Exam Preparation Tips: जनवरी अब खत्म होने की कगार पर है। वहीं कुछ पेरेंट्स के लिए अब टेंशन का मीटर ऑन हो चुका है। वजह है परीक्षाओं का आना। कुछ बच्चे तो परीक्षा को लेकर गंभीर होते हैं उन्हें पढ़ने के लिए कहना नहीं पड़ता वो अपने आप ही अपना शेड्यल बनाकर पढ़ने में लगे रहते हैं। लेकिन कुछ बच्चे पढ़ने को लेकर थोड़े कम गंभीर होते हैं और बहुत कुछ परीक्षा के शुरुआती दिनों के लिए बचाकर रखते हैं। अगर आप भी ऐसे ही बच्चों के पेरेंट्स हैं तो जाहिर है इस समय उनसे ज्यादा टेंशन आपको होगी। लेकिन आप इस बात को बहुत अच्छे से जानते हैं कि उनको टेंशन नहीं देनी बल्कि उन्हें पढ़ने के लिए मोटिवेट करना है। बस हम आपको यहां कुछ टिप्स दे रहे हैं जो कि आपके काम आने वाले हैं
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अपना इंवॉल्वमेंट बनाएं

इन बच्चों का मन लगाने के लिए आपको उनके साथ पढ़ाई में मन लगवाना होगा। उनका कोर्स कितना बच गया है, वो किस तरह से अब अपनी कोर्स को पूरा कर सकते हैं यह सभी चीजें आप उनके साथ करवाएं। यह हिसाब- किताब करने में आपको पूरा एक दिन लग जाएगा लेकिन कहीं न कहीं इससे आपकी बैचेनी भी बहुत हद तक कम होगी। लेकिन हां आपको इसके बावजूद भी रेगुलर अपडेट रखनी होगी।
नेगेटिव कमेंट न करें
बच्चे-बच्चे होते हैं आपको इस बात को समझना होगा कि बहुत से बच्चे पढ़ना नहीं चाहते। लेकिन यह भी बात सच है कि उनका मन लगवाना पड़ता है। लेकिन जब आप नेगेटिव कमेंट बाजी करते हैं तो वह बच्चे को इरिटेट करने के अलावा कुछ और नहीं करती। हो या तुमसे तो, तुम्हरे बस की नहीं है। सारे दोस्त आगे बढ़ जाएंगे तुम रह जाना फालतू, कितनी ही बार मां-बाप अपने बच्चों को यह बातें बोलते हैं। ऐसा न करें। उनका साथ दें। उन्हें कहें कि मुझे मालूम है कि तुम मैनेज कर लोगे। तुम बस पढ़ने बैठते नहीं हो लेकिन देखो तुम्हारी कैचिंग पावर बहुत अच्छी है। बैठते हो तो बस सभी कुछ चुटकी में कर लेते हो।
अपनी कहानी नहीं

हम सभी के साथ यह मसला है कि हम अपनी पुरानी कहानी बहुत ही संघर्षपूर्ण अंदाज में बताना पसंद करते हैं। जैसे कि तुम्हे पढ़ने के लिए अलग कमरा दे रखा है। हमारे पास पढ़ने के लिए अलग कमरा नहीं था। हमारे पेरेंट्स के पास ट्यूशन के पैसे नहीं थे हम अपने आप पढ़ते थे तुम्हें देखो कितनी सुविधाएं दे रखी हैं। आप इस बात को जान लें कि आपका समय और आपके बच्चे का समय और स्थिति अलग है। आप जिस समय से आते हैं वहां कमोबेश सभी की स्थिति ऐसी ही थी। वहीं आज आपके बच्चे जिस तरह से पल रहे हैं वैसे ही उनके आस-पास के बच्चों की भी है। बजाए इसके आप अपनी कमियां बताएं जैसे कि कह सकते हैं कि मुझे भी पढ़ना अच्छा नहीं लगता था। लेकिन पढ़ना पड़ता था। तुम भी पढ़ लो यह जरुरी होता है।
उन्हें रिवॉर्ड दें
हर किसी को एप्रिसिएशन और रिवॉर्ड अच्छा लगता है। बच्चे जब आपके कहे अनुसार पढ़ाई करें तो उन्हें रिवॉर्ड दे। अगर आप उनकी खुलकर बुराई करते हैं तो उस दिन उनकी खुलकर अच्छाई करें। यह रिवॉर्ड उन्हें पॉजिटिव और मोटिवेटेड रखने में मदद करेगा।
