Relationship Advice: पार्टनर से अक्सर हम सबकुछ कह देते है। जब हम किसी से प्यार करते हैं या फिर किसी के साथ एक रिश्ते में होते हैं तो उसके साथ बहुत ज्यादा कंफर्टेबल हो जाते हैं और ऐसे में उसके साथ अपनी हर बात शेयर करना चाहते हैं या फिर उसके साथ अपनी सभी प्रोब्लम्स को डिस्कस करना चाहते हैं। इस बात में कोई बुराई भी नहीं है। हालांकि, यहां पर आपको यह भी समझना चाहिए कि बेहतर कम्युनिकेशन रिलेशन को खुशनुमा जरूर बनाते हैं, लेकिन इस तरह कम्युनिकेशन करना हर बार आसान नहीं होता।
कभी-कभी आप सही तरह से अपनी बात नहीं कर पाते हैं और ऐसे में रिश्ते में गलतफहमी या अनावश्यक तनाव पैदा हो जाता है या फिर अगर पार्टनर का मूड अच्छा नहीं है तो यह भी संभव है कि उनकी प्रतिक्रिया आपके मन को दुखी कर दे। यही वजह है कि पार्टनर से कुछ भी कहने से पहले आपको कुछ बातों पर खासतौर पर ध्यान देना चाहिए। जिसके बारे में आज हम आपको इस लेख में बता रहे हैं-
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मूड करें चेक
पार्टनर से कुछ भी कहने से पहले आपको एक बार अपना और उनका मूड जरूर चेक कर लेना चाहिए। अगर आप किसी बात से गुस्सा, तनाव या परेशान महसूस कर रहे हैं तो ऐसे में सबसे पहले खुद को शांत करें। दरअसल, इस स्थिति में हम अपनी बात को सही ढंग से नहीं कह पाते हैं और इससे पार्टनर को भी बुरा लग सकता है। वहीं, दूसरी ओर अगर पार्टनर का मूड सही नहीं है तो इस बात की बहुत हद तक संभावना है कि वह आपके द्वारा कही गई बातों का गलत मतलब ही निकालेगा। इस स्थिति में आप उन्हें अपनी कोई बात नहीं समझा पाएंगे और इससे रिश्ते में गलतफहमी बढ़ती है।
टाइमिंग पर करें फोकस

बात करने की टाइमिंग भी काफी महत्व रखती है। हमेशा सही समय देखकर ही पार्टनर से बात करें। अगर आपका पार्टनर काम में बिजी है या फिर तनावग्रस्त या थका हुआ है, तो हो सकता है कि वह आपकी बातों को उतना गौर से ना सुने। उदाहरण के लिए, सोने से ठीक पहले या उनके पसंदीदा शो के दौरान आप किसी तरह के हैवी टॉपिक पर बात ना करे। उस समय आप मस्ती के मूड से कुछ अच्छी बातें जरूर कर सकते हैं। लेकिन किसी सीरियस टॉपिक पर बात ऐसे समय पर करें, जब आप दोनों बातचीत पर पूरा ध्यान दे सकें।
रहें क्लीयर
जब भी आप अपने पार्टनर के साथ कम्युनिकेट करते हैं तो उस दौरान क्लीयर रहने की कोशिश करें। किसी भी मुद्दे पर बात करते हुए उसे इधर-उधर न घुमाएं। कभी भी यह न सोचें कि आपका साथी बस “समझ जाएगा।“ क्योंकि वास्तव में ऐसा नहीं होने वाला है। उदाहरण के लिए, यह कहने के बजाय कि, “तुम्हें मेरी परवाह नहीं है,“ आप कह सकते हैं, “जब तुम पिछले वीकेंड हमारे प्लान भूल गए तो मुझे बुरा लगा। इस तरह जब आप अध्कि क्लीयर और स्पेसिफिक रहते हैं तो ऐसे में समस्याओं पर बात करना और उसे सुलझाना ज्यादा आसान हो जाता है।
किसी बड़े इवेंट से पहले ना करें डिस्कशन

कभी भी किसी बड़े इवेंट से ठीक पहले कोई भी हैवी डिस्कशन करने से बचें। मसलन, फैमिली गेदरिंग से लेकर वर्क प्रेजेंटेशन से पहले अपने पार्टनर से ऐसी कोई बात ना कहें, जो उनका मूड खराब करती हो। अनसुलझी बातचीत ना केवल आपको इमोशनली डिस्टर्ब करती है, बल्कि इससे आप उस इवेंट को भी एन्जॉय नहीं कर पाते हैं। हालांकि, अगर ऐसी कोई बात है, जिसे बताया जाना बेहद जरूरी है तो आप उसे बेहद ही संक्षिप्त रखें और केवल जरूरी बात ही बताएं। अन्यथा, तब तक इंतजार करें जब तक कि कार्यक्रम समाप्त न हो जाए।
खुशी के पलों में ना करें डिस्कशन
सुनने में शायद आपको अजीब लग रहा हो, लेकिन खुशी के पलों के दौरान भी आपको किसी तरह का कोई डिस्कशन नहीं करना चाहिए। दरअसल, जब सब कुछ बढ़िया चल रहा हो और आप दोनों खुश हैं तो इस दौरान किसी हैवी मुद्दे पर बात करने से पूरा माहौल खराब होने का खतरा रहता है। कल्पना कीजिए कि आप एक शानदार डिनर डेट या एक आरामदायक मूवी नाइट मना रहे हैं, और फिर आप कोई हैवी टॉपिक पर बात शुरू कर देते हैं। इससे अचानक मूड बदल जाता है, और जो शाम सुखद होनी चाहिए थी, वह इमोशनल मैराथन में बदल जाती है। आपको यह बात हमेशा ध्यान में रखनी चाहिए कि हर चीज के लिए एक सही समय और जगह होती है। अगर आप खुशी के पलों का आनंद ले रहे हैं, तो उसे होने दें। वे पल अनमोल होते हैं और आपके बंधन को और भी मजबूत कर सकते हैं। गंभीर बातचीत को किसी और समय के लिए बचाकर रखें।
”तुम” की जगह “मैं” का करें इस्तेमाल

जब आप अपने पार्टनर से किसी मुद्दे पर बात करते हैं तो उस दौरान आपके शब्दों का चयन भी बहुत अधिक मायने रखता है। अपने पार्टनर ने क्या गलत किया, इस पर फोकस करने के बजाय, इस बारे में बात करें कि आप कैसा महसूस करते हैं। मसलन, “मैं परेशान हूँ क्योंकि…” कहना “तुम हमेशा…” से कहीं बेहतर है। इस तरह आपके पार्टनर को ऐसा नहीं लगेगा कि उसे ही दोषी या गलत नहीं ठहराया जा रहा है और वह आपकी बात सुनने के लिए ज़्यादा तैयार होगा। इतना ही नहीं, इस तरह की बातचीत में वह आपकी बातों को सुनने के साथ-साथ समझने की कोशिश भी करेगा। इतना ही नहीं, इससे आपके बिना बोले या किसी तरह का दोष लगाए बिना उसे कहीं ना कहीं अपनी गलती का भी अहसास होगा। यह कम्युनिकेशन में एक-दूसरे को दोष देने के बजाय समस्या को हल करने के बारे में भी बनाता है।
