what is mankeeping
what is mankeeping

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अक्सर हर तीज त्योहार और स्पेशल दिनों पर भारतीय महिलाएं कई तैयारियां करती हैं। वहीं रोजमर्रा की जिंदगी में भी वह पुरुषों से कहीं ज्यादा सामाजिक और भावनात्मक काम करती हैं।

What is Mankeeping: ‘सुनो! राखी आने वाली है, पहले हम दीदी को लंच पर बुला लेंगे और शाम को मैं अपने भाई को राखी बांध लूंगी।’, ‘क्यों न इस बार बेटे के बर्थडे सभी रिश्तेदारों और दोस्तों को बुलाकर पार्टी करें’। अक्सर हर तीज त्योहार और स्पेशल दिनों पर भारतीय महिलाएं ऐसी प्लानिंग करती नजर आती हैं। इतना ही नहीं, सच तो ये है कि रोजमर्रा की जिंदगी में भी वह पुरुषों से कहीं ज्यादा सामाजिक और भावनात्मक काम करती हैं। फिर चाहे महिला वर्किंग हो या नॉन वर्किंग, ये अनकहे काम उसके हिस्से आते ही हैं। इसी को नाम दिया गया है ‘मैनकीपिंग’।

जानिए क्या है मैनकीपिंग

maternal home in Sawan
Why do we go to maternal home in Sawan

आप भी उन महिलाओं में से एक हैं जो अक्सर हाउस पार्टी इसलिए करती हैं, जिससे आपके पति अच्छा महसूस कर सकें। कोशिश बस यही होती है कि पूरे परिवार खासतौर पर पुरुष पार्टनर को बेहतरीन समय मिल सके। फिर चाहे आप इसकी तैयारी में भले ही कितनी भी क्यों न थक जाएं। आमतौर पर हर महिला परिवार, रिश्तेदारों और दोस्तों के बीच लगातार तालमेल बैठाती हैं। ऐसे में महिलाओं पर सामाजिक और भावनात्मक जिम्मेदारियां पुरुषों से कहीं ज्यादा होती हैं। हैरानी की बात ये है कि न ही पुरुष इस बात को समझते हैं और न ही महिलाएं इस बोझ को लेकर कुछ बोल पाती हैं। इसी चलन का नाम है ‘मैनकीपिंग’। ऐसे में मैनकीपिंग का सीधा मतलब है महिलाओं के हिस्से में आने वाली वो जिम्मेदारी, जिसमें वे अपने पति को समाज से जोड़ने की कोशिशों में जुटी रहती हैं। उद्देश्य सिर्फ एक, ‘उन्हें अच्छा लगेगा।’

बिगड़ सकता है रिश्तों संतुलन

हैरानी की बात ये है कि सिर्फ भारत ही नहीं अमेरिका सहित कई विकसित देशों की महिलाएं भी मैनकीपिंग के बोझ तले दबी हुई हैं। और अब खुलकर वह इसके विषय में बात भी कर रही हैं। परिवार को आपस में जोड़कर रखना, अपने पुरुष पार्टनर के लिए सामाजिक माहौल बनाना, उन्हें भावनात्मक रूप से अच्छा महसूस करवाना अब महिलाओं की अनकही ड्यूटी में शामिल हो गया है। लेकिन असल में यह हर महिला के लिए एक अतिरिक्त बोझ के जैसा है। यह चलन न सिर्फ महिलाओं में थकावट पैदा करता है, बल्कि पुरुषों में सामाजिक रूप से अलगाव का कारण भी बन रहा है। ऐसे में रिश्ते में संतुलन बिगड़ने का खतरा रहता है।

पुरुषों के पास नहीं है सच्चे दोस्त

स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की एंजेलिका फिजियो फेरारा ने अपनी रिसर्च में पाया कि पुरुषों के पास ऐसे करीबी दोस्त नहीं हैं, जिनसे वे अपने दिल की बात खुलकर बोल सकें। वहीं महिलाएं इस मामले में आगे हैं। महिलाएं अपनी समस्याओं को लेकर कई लोगों से बातें करती हैं। ऐसे में वे हल्कापन महसूस करती हैं। लेकिन पुरुष सिर्फ अपने पार्टनर को ही भावनाएं बताते हैं। ऐसे में इनमें सुधार की जिम्मेदारी भी महिला पार्टनर पर ही आती है।

इसलिए पुरुष रह गए अकेले

Depression
Sign Of Depression Credit: Istock

अमेरिकन इंस्टीट्यूट फॉर बॉयज एंड मैन के अनुसार इसका बड़ा कारण ये है कि अब ऐसी गतिविधियां कम होती हैं, जिससे पुरुष आपस में अच्छे दोस्त बन सकें। मैनकीपिंग का मतलब सिर्फ पुरुषों की कमी या गलतियां बताना नहीं है। बल्कि इसका अर्थ है कि पुरुषों को भी अच्छे दोस्त बनाने की जरूरत है। जिनसे वे अपने दिल की बात खुलकर बोल सकें। ऐसे न सिर्फ वे सामाजिक बनेंगे, बल्कि भावनात्मक रूप से भी अच्छा महसूस करेंगे।

मैं अंकिता शर्मा। मुझे मीडिया के तीनों माध्यम प्रिंट, डिजिटल और टीवी का करीब 18 साल का लंबा अनुभव है। मैंने राजस्थान के प्रतिष्ठित पत्रकारिता संस्थानों के साथ काम किया है। इसी के साथ मैं कई प्रतियोगी परीक्षाओं की किताबों की एडिटर भी...