दस बजते-बजते ये लोग यहां से डाक पर चले। अहल्या खिड़की से पावस का मनोहर दृश्य देखती थी, चक्रधर व्यग्र हो-होकर घड़ी देखते थे कि पहुंचने में कितनी देर है और मुन्नू खिड़की से कूद पड़ने के लिए जोर लगा रहा था। चक्रधर जगदीशपुर पहुंचे, तो रात के आठ बज गए। राजभवन के द्वार पर […]
Category: उपन्यास
गृहलक्ष्मी आप सभी को कुछ महान उपन्यासकारों के द्वारा लिखे गये उपन्यास Hindi novel, Hindi Love story, Hindi novel in pdf format में provide करता है। जैसे कि मुंशी प्रेमचंद के द्वारा लिखी गई उपन्यास Hindi novel गोदान, भूतनाथ जिसके उपन्यासकार बाबू देवकीनन्दन खत्री, दौलत आई मौत लाई के महान उपन्यासकार जेम्स हेडली चेइज़ जोकि पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है।
इस तरह के और भी बहुत से उपन्यास आप ग्रहलक्ष्मी पर पढ़ सकते है। जिसे पढ़ने में आपको बहुत ही ज्यादा मजा आयेगा और आप इससे बहुत कुछ सिख सकते है। जोकि आपके जीवन में बहुत ही उपयगी साबित होगी।
मनोरमा – मुंशी प्रेमचंद भाग – 12
मुंशीजी बड़ी आशा बांधकर यहां दौड़े आये थे। यह फैसला सुना तो कमर टूट-सी गयी। फर्श पर बैठ गये और अनाथ-भाव से माथे पर हाथ रखकर सोचने लगे-अब क्या करूं? मनोरमा वहां से चली गयी। अभी उसे अपने लिए कोई स्थान ठीक करना था, शहर से अपनी आवश्यक वस्तुएं मंगवानी थीं। मनोरमा नॉवेल भाग एक […]
Dalljiet Kaur ने तलाक की खबरों के बीच आखिर क्या बोल दिया Nikhil Patel को लेकर ?
टीवी एक्ट्रेस दलजीत कौर इन दिनों निखिल पटेल संग तलाक की खबरों को लेकर लगातार चर्चाओं में है और इसी बीच हाल ही में दलजीत कौर ने इशारों-इशारों में कुछ ऐसा कह दिया है, जिसके बाद वो एक बार फिर सुर्खियों में आ गई। वीडियो देखिए Dalljiet Kaur ने तलाक की खबरों के बीच बड़ा […]
मनोरमा – मुंशी प्रेमचंद भाग – 11
यह कहते-कहते अहल्या की आंखें सजल हो गयीं! चक्रधर से अब जब्त न हो सका। उन्होंने संक्षेप में सारी बातें कह सुनाई और अन्त में प्रयाग उतर जाने का प्रस्ताव किया। अहल्या ने गर्व से कहा–अपना घर रहते प्रयाग क्यों उतरें? मैं घर चलूंगी। वे कितने ही नाराज हों, हैं तो हमारे सता-पिता! आप इन […]
इन 15 बातों से छुडाएं पीछा और पाएं खूबसूरत त्वचा:
सौंदर्य देखभाल और उत्पादों से जुड़े कई ऐसे मिथक हैं जिनका महिलाएं अनुसरण करती आई हैं, जबकि इन्हें ब्रेक करके आप ज्यादा बोल्ड और खूबसूरत दिख सकती हैं। ब्यूटी और मेकअप को लेकर पुराने समय से कुछ नियम चले आ रहे हैं, लेकिन आज कल के बदलते फैशन के दौर में वो समय आ चुका […]
मनोरमा – मुंशी प्रेमचंद भाग – 10
आगरे के हिन्दुओं और मुसलमानों में आये दिन जूतियां चलती रहती थी। जरा-जरा-सी बात पर दोनों दलों के सिर फिर जमा हो जाते और दो-चार के अंग-भंग हो जाते। कहीं बनिये की डण्डी मार दी और मुसलमानों ने उसकी दुकान पर धावा कर दिया, कहीं किसी जुलाहे ने किसी हिन्दू का घड़ा छू लिया और […]
मनोरमा – मुंशी प्रेमचंद भाग – 9
हुक्काम के इशारों पर नाचने वाले गुरुसेवकसिंह ने जब चक्रधर को जेल के दंगे के इल्जाम से बरी कर दिया, तो अधिकारी मण्डल में सनसनी फैल गयी। गुरुसेवक से ऐसे फैसले की किसी को आशा न थी। फैसला क्या था, मान-पत्र था, जिसका एक-एक शब्द वात्सल्य के रस में सराबोर था। मनोरमा नॉवेल भाग एक […]
मनोरमा – मुंशी प्रेमचंद भाग – 8
चक्रधर को जेल में पहुंचकर ऐसा मालूम हुआ कि वह नयी दुनिया में आ गये। उन्हें ईश्वर के दिये हुए वायु और प्रकाश के मुश्किल से दर्शन होते थे। भोजन ऐसा मिलता था, जिसे शायद कुत्ते भी सूंघकर छोड़ देते। वस्त्र ऐसे, जिन्हें कोई भिखारी पैरों से ठुकरा देता, और परिश्रम इतना करना पड़ता था […]
मनोरमा – मुंशी प्रेमचंद भाग – 7
संध्या हो गयी है। ऐसी उमस है कि सांस लेना कठिन है, और जेल की कोठरियों में यह उमस और भी असह्य हो गई है। एक भी खिड़की नहीं, एक भी जंगला नहीं। उस पर मच्छरों का निरन्तर गान कानों के परदे फाड़े डालता है। यहीं एक कोठरी में चक्रधर को भी स्थान दिया गया […]
मनोरमा – मुंशी प्रेमचंद भाग – 6
राजा-यह आप क्या कहते हैं? मैंने सख्त ताकीद कर दी थी कि हर एक मजदूर को इच्छा-पूर्ण भोजन दिया जाय। क्यों दीवान साहब, क्या बात है? हरसेवक-धर्मावतार, आप इन महाशय की बातों में न आइए। यह सारी आग इन्हीं की लगायी हुई है। मुंशी-दीनबन्धु, यह लड़का बिलकुल नासमझ है। दूसरों ने जो कुछ कह दिया, […]