Effect of Smoking on Women: आज की आधुनिक जीवन शैली में धूम्रपान या तंबाकू के नशे से महिलाएं अछूती नही रही हैं। चाहे वो इसे स्टेटस सिम्बल के तौर पर लें, मानसिक तनाव को कम करने के लिए, पैसिव स्मोकर के रूप् में इसका शिकार बनें या फिर किसी मजबूरी में। मिनिस्ट्री ऑफ हैल्थ की एक रिपोर्ट के हिसाब से भार में 7 करेाड़ से ज्यादा महिलाएं भूख दबाने के लिए तंबाकू का सेवन करती हैं जिनमें 15 साल की उम्र की नाबालिग लड़कियां भी शामिल होती हैं। ये महिलाएं अधिकतर निम्न तबके से ताल्लुक रखती हैं और हर जगह कम कीमत पर उपलब्ध तंबाकू का सहारा लेती हैं। तंबाकू का मीठा जहर एक साइलेंट किलर की तरह उनके पाचन तंत्र को क्षति पहुंचाता है और शरीर को धीरे-धीरे खोखला करता जाता है। इनमें मौजूद कई तरह के कैमिकल्स होते हैं जो महिलाओं के स्वास्थ्य केा धीरे-धीरे प्रभावित करते हैं। वास्तव में तंबाकू शरीर में रक्त प्रवाह को बाधित करता है जिससे शरीर में आॅक्सीजन के अवशोषण भी कम हो जाता है। जोकि उन्हें कई क्रोनिक डिजीज का शिकार ही नही बनाता, उनका स्त्रीत्व तक छीन लेता है। यहां तक कि महिलाओं की मौत की वजह भी बन जाता हैै।
पाचन तंत्र प्रभावित-
तंबाकू का नियमित सेवन करने से भूख कम हो जाती है। कई महिलाएं तो भूख दबाने के लिए भी इसका सेवन करती हैं। तंबाकू में मौजूद निकोटिन पेट के निचले हिस्से लोअर इसोफेगाल स्फिक्टर को कमजोर कर देता है इसे रिफलक्स आॅफ एसिड कहा जाता है। इससे पाचक एंजाइम्स को नुकसान पहुंचता है और पाचन तंत्र गड़बड़ा जाता है। इससे उन्हें पेट में दर्द, जलन, एसिडिटी की शिकायत रहती है। आगे चलकर यह अग्नाश्य के गैस्ट्रिक कैंसर और पेप्टिक अल्सर का रूप् भी ले लेती हंै।
प्रजनन स्वास्थ्य होता हैै प्रभावित-
धूम्रपान करने वाली महिलाओं में इन्फर्टिलिटी या बांझपन की समस्या देखने को मिल रही है क्योंकि इनमें मौजूद कैमिकल्स महिलाओं की फर्टिलिटी को प्रभावित करते हैं। साथ ही निकोटिन महिलाओ के शरीर में एस्ट्रोजेन हार्मोन के स्तर को कम करने और मेल हार्मोन का लेवल बढ़ाने में सहायक है। ओवरी में एग-फोर्मेशन और उनकी फर्टिलाइजेशन की दर पर भी असर पड़ता है। एग फोर्मेशन और ओव्यूलूशन में कमी हो जाती है, जिससे ऐसी महिलाओं को प्रेग्नेंट होने में दिक्कत का सामना करना प़ड़ता है। महिलाओं को ट्यूबल एक्टोपिक पे्रगनेंसी का सामना भी करना पड़ता र्है। जब महिलाओं की ओवरी से रिलीज होने वाले अंडाणु पुरुष के स्पर्म के साथ फर्टिलाइज होकर यूटरस में न जाकर, बाहर फेलोपियन ट्यूब में ही प्रत्यारोपित हो जाते हैंै और वही बढ़ने लगते हैं। लेकिन प्रत्यारोपित भ्रूण के विकास से फेलोपियन ट्यूब के फटने, इंटरनल ब्लीडिंग या गर्भपात होने और गर्भवती महिला की जान को भी खतरा हो सकता हैै।
गर्भपात का रहता है खतरा-
तंबाकू का सेवन करने से गर्भवती महिलाएं अगर रोजाना ओरल तंबाकू 6 ओंस से ज्यादा और 2 या 3 से ज्यादा सिगरेट ले रही हैं,तो उनमें गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। उनके यूटरस की मसल्स प्लासेंटा जो भ्रूण की तरफ ब्लड सप्लाई करती हैं। उनमें संकुचन हो जाता है और वह भू्रण में बल्ड कम सप्लाई कम हो जाती है। इससे बच्चा कमजोर या विकृतियां लिए पैदा होता है। कई मामलों में महिलांओं में ब्लड सप्लाई कम होने की वजह से यूटरस का प्लासेंटा अलग हो जाता है। इससे गर्भवती महिलाओं में ब्लीडिंग बहुत ज्यादा होने लगती है। ब्लीडिंग की वजह से समय से पहले सिजेरियन से डिलीवरी करानी पड़ती है। कई मामलों में गर्भपात भी हो जाता है।
गर्भ में पल रहे शिशु पर भी पड़ता है असर-
प्रेग्नेंसी के दौरान तंबाकू का सेवन यूटरस में पल रहे शिशु को भी प्रभावित करता है। उनके यूटरस की मसल्स प्लासेंटा जो भ्रूण की तरफ ब्लड सप्लाई करती हैं। उनमें संकुचन आ जाता है और वह भ्रूण में बल्ड कम स्प्लाई करती है। जिसका असर उनके गर्भ में पल रहे बच्चे पर पड़ता है और उसका विकास ठीक नहीं हो पाता। प्री-मैच्योर डिलीवरी होने, बच्चे का वजन सामान्य से काफी कम ( डेढ किलो तक) होने यानी कमजोर होने या किसी तरह की कमी या विकृति लिए पैदा होता है।
मासिक धर्म में अनियमितता और प्री-मैच्योर मेनोपाॅज की संभावना-

धूम्रपान करने वाली महिलाओ के शरीर में निकोटिन के कारण महिलाओं में एस्ट्रोजन हार्मोन्स में गड़बड़ी हो जाती है। जिससेे कई महिलाओं केा अनियमित पीरियड्स और प्री-मैच्योर मेनोपाॅज की समस्या का भी सामना करना पड़ता है। दूसरो के मुकाबले इन महिलाओं का मासिक धर्म चक्र छोटा होता है यानी 22-25 दिन का। 40 साल तक की उम्र में मेनेापाॅज होने की संभावना रहती है। उन्हे हाॅट फ्लैश, पसीना, घबराहट, मानसिक तनाव , नींद न आने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उन्हे ब्रेस्ट कैेसर और सर्वाइकल कैंसर होने का खतरा रहता है।
बोन डेंसिटी पर पड़ता है असर-

तंबाकू का सेवन करने वाली महिलाओं के शरीर में विटामिन्स की कमी होने से बोन डेंसिटी कम होने केी समस्याएं देखने को मिलती है। निकोटिन का अधिक सेवन से उनमें सबसे अधिक रीढ़ की हड्डी प्रभावित होती है। उनकी हड्डियों, मसल्स और जोड़ों पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। उन्हें स्लिप डिस्क, पीठ दर्द, सायटिका, कमर दर्द, कम उम्र में आॅस्टियोपोरोसिस का सामना करना पड़ता है। उनमे फ्रैक्चर होने का खतरा बढ़ जाता है।
होती हैं स्किन प्राॅब्लम्सं-

तंबाकू में मौजूद हानिकारक निकोटिन जैसे कैमिकल्स स्किन पर भी असर दिखाते हैं। इनमें किशोर युवतियों में होने वाले प्यूबरटल मुंहासे या एक्ने प्रमुख हैं जो ठीक होने में काफी टाइम लगाते हैं और अपने निशान भी छोड़ जाते हैं। महिलाओं केा सिरोयसिस जैसी स्किन इंफेक्शन का भी सामना करना पड़ता है। धूम्रपान के नियमित सेवन महिलाओं की रंगत पर भी प्रभाव डालता है। अधिक धूम्रपान से स्किन में आॅक्सीजन की आपूर्ति कम हो जाती है जिससे यह नीरस, बेजान और डार्क हो जाती है। इसके साथ ही उनके चेहरा पर समय से पहले ही बढ़ती उम्र का प्रभाव भी देखा जा सकता है यानी स्किन में ड्राईनेस आने से झुुर्रियां पड़ने लगती हैं।
आंखों के स्वास्थ्य पर प्रभाव-

तंबाकू के विषैले तत्व आखांे केा भी नुकसान पहुंचाते है। आंखों मंे अक्सर जलन, इंचिंग जैसी समस्याएं देखने को मिलती है। निकोटिन में मौजूद आॅक्सीडेट्स तत्वों से आखों पर स्ट्रेस पडता है जिससे उनमें ड्राईनेस होने लगती है। आंखों के विज़न कमजोर हो जाता है। डायबिटीज से पीड़ित महिलाओं को तो कैटरेक्ट होने की स्थिति का सामना भी करना पड सकता है। अधिक धूम्रपान करने से ब्लड प्रेशर और डायबिटीज के मरीजो के ब्लड में निकोटिन का स्तर बढ जाता है जो उनकी आंखों के रेटीना के लिए खतरनाक है। ये रेटीना और आॅप्टिक नर्व के सेल्स को नुकसान पहुंचाते हैं जिससे विजन कम होने का खतरा रहता है।
