता है।
- उड़द की दाल में उच्च मात्रा में फाइबर, मैग्नीशियम और पोटेशियम होते हैं, जो हमारे दिल के स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं। यह कोलेस्ट्रॉल स्तर को बनाए रखने का काम करता है।
- उड़द दाल में मौजूद आयरन शरीर में ऊर्जा के स्तर को बढ़ाने का काम करता है। यह उन गर्भवती महिलाओं के लिए आवश्यक है जिन्हें आयरन की कमी की अधिक संभावना है।
- नियमित रूप से उड़द की दाल का सेवन करने से आपको हड्डी से संबंधित समस्याओं को रोकने में मदद मिलेगी और आपकी हड्डियों की सेहत बनी रहेगी।
- उड़द की दाल हमारे तंत्रिका तंत्र को मजबूत करती है और हमारे मस्तिष्क को स्वस्थ बनाती है। यह तंत्रिका संबंधी दुर्बलता, आंशिक पक्षाघात, चेहरे का पक्षाघात और अन्य विकारों को ठीक करने के लिए विभिन्न आयुर्वेदिक दवाओं में उपयोग किया जाता है।
- यह आपके शुगर और ग्लूकोज के स्तर को बनाए रखने में मदद करता है, जिससे आपकी डायबिटी का प्रबंधन आसान होता है।
- आयुर्वेदिक उपचार में लगभग हर तरह की त्वचा की समस्या में उड़द दाल का इस्तेमाल काढ़े और पेस्ट के रूप में किया जाता है।
नुकसान:
उन लोगों को उड़द दाल का सेवन करने से पहले चिकित्सक की सलाह लेना चाहिए जो कि गुर्दे या पित्त की पथरी से जूझ रहे हैं क्योंकि इसके सेवन से यूरिक एसिड का लेवल बढ़ सकता है। इसका दुष्प्रभाव यह होता है कि गुर्दे में कैल्सीफिकेशन स्टोन्स को उत्तेजित कर सकती है।
मसूर की दाल

एक कप मसूर दाल में 230 कैलोरी, लगभग 15 ग्राम डाइटरी फाइबर और लगभग 17 ग्राम प्रोटीन होता है। मसूर दाल का एक कटोरा संपूर्ण भोजन की पोषण और आहार संबंधी आवश्यकताओं को पूरा कर सकता है। जब यह इसकी प्रिपरेशन की बात आती है, तो यह काफी आसान है और सभी दालों के बीच सबसे स्वादिष्ट इसलिए भी है क्योंकि इसमें थोड़ी सी मिठास होती है। इस दाल को भिगोने या पकाने के लिए ज्यादा समय की जरूरत नहीं होती है।
फायदे
- मसूर दाल विटामिन और कैल्शियम और मैग्नीशियम जैसे अन्य पोषक तत्वों का एक समृद्ध स्रोत है, जो स्वस्थ दांत और हड्डियों को बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं।
- रोजाना एक कप मसूर दाल का सेवन आपको आंखों के दोष और विकारों जैसे मोतियाबिंद और म्यूकस डिजनरेशन से बचा सकती है।
- मसूर की दाल के फायदे में से एक बढ़ते वजन को नियंत्रित करना है, क्योंकि इसमें फाइबर और प्रोटीन की अधिक मात्रा पाई जाती है। ये भूख को तुरंत शांत कर सकते हैं और वजन बढ़ने की समस्या को रोक सकते हैं।
- मसूर दाल में मौजूद पेप्टाइड्स इम्यूनिटी को बढ़ाने में सहायक हो सकते हैं।
- अध्ययनों के मुताबिक मसूर की दाल का सेवन करने से पेट, थायराइड, लिवर, स्तन और प्रोस्टेट सहित कई प्रकार के कैंसर का जोखिम कम हो सकता है।
नुकसान
वैसे तो मसूल की दाल का कोई खास नुकसान नहीं है लेकिन मसूर दाल के अत्यधिक सेवन से गुर्दे की बीमारियां, पोटेशियम टॉक्सिसिटी से गैस और एमिनो एसिड के बड़े अनुपात के दुष्प्रभाव हो सकते हैं। यह कुछ लोगों में एलर्जी की प्रतिक्रिया का कारण भी हो सकता है।
चने की दाल

चने की दाल को काले चने से तैयार किया जाता है। काले चनों को दो टुकड़ों मे कर उसे पॉलिश करने पर यह दाल बनती है। चने की दाल को अक्सर लौकी या कद्दू डाल कर बनाया जाता है। इसके साथ चावल खाने का अपना ही मजा होता है। पूरन पोली बनाने के लिए भी इस दाल का इस्तेमाल किया जाता है। दाल से बने बेसन से हजारों तरह की डिशेज बनती है जिसमें लड्डू, पकोड़े अत्यधिक प्रसिद्ध है|
फायदे
- चना दाल में फोलिक एसिड, फोलेट्स से भरपूर होता है। स्ट्रोक, डिप्रेशन, डेमेन्शिया जैसे रोगों की रोकथाम में फोलेट आवश्यक है।
- इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम और डिवर्टीकुलोसिस जैसे पाचन संबंधी विकारों से निपटने के लिए चने की दाल लाभकारी होती है।
- चना दाल भी तृप्ति की भावनाओं को बढ़ाती है। जब आप तेजी से तृप्त हो जाते है, तो आप कम कैलोरी का उपभोग करते हैं।
- चने की दाल में ट्रपिटोपान नाम का एमिन एसिड होता है, जो शरीर को सेरोटोनिन उत्पादन में मदद करता है, इससे नींद नियंत्रित होती है और मूड को सुधारता है।
- चने की दाल में मौजूद पोटैशियम ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद करता है।
- कोलेस्ट्रोल के स्तर को कम करने में मदद करता है जिससे दिल की बीमारियों का जोखिम कम होता है।
- चने की दाल कोलेस्ट्रोल के स्तर को कम करने के साथ ब्लड शुगर को भी नियंत्रित करती है क्योंकि इसमें हाई फाइबर होता है।
- चने की दाल कब्ज जैसी समस्याओं से छुटकारा दिलाने में मदद करती है।
- सौंदर्य बढ़ाने के लिए चने की दाल का बेसन त्वचा पर लगाना लाभदायक होता है।
- चने की दाल का सेवन पीलिया होने पर करने से जल्दी रिकवरी होती है।
नुकसान
दाल को बनाकर तुरंत उपयोग करना चाहिए, इसे बासी नहीं खाना चाहिए। साथ ही अत्यधिक मात्रा में सेवन करने से गैस की समस्या हो सकती है।
