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मुनमुन और मेरु-21 श्रेष्ठ बालमन की कहानियां चंडीगढ़

आज मुनमुन दस वर्ष की हो जाएगी। अपनी पसंदीदा फ्रॉक निकालकर भागती-भागती अपनी माँ के पास गयी और बोली- “इसे अच्छे से धो दो।” माँ देखो, वहां थोडा दाग लगा है। माँ ने ध्यान से देखा और कहा, “अरे नहीं बेटा, मुनमुन ये दाग नहीं ये तो फ्रॉक का डिज़ाइन है। देखो ध्यान से।” “हाँ […]

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उलझन-21 श्रेष्ठ बालमन की कहानियां चंडीगढ़

मनु को संगीत का बहुत शौक था। एक दिन उसने एक कलाकार को दूरदर्शन पर पानी से भरी कटोरियों पर लंबी सिलाईनुमा डंडियों के साथ चोट करते हुए संगीत बजाते हुए देखा तो बहुत प्रभावित हुआ। उसके पास वाद्ययंत्र तो नहीं थे पर घर के ड्राइंग रूम में रखी लकड़ी की मेज पर ढोलक बजाना, […]

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बचपन का दोस्त- 21 श्रेष्ठ बालमन की कहानियां चंडीगढ़

मनोहर लाल जी प्राथमिक संस्कृति पाठशाला से रिटायर हुए थे। वह पी. टी. के अध्यापक थे। मॉडर्न सोसाइटी में उन्होंने दो कमरे का फ्लैट खरीदा था। बहुत पहले ही उनकी पत्नी का देहांत हो गया था। उनके अपने कोई बच्चे नहीं थे। पर वह बच्चों में बच्चे बन जाते थे। वह अक्सर सोसाइटी के बच्चों […]

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वैष्णव जन तो तेने कहिए जे पीर पराई-21 श्रेष्ठ बालमन की कहानियां चंडीगढ़

“वैष्णव जन तो तेने कहिए…” की आवाज़ दादू के कमरे से आ रही थी। दादू को यह भजन बहुत प्रिय है। “गांधीजी के दो प्रिय भजन थे, एक रघुपति राघव राजा राम, पतित पावन” और दूसरा” वैष्णव जन तो तेने कहिए जे पीर पराई जाने रे” दादू ने अमर को बताया था। अमर सोचने लगा, […]

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भीनी-भावक की गाँव यात्रा-21 श्रेष्ठ बालमन की कहानियां चंडीगढ़

भीनी भले ही छोटी थी, मगर इतनी भी नहीं कि “कोरोना” के बारे में न जानती। अरे वो तो बारह साल की थी, इस नामुराद बीमारी के बारे में तो छोटे-छोटे बच्चे भी जान गए थे। ये बात और है कि बहुत से या यूँ कहे कि लगभग सभी बच्चे पहले-पहल तो बहुत खुश हुए […]

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मिलियन डालर स्माइल – गृहलक्ष्मी कहानियां

हैपी बर्थडे टू यू मां, मे गॉड ब्लेस यू…’

पार्श्व में बजते संगीत के मध्य आभा अपनी अस्सी वर्षीय वयोवृद्धा मां को सहारा देते हुए लंदन के फाइव स्टार होटल में लाल गुलाबों, जलती हुई सुगंधित मोमबत्तियों और मां-पापा के बड़े-बड़े पोस्टरों से सजे डाइनिंग हाल में ले जा रही थीं।

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