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अगर आप नॉर्मल लुकिंग हैं तो भी टूल्स और फिल्टर्स से ग्लैमरस लुक पा सकते हैं। ऐसे में अक्सर लोग डेटिंग ऐप्स और सोशल मीडिया पर खुद की एडिटेड डिस्प्ले फोटो और प्रोफाइल लगाते हैं। लेकिन जब किसी से फेस-टू-फेस डेटिंग की बारी आती तो सारी उम्मीदें वहीं टूट जाती हैं।
Reverse Catfishing Meaning: डेटिंग ऐप्स, फिल्टर, एआई और एडिटिंग टूल्स की इस दुनिया में सुंदर फोटोज बनाना चुटकियों का काम है। अगर आप नॉर्मल लुकिंग हैं तो भी इन टूल्स और फिल्टर्स से ग्लैमरस लुक पा सकते हैं। ऐसे में अक्सर लोग डेटिंग ऐप्स और सोशल मीडिया पर खुद की एडिटेड डिस्प्ले फोटो और प्रोफाइल लगाते हैं। लेकिन जब किसी से फेस-टू-फेस डेटिंग की बारी आती तो सारी उम्मीदें वहीं टूट जाती हैं। ऐसे में बार-बार दिल तोड़ चुका यूथ अब ‘रिवर्स कैटफिशिंग’ की ओर बढ़ रहा है।
जानिए क्या है ‘रिवर्स कैटफिशिंग’

आभासी दुनिया से निकलकर अब यूथ सच्चाई का सामना करने के लिए खुद को तैयार कर रहा है। इसी तैयारी का नाम है ‘रिवर्स कैटफिशिंग’। इस ट्रेंड में लोग सोशल मीडिया, खासतौर पर डेटिंग ऐप्स पर अपनी बिना एडिटिंग की फोटोज लगाते हैं। इन फोटोज में लोग जैसे हैं, वैसे ही नजर आते हैं। ऐसे में लोग असली मैच खोज पाते हैं।
कैटफिशिंग से बिलकुल अलग ट्रेंड
रिवर्स कैटफिशिंग को आप कैटफिशिंग का बिल्कुल उल्टा ट्रेंड बोल सकते हैं। कैटफिशिंग में लोग अपने आपको खूबसूरत दिखाने के लिए, दूसरों को आकर्षित करने के लिए या रिश्ता बनाने के लिए अपनी पहचान को बदल लेते हैं। वे अपनी तस्वीरों और प्रोफाइल में ढेर सारी एडिटिंग करके लोगों को गुमराह करते हैं। ऐसे में सामने वाला इंसान इमोशनल, पर्सनल और कभी-कभी फाइनेंशियल फ्रॉड का शिकार हो सकता है। वहीं रिवर्स कैटफिशिंग में लोग कोशिश करते हैं कि उनकी प्रोफाइल फोटो और विवरण दोनों जहां तक हो असली रहे। जिसमें उनके गुणों के साथ दोष भी साफ नजर आएं। लोगों का मानना है कि रिवर्स कैटफिशिंग के कारण सच्चा साथी मिलना आसान है।
सर्वे में यूथ ने बताई दिल की बात
पिछले दिनों डेटिंग ऐप ‘क्वैक क्वैक’ ने एक सर्वे किया। इस सर्वे में 18 से 27 साल के करीब 7,500 युवाओं को शामिल किया गया। जिसमें हर पांच में से दो जेन जी डेटर्स ने माना किया वह सच्चा प्यार ढूंढने के लिए रिवर्स कैट फिशिंग ट्रेंड अपना रहे हैं। सर्वे में शहरी से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को शामिल किया गया। इनमें आईटी, मेडिकल, फाइनेंस, एजुकेशन, बिजनेसमैन, स्टार्टअप ऑनर्स जैसे सभी लोगों ने अपने दिल की बात बताई।
असलियत से दूर परफेक्शन
सर्वे में करीब 28 प्रतिशत डेटर्स ने बताया कि वे अब डेटिंग ऐप्स पर ऐसे साथी चुनने की कोशिश करते हैं जिनकी डिस्प्ले पिक्चर और बायो बहुत ही नॉर्मल नजर आते हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से बनाए गए पिक्चर और बायो साफ पता चलते हैं। ऐसे पॉलिश्ड प्रोफाइल कहीं न कहीं असलियत से काफी दूर होते हैं। इनपर समय बर्बाद करना बेकार है।
इसलिए पसंद आया यह ट्रेंड
रिवर्स कैटफिशिंग ट्रेंड में आने के पीछे सबसे बड़ा कारण है सच्चा प्यार और साथी ढूंढ़ना। आज के यूथ का मानना है कि डेटिंग ऐप्स पर सच्चाई बताने से सही साथी चुनने में मदद मिलती है। ऐसे में रिश्ता आगे तक चलता है और बॉन्डिंग मजबूत होती है। जो एक मजबूत रिश्ते की नींव बनता है। आप गलत जानकारी से प्रभावित होने की जगह सच्चाई का सामना करने को तैयार होते हैं। वहीं महिलाएं इसे बड़ी सुरक्षा के रूप में देख रही हैं।
