Food Safety Rules: संतुलित खाद्य पदार्थों को अपने भोजन में शामिल करने के साथ-साथ उन्हें सुरक्षित रखना भी बेहद जरूरी है। इसलिए यहां हम आपको बता रहेे हैं अपने भोजन को सुरक्षित रखने के टिप्स।
आज का युग चमक और रोशनी का है, पर खाने-पीने की चीजों में कोई समझौता नहीं, क्योंकि जैसे हर चमकती वस्तु सोना नहीं होती, उसी तरह हर चमकदार, साफ और सुंदर दिखने वाला भोज्य पदार्थ चाहे फल हो या सब्जी सुरक्षित नहीं होती है।
Also read : भुने हुए लहसुन खाने से सेहत को होंगे ये फायदे: Roasted Garlic Benefits
हां, खरीददारी करते समय आप यह अवश्य जान सकते हैं कि यह वस्तु/चीज वास्तव में हमारे लिए सुरक्षित है या मात्र दिखावा है। वस्तु पर छपी तिथि, समय, प्रयोग से वस्तु की योग्यता का पता चल सकता है। सुरक्षित वस्तु में ज्यादा दाम खर्च करना घाटे का सौदा नहीं है, क्योंकि यह सेहत का सवाल है न कि मौज-मस्ती का।
पहले तो आप खरीदारी के समय सावधानी रखें कि कहीं खरीदे जाने वाले पैकेट फूले हुए या चिपके हुए तो नहीं हैं। ऐसे में डिब्बा बंद पैकेटों में सुराख होने की संभावना होती है, जिसमें जीवाणु घुस कर खाद्य पदार्थ को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
अगर पैकेट फूले हैं तो इसका अर्थ है कि खाद्य सामग्री खराब है, जिसका कारण उन्हें सही तापमान में न रखना है। मगर ऐसा सभी जगह मान्य नहीं है, क्योंकि बाजार में उपस्थित चिप्स के पैकेट सुरक्षित होते हैं।
जब भी दूध या दूध से बनी वस्तुएं डेयरी या बाजार से खरीदें तो अच्छी तरह से परख लें कि वे सही और सुरक्षित हैं तथा सही तापमान में रखे हुए हैं। उनके रूप और महक से भी आप अंदाज लगा सकते हैं।
अगर पैकेट बंद सामग्री खरीदते समय आपको पैकेट के ऊपर बर्फ के ढेले बने नजर आएं तो यह समझने में देर न करें कि यह सामग्री दोबारा फ्रिजर में रखी गई है। इस तरह की प्रक्रिया से पैकेट में उपस्थित सामग्री की गुणवत्ता में कमी आती है।
पैकेट कटे-फटे या सीलबंद सही तरीके से न हों तो बिल्कुल न खरीदें, ऐसा न करने से आप के स्वास्थ्य को हानि हो सकती है।
डिब्बा बंद वस्तुओं की विशेष तौर पर पैकिंग डेट और एक्सपायरी डेट का जरूर ध्यान रखें। डेट खत्म होने वाले पदार्थों को खरीदने से परहेज करें।
सही तरह से देख-भाल के खाद्य पदार्थों की जांच-परख करें, क्योंकि ऐसी चीजों में फफूंद लगने की संभावना ज्यादा होती है।
सफेद पन्नी में पैक सामग्री में लगी हरे रंग की फफूंद को आसानी से देखा जा सकता है।
बेक्री के सामान में फफूंद को आप आसानी से नहीं देख सकते, ऐसी स्थिति में आप उसे तोड़ कर किनारे परख कर, उनके रंग और महक से पता लगा सकते हैं।
उत्पादन खरीदते समय उसकी पहचान जरूर देखें कि वह मांसाहारी है या शाकाहारी।
पैकेट में उत्पादक कंपनी का नाम, पता अवश्य देखें।
उन्हीं वस्तुओं को खरीदें जिन पर उनके सही भंडारण का तरीका और उपयोग में लाई गई सामग्री भार के अनुसार ज्यादा से कम के क्रम में लिखी हो।
याद रखें कि बढ़ा-चढ़ा कर दी गई जानकारी को अच्छी तरह परखें।
जल्द खराब होने वाली चीजों को सीमित मात्रा में ही खरीदें। ज्यादा मात्रा में लेने से उनके बर्बाद होने की संभावना ज्यादा होती है।
खरीदने के बाद ध्यान रखें कि अगर फ्रिजर में रखी सामग्री जैसे- चिकन, मांस, मछली या पनीर जैसी चीजें खरीदें तो उन्हें अखबार में लपेट कर देने को कहें ताकि उनका तापमान घर पहुंचने तक ज्यादा न बढ़े और घर पहुंच कर उन्हें पहले फ्रिज में रखें।
फ्रिजर में रखे जाने वाले खाद्य पदार्थों का विशेष ध्यान रखें कि कोई भी खाद्य पदार्थ 18 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने पर कभी खराब नहीं होता है। इसलिए इससे कम पर न रखें। साधारण तापक्रम पर रखने से उनमें जीवाणुओं का पनपना या जैव रासायनिक परिवर्तन होने की संभावना हो जाती है।
कभी-कभी बेमौसमी सब्जियों का स्वाद चखने का मन करता है, ऐसे में हम यदि खाद्य संरक्षण विधि का प्रयोग कर पैकिंग के समय सावधानी बरतें तो स्वाद आपको प्राकृतिक मिल सकता है। आजकल तो यह मार्केट में भी होने लगा है कि आप अपना सामान और कांच का पात्र ले कर जाएं और उन्हें संरक्षण का तरीका अपनाकर पैक कराएं।
फ्रिज किए हुए खाद्य पदार्थों से लाभ भी है- फ्रिज की हुई सब्जियों को सीधे ही पकाया जा सकता है, क्योंकि इन्हें पैकिंग से पूर्व 2 से 3 मिनट तक गर्म पानी में रखा जाता है।
यदि फ्रिजिंग (हिमीकृत) किए हुए मांस के टुकड़े बड़े हैं तो इन्हें पहले 30 डिग्री सेल्शियस के साधारण तापक्रम में लाना आवश्यक होता है। ऐसा न करने से मांस ठीक से पक नहीं पाता और इसके स्वाद में भी फर्क पड़ता है।
फ्रिजिंग किए हुए मांस को आप साधारण तापक्रम में लाने के लिए माइक्रोवेव या नल के पानी का भी प्रयोग कर सकते हैं। ऐसा करने से उसमें जमी बर्फ आसानी से पिघल कर अलग हो जाती है।
फ्रिज से निकाली वस्तुओं को दोबारा फ्रिज में न रखें। इससे उसके स्वाद व रंग में फर्क पड़ता है। चाहे तो आप अगर आवश्यक हो तो उसे चिलर ट्रे में रख सकते हैं।
याद रखें कि फ्रिज से निकाली गई सामग्री को प्रयोग करने के करीब आधा घंटा पहले निकाल कर नीचे जालियों में या बाहर रख दें। इससे सामग्री को पकने में कम समय लगेगा और आपकी गैस की बचत होगी।
फ्रिज में खाद्य पदार्थों को संभाल कर रखें। यदि फ्रिज में कोई वस्तु खराब हो रही हो तो उसे तुरंत बाहर निकाल लें। ऐसा न करने से फ्रिज में रखी अन्य चीजों के खराब होने की संभावना अधिक हो जाती है।
पके फल व अन्य खाद्य पदार्थों को ऊपर की जाली में रखें और कच्ची सब्जियों को नीचे की जालियों में ताकि कच्ची सब्जियों या अन्य पदार्थों का पानी टपक कर बाकी चीजों को खराब न कर सके।
मांस-मछली या तेज गंध वाले खाद्य पदार्थों को अच्छी तरह से रैपिंग पन्नी या एल्यूमीनियम पेपर पर लपेट कर रखें, ताकि इनकी तेज दुर्गंध से फ्रिज में रखे हुए दूध, दही या अन्य सब्जियां खराब न हों।
सूखे मेवे को खरीदने के पहले उन्हें देख लें कि कहीं वह दिनारु तो नहीं हो गए हैं। ऐसे मेवे ऊपर से साफ और चमकदार दिखते हैं, मगर अंदर से इनमें घुन और पाई लगने से ये खोखले व खराब हो जाते हैं।
मेवे अगर ज्यादा दिन से डिब्बों में बंद पड़े हैं तो उन्हें 15 दिन में तेज धूप जरूर दिखाएं।
काजू, बादाम और चिरौंजी को कीड़ों से बचाने के लिए इन्हें गर्म कड़ाही में चला कर ठंडा कर एयर टाइट डिब्बों में बंद करके रखें।
जिस प्रकार खाने-पीने की चीजों को फ्रिज के कम तापमान पर रख कर अधिक दिनों के लिए सुरक्षित रखा जा सकता है वहीं वस्तुओं के अनुसार तापक्रम की जानकारी होनी जरूरी है।
कब हो सकता है भोजन विषाक्त?
जब हम भोजन को उसके तापक्रम के अनुरूप सही ढंग से नहीं रखते हैं, तभी भोजन विषाक्त होने की संभावना बढ़ जाती है। कच्चे माल में पके माल की अपेक्षा अधिक विषाणु मौजूद रहते हैं, जो कि हमें दिखाई नहीं देते हैं। ऐसा इस कारण होता है, क्योंकि उनमें जीवाणु अति सूक्ष्म रूप में उपस्थित रहते हैं साथ ही उसे पकाने और रख-रखाव करने वालों के मुंह, हाथ और अन्य भागों में नुकसानदायक बैक्टीरिया होते हैं, जो असावधानी रखने पर तैयार भोजन में चले जाते हैं। असुरक्षित तापक्रम सीमा 4 डिग्री सेल्शियस से 60 डिग्री सेल्शियस के बीच खाद्य विषाक्तता के जीवाणु अच्छी तरह पनपते हैं। इससे अधिक और कम की तापक्रम सीमा सुरक्षित होती है।
कैसे बनाएं खाद्य पदार्थों को जीवाणु रहित?
ध्यान रखें कि मांस या अंडा अधपका न फ्रिज में रखें न बाहर रखें।
भोजन को प्रयोग करने से पहले 70 से 75 डिग्री से. तक जरूर गर्म करें।
प्रयोग किए गए बर्तनों को अच्छी तरह धो कर रखें, चाहे भोजन कच्चा हो या पका।
कच्चे मांस-मछली का रख-रखाव होना चाहिए, इसमें चाकू, बोर्ड या हाथों के द्वारा जीवाणु हस्तांतरित होने की संभावना होती है।
गर्म भोज्य पदार्थों को सीधे फ्रिज में न रखें।
खाद्य पदार्थों को 4 डिग्री से. से नीचे या 60 डिग्री से. से ऊपर के तापक्रम में रखना चाहिए।
