214 साल पुराना शिव मंदिर जहां हैं 108 शिवलिंग, सावन में आप भी करें दर्शन: Sawan 2023
Sawan 2023

Sawan 2023 : सावन माह की शुरुआत 4 जुलाई से होने जा रही है। इस साल का सावन बेहद खास होने वाला है क्योंकि इस साल 8 सावन सोमवार व्रत और 9 मंगला गौरी व्रत आ रहे हैं। खास बात यह है कि सावन का महीना इस बार 59 दिनों का होगा। ऐसे में भक्त भोलेनाथ को प्रसन्न कर सकेंगे। वहीं उनका आशीर्वाद भी प्राप्त कर सकेंगे। सावन के महीने में मंदिरों में भक्तों की काफी ज्यादा भीड़ देखने को मिलती है। दूर-दूर से भक्त देशभर के प्रसिद्ध शिव मंदिरों के दर्शन करने के लिए जाते हैं।

इतना ही नहीं वहां के इतिहास के बारे में भी जानने के लिए काफी ज्यादा उत्सुक रहते हैं। अगर आप भी इस सावन किसी प्रसिद्ध शिव मंदिर के दर्शन करने जाने का प्लान बना रहे हैं तो आज हम आपको देश का एक ऐसा प्रसिद्ध मंदिर बताने जा रहे हैं जो 214 साल पुराना है। इस मंदिर में 108 शिवलिंग की पूजा एक साथ की जाती है। दूर-दूर से भक्त यहां भोलेनाथ के 108 शिवलिंग के दर्शन करने के लिए आते हैं। चलिए जानते हैं कहा है 108 शिवलिंग वाला मंदिर? क्या है उसका इतिहास?

नव कैलाश 108 शिव मंदिर

Sawan 2023
Nav Kailash 108 Shiv Mandir-Sawan 2023

हम जिस मंदिर की बात कर रहे हैं वो है नव कैलाश 108 शिव मंदिर जो पश्चिम बंगाल राज्य के पूर्व बर्दवान जिले में स्थित है। यहां दूर-दूर से भक्त भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए आते हैं। सबसे ज्यादा सावन में इस मंदिर में भक्तों की भीड़ देखने को मिलती है। कहा जाता है कि इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा करने से 108 बार भोलेनाथ की पूजा करने का फल प्राप्त होता है। ये मंदिर 214 साल पुराना है। ये गोल आकार में बना हुआ है।

नव कैलाश मंदिर के इतिहास के बारे में बात करें तो इस मंदिर को 18वीं शताब्दी में बना कर तैयार किया गया था। दरअसल एक रात राजा तिलक चंद की विधवा पत्नी रानी विष्णु कुमारी को सपने में भगवान शिव ने इस मंदिर के निर्माण का आदेश दिया था। जिसके बाद 1809 में महाराजा तेज चंद्र बहादुर ने इस मंदिर का निर्माण करवाया।

दो स्तरों में गोलाकार में शिवलिंग

जैसा कि आप सभी जानते हैं भारतीय संस्कृति और अध्यात्म में 108 नंबर का काफी ज्यादा महत्व बताया गया है। ऐसे में धार्मिक कार्यों में सबसे ज्यादा 108 नंबर का ही इस्तेमाल किया जाता है। इस मंदिर में भी 108 शिवलिंग स्थापित हैं। जो छोटे-छोटे आकार के हैं। जिन्हें दो स्तरों में गोलाकार में बनाया गया है। पहली गोलाई में 74 शिवलिंग बनाए गए हैं, वहीं दूसरी गोलाई में 34 शिवलिंग स्थापित किए गए हैं। शिवलिंग की पूजा का का जिम्मा कुल 12 पुजारियों को सौंपा गया है। खास बात यह है कि मंदिर में बने पहली गोलाई में काले शिवलिंग है, तो अंदर छोटी गोलाई में सफेद शिवलिंग मौजूद है। काले शिवलिंग को रुद्रावतार का प्रतीक माना जाता है। वहीं सफेद शिवलिंग को शांत मुद्रा माना जाता है। दूर-दूर से भक्त इस मंदिर में भोलेनाथ के 108 शिवलिंग की पूजा करने के लिए आते हैं। यह मंदिर सुबह 6:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे और शाम को 4:00 बजे से रात 8:00 बजे तक खुला रहता है।

मैं आयुषी जैन हूं, एक अनुभवी कंटेंट राइटर, जिसने बीते 6 वर्षों में मीडिया इंडस्ट्री के हर पहलू को करीब से जाना और लिखा है। मैंने एम.ए. इन एडवर्टाइजिंग और पब्लिक रिलेशन्स में मास्टर्स किया है, और तभी से मेरी कलम ने वेब स्टोरीज़, ब्रांड...