shubh-ashubh
shubh-ashubh

Hindi Motivational Story: एक महिला स्वामी विवेकानंद के पास आई और बोली ”, स्वामी जी, कुछ दिनों से मेरी आँख फड़क रही है। यह किसी अशुभ की निशानी है। कृप्या मुझे कोई ऐसा तरीका बताएं जिससे कि अशुभ न हो। उसकी बात सुनकर स्वामी विवेकानंद बोले, “देवी मेरी नज़र में तो शुभ-अशुभ कुछ भी नहीं होता। जब जीवन है, तो इसमें अच्छी और बुरी दोनों ही घटनाएँ घटित होती है। लोग उन्हें ही अपने अपने हिसाब से शुभ या अशुभ मान लेते हैं। “यह सुनकर महिला बोली, “पर स्वामी जी, मैंने अपने पड़ोसियों के यहाँ देखा है कि उनके घर में हमेशा शुभ घटता है जबकि मेरे यहाँ आए दिन कुछ न कुछ अनहोनी होती रहती है। “उसकी बात पर स्वामी विवेकानंद मुस्कुरा कर बोले, “देवी, शुभ और अशुभ भी सोच का ही परिणाम है। इस संसार में कोई भी ऐसी वस्तु नहीं है जिससे केवल शुभ या केवल अशुभ हो सकता है। साथ ही यह भी कि जो एक के लिए शुभ है वहीं दूसरे के लिए अशुभ हो सकता है। यह सब परिस्थितियों पर निर्भर करता है। “यह कैसे स्वामी, भला कोई शुभ घड़ी किसी के लिए अशुभ कैसे हो सकती है?

स्वामीजी बोले, “देवी, मान लो एक कुम्हार ने बर्तन बनाकर सुखाने के लिए रखे हैं और वह तेज धूप की कामना कर रहा है। दूसरी ओर एक किसान वर्षा की कामना कर रहा है ताकि फसल अच्छी हो। ऐसे में धूप और वर्षा जहाँ एक के लिए शुभ है, वहीं दूसरे के लिए अशुभ। इसलिए व्यक्ति को शुभ-अशुभ की जगह केवल अपने नेक कर्मों पर ध्यान लगाना चाहिए। ऐसा करके वह अपने जीवन को सुचारु रूप से जी सकता है। “स्वामी विवेकानंद की बात सुनकर महिला उनसे सहमत हो गई और बोली, “स्वामीजी आपका कहना बिल्कुल ठीक है। मैं आज से केवल अपने कर्म पर ही ध्यान दूँगी।” इसके बाद वह वहाँ से चली गई।

ये कहानी ‘नए दौर की प्रेरक कहानियाँ’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानी पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएंNaye Dore ki Prerak Kahaniyan(नए दौर की प्रेरक कहानियाँ)