आइए चलें घर को बना देते हैं एग्जाम फ्रेंडली: Exam Friendly Home
Exam Friendly Home

Exam Friendly Home: इस समय जिस भी घर में बच्चे हैं वहां एक ही चीज चल रही है एग्जाम। हम सभी कहीं न कहीं यह चाहते हैं कि हमारे बच्चे अपने एग्जाम में बेहतर से बेहतरीन परफॉर्म करें। इसके लिए जरूरी हैं घर में कोई भी ऐसी एक्टिविटी न हो जो बच्चों की पढ़ाई को डिस्टर्ब करे। अगर आप भी चाहते हैं एग्जाम पीरियड में आपका बच्चा पढ़ाई पर पूरा ध्यान दें, उसके लिए क्यों ना घर के माहौल को ही एग्जाम के हिसाब से ढाल लिया जाए। चलिए हम और आप मिलकर समझते हैं कि बच्चों के लिए हम क्या कर सकते हैं।

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एग्जाम एक ऐसा नाम है जो कुछ बच्चों को बहुत डराता है। ऐसा नहीं है कि वो बच्चे जिन्हें कुछ नहीं आता वो घबरा रहे होते हैं। यह घबराहट कुछ बच्चों में स्वाभाविक है। लेकिन इस घ्बराहट को हम थोड़ा मैनेज कर लाइट कर सकते हैं। बहुत से घरों में एग्जाम टाइम में कफ्र्यू जैसे माहौल हो जाते हैं। याद रखें कि बच्चे को बोझिल नहीं हेल्दी पीसफुल माहौल देना है।

Exam Friendly Home: माहौल को हल्का रखें

सबसे हम बात तो यह जान लें कि हमें घर के माहौल को लाइट रखना हैं। परिवार के सदस्य आपस में कोई तकरार न करें। चाहे जॉइंट फैमिली हो या न्यूक्लियर। कोशिश करें कि इस समय में आपस में प्रेम बनाकर रखें। अगर बड़े लोग आपस में एक दूसरे से झगड़ते हैं तो इसका बच्चे के जेहन पर इसका बुरा असर होता है। इसलिए आपस में थोड़ा प्रेम बनाकर रखें।

उन्हें थोड़ा पैम्पर करें

वैसे तो हर मां-बाप के लिए उनके बच्चे उनकी पूरी दुनिया होते हैं। हां लेकिन इस समय वो चूंकि ज्यादा मेहन कर रहे हैं तो थोड़ा लाड-प्यार करने की और पैम्पर होने की थोड़ी सी ज्यादा जरुरत है। अगर आप लोग वर्किंग हैं तो जब भी ऑफिस से लौट रहे हों उन्हें फोनकर पूछ सकते हैं कि उन्हें क्या कुछ अच्छा खाने का मन कर रहा है। बच्चे का मन तो बहुत कोमल होता है। वह अपनी इस छोटी-सी इम्पोर्टेंस से ही ऊर्जा से भर उठेंगे।

नेगेटिव कमेंट न करें

Exam Stress Relief
Don’t Comment Negative Word

ऐसा बहुत सारे बच्चों के साथ होता है कि साल भर नहीं पढ़ते लेकिन लास्ट मोमेंट पर वह पढ़ते हैं। इस वजह से उन्हें मेहतन भी डबल करनी होता है और वह घबरा भी जाते हैं। ऐसे में उन्हें आपके उलहानों की नहीं आपके साथ की जरुरत है। बच्चे से कोई भी नेगेटिव बात न कहें जैसे कि अब घबराने से क्या होगा? साल भर पढ़ रहे होते तो यह नौबत तो न आती? पहले तो किताबें याद न आईं? आप खुद यह सोचें कि इन बातों को करके क्या होगा। क्या पुराना समय लौट आएगा या पूरा कोर्स याद हो जाएगा। नहीं न तो फिर क्यों न कुछ ऐसा करें जो कि प्रोडक्टिव हो जैसे कि कह सकते हैं कि कोई बात नहीं मुझे मालूम है तुम कर लोगे, तुम्हारा दिमाग बहुत अच्छा है तुम झट से याद कर लेते हो।

उसके कमरे में कुछ समय बिताएं

एग्जाम टाइम पर माहौल देखकर बच्चे से बात करें, अगर वह बहुत टेंशन में लग रहा है तो अपने किस्से उसे सुना सकते हैं कि आपने इस एग्जाम को कैसे डील किया था। वहीं अगर आपको लग रहा है कि वह फोकस्ड नहीं है तो उसे थोड़ा स्मार्टडली टेकल करें। आपका थोड़ा सा समय उसे आपके और करीब ले आएगा। हां उपदेश वाली टोन न इस्तेमाल करें। बच्चा आपसे इरिटेट होने लगेगा।

पार्टीज को करें कैंसल

एग्जाम टाइम पर जरूरी हैं पार्टीज को अवॉयड करना। ऐसे वक़्त पर अगर आप पार्टीज में चले जाते हैं तो हो सकता है बच्चा पढ़ाई में ध्यान न दे। इसलिए एग्जाम टाइम पर पैरंट्स का पार्टीज को अवॉयड करना बेहद जरूरी है। क्योंकि पार्टी के नाम पर बच्चों का मन विचलित हो जाता है। पार्टी करने का मन तो सबसे ज्यादा बच्चे का ही करता है।

रिश्तेदारों को न बुलाएं

Exam Tips
Don’t invite relatives

शहरों में आजकल यह चलन है कि लोग अब पूछकर ही घर आते हैं। आप भी इस चीज का ध्यान रखें कि बातों -बातों में ही सही आप अपने अपनों को इस समय आने के लिए मना कर सकती हैं। आखिर वह आपके अपने हैं इस बात को समझेंगे। जिस दिन भी आपके बच्चे के एग्जाम खत्म हो रहे हैं उसके बाद के प्रोग्राम पहले से फिक्स कर लें। न वह बुरा मानेंगे और न ही बच्चे डिस्टर्ब होंगे।

तुलना न करें प्लीज

अगर आपके दो बच्चे हैं और एक बच्चा पढ़ाई में औसत और एक अच्छा है तो तुलाना इस समय तो बिल्कुल भी न करें। हमें अंदाजा नहीं होता कि हमारे यह छोटे-छोटे वाक्य बच्चे को कितना दुख पहुंचाते हैं। हर बात बच्चा इंटेलीजेंट नहीं हो सकता। हर बच्चा टॉप नहीं कर सकता। इस बात को अपने जेहन में बहुत अच्छे से बिठा लें। बच्चे को इस बात का अहसास दिलाएं कि तुमने जो पढ़ा है वह सही है। एग्जाम हॉल में कितना आता है यह इम्पोर्टेन्ट नहीं होता हम कैसे उसे लिख पाते हैं यह जरुरी है।

आवाज कम

हम अक्सर बच्चों को टीवी की आवाज कम करने की सलाह देते हैं। इस समय आप भी खुद पर यह चीज अपना लें। अगर स्पीकर कुछ सुनने का शौक है तो प्लीट उसे हैडफोन पर ले आएं। मोबाइल पर भी ऊंची आवाज में बात न करें। कई बार बच्चे हमारे इस शोरगुल से डिस्टर्ब होते हैं।

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