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Hindi Motivational Story: एक व्यक्ति स्वामी विवेकानंद के पास आकर बोला, “मैं बहुत दुखी हूँ, मैं मेहनत करता हूँ, लगन से काम करता हूँ लेकिन सफल नहीं हो पाता। स्वामीजी, मैं पढ़ा-लिखा और मेहनती होते हुए भी सफल नहीं हो पाया हूँ।” उन दिनों स्वामीजी के पास एक छोटा -सा पालतू कुत्ता था। स्वामीजी ने उस व्यक्ति से कहा, “तुम कुछ दूर इसे सैर करा लाओ, फिर मैं तुम्हारे प्रश्न का जवाब दूँगा। वह व्यक्ति कुत्ते को लेकर चला गया।

काफी देर बाद वह व्यक्ति वापिस स्वामीजी के पास लौटा तो उसका चेहरा चमक रहा था, जबकि कुत्ता पूरी तरह हाँफ रहा था और थका हुआ लग रहा था। स्वामी जी ने व्यक्ति से कहा, “कुत्ता इतना ज्यादा कैसे थक गया? जबकि तुम तो फ्रेश दिख रहे हो?” वह व्यक्ति बोला, “मैं तो सीधे रास्ते चल रहा था, लेकिन यह कुत्ता गली के सारे कुत्तों के पीछे भाग रहा था और लड़कर फिर वापस मेरे पास आ जाता था। हम दोनों ने रास्ता तो बराबर तय किया है, लेकिन फिर भी कुत्ते ने मेरे से ज्यादा दौड़ लगाई इसीलिए यह थक गया है।”

स्वामी जी मुस्कुरा कर बोले, “यही तुम्हारे प्रश्नों का उत्तर है। तुम्हारी मंजि़ल तुम्हारे आसपास ही है, लेकिन तुम मंजि़ल की बजाए दूसरे लोगों के पीछे भागते रहते हो और अपनी मंजि़ल से दूर हो जाते हो। ऐसे ही हम अपने जीवन को दूसरों के पीछे दौड़ा कर, बेकार में एक संघर्ष बना देते हैं जिसका नतीजा होता है – थकान, तनाव और हताशा। दूसरों की नकल मत करो, बल्कि अपना लक्ष्य ख़ुद निर्धारित करो।

ये कहानी ‘नए दौर की प्रेरक कहानियाँ’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानी पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएंNaye Dore ki Prerak Kahaniyan(नए दौर की प्रेरक कहानियाँ)