Hindi Kahani: आप जहां देखे वहां चमचे नजर आएंगे घर में, ऑफिस में, मॉल में, शहर में, गांव में, गली में, नुक्कड़ पे, किचन में, ड्राइंग रूम में, राजनीति में, इतिहास में, धरती के हर कोने में चमचे विद्यमान हैं।
हम हिंदुस्तानियों को दो चीजें काफी पसंद है। एक चाय और दूसरा चमचे। चाय तो अंग्रेजों की देन है लेकिन हम लोगों ने उसे बहुत ही प्रेम से अपने जीवन में आत्मसात कर लिया। लेकिन चमचे देसी उपज है देसी पैदावार है। खालिस हिंदुस्तानी उपज इसलिए चाय से ज्यादा चमचे हम लोगों को पसंद है। हमारा चमचा प्रेम एकदम अव्वल दर्जे का है। हम हिंदुस्तानियों का चमचा प्रेम इतना है जितना लैला को मजनू से, हीर को रांझा से और सोनी को महिवाल से भी नहीं रहा होगा। इन सभी का प्यार किसी न किसी कालखंड तक ही सीमित रहा लेकिन हमारा चमचा प्रेम युगो युगांतर और जन्म-जन्मांतर से है।
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दुनिया की हर एक चीज से ऊपर सबसे ज्यादा हम लोगों को अपने चमचों से प्रेम है। हम एकबारगी बिना ऑक्सीजन के जिंदा रह सकते हैं। बिना पानी के जिंदा रह सकते हैं बिना भोजन के जिंदा रह सकते हैं। पर चमचों के बिना जिंदा रहना हिंदुस्तानियों का असंभव है। चमचे हमारी रक्त वाहिनियों में निर्बाध रूप से जीवन संजीवनी बनकर विचरण करते रहते हैं। चमचे भी सोचते होंगे वाह ईश्वर किस ग्रह पर भेज दिए हो और अपने भाग्य पर इठलाकर भांगड़ा करते होंगे। हम हिंदुस्तानी इतने बड़े चमचों के कद्रदान हैं कि चमचों को अपने भाग्य पर इतराना तो बनता है, हमारी कद्रदानी देखनी हो तो कोई सूक्ष्म दृष्टि की आवश्यकता नहीं है बस चारों तरफ एक बार हल्का-सा नजर मार लीजिए आपको चमचा प्रेम का वृहद विस्तृत संसार नजर आएगा।
आप जहां देखे वहां चमचे नजर आएंगे घर में, ऑफिस में, मॉल में, शहर में, गांव में, गली में, नुक्कड़ पे, किचन में, ड्राइंग रूम में, राजनीति में, इतिहास में, धरती के हर कोने में चमचे विद्यमान हैं। चमचे वर्तमान में भी हैं, चमचे भूत में भी थे और चमचे भविष्य में भी रहेंगे। इनका भविष्य आज भी हमारे देश में पूर्णत: उज्जवल है और कल भी इनका भविष्य उज्जवल ही रहने की संभावना है, इसमें कोई शक सुबहा नहीं है। अगर आपको चमचों पर भरोसा नहीं है तो आप जीवन में बहुत कुछ बड़ा नहीं कर सकते। बड़ा करने के लिए चमचा बहुत जरूरी वस्तु है। सारे बड़े कार्य चमचों के द्वारा ही सिद्ध किए जाते हैं।
सावन में जिस प्रकार पानी बिना सब सूना रहता है। वैसे ही भारतीयों का जीवन चमचों के बिना सूना रहता है। चमचे हैं तो हर तरफ मंगल ही मंगलमय है। हमारे देश में चमके तो भोजन का वह नमक है जिनके बिना कितना भी मजेदार सजा-धजा हुआ थाली का खाना जिंदगी में कुछ मजा नहीं देता बल्कि बेमजा बेस्वादु दिन रतिया सजना वाला हो जाता है। तो जिंदगी का असली स्वाद चमचे ही हैं। चाहे आप अपना सर कितना भी दाएं बाएं हिलाते रहिए। लेकिन उनका ना कुछ भी होना या बिगड़ना है उनकी सीट पूरी तरह से आरक्षित है।
इस धरती पर चमचों से ज्यादा उपयोगी वस्तु ना कोई हुई है ना होने की संभावना है। सभी प्रकार के चमचे उपयोगी होते हैं। सुंदर, ढंग के, बेढ़ंगे, टूटे-फूटे, आड़े-तिरछे सभी प्रकार के चमचों की अपनी-अपनी अहमियत होती है। अब यह आपकी कला के ऊपर है कि आप अपने चमचों का कैसे इस्तेमाल करते हैं। कितना भी चमचा टूट जाए लेकिन नमक के बरनी में से नमक निकालने के काम तो आ ही जाता है। अत: आप भी यदि चमचा बनना चाहते हैं तो जल्दी करिए कहीं ऐसा ना हो, बीत न जाए उमरिया तब का होगा सांवरिया, अर्थात कुछ नहीं हो पाएगा।
