fifty shades darker novel in Hindi
fifty shades darker novel in Hindi

fifty shades darker novel in Hindi: “हे!” क्रिस्टियन ने बड़े ही लगाव से मुझे बांहों में खींचा, “एना प्लीज़ रोना बंद करो।” उसने विनती की। वह बाथरूम के फर्श पर है और मैं उसकी गोद में हूं। मैंने उसके गले में बांहें डाल दीं और रोने लगी। वह प्यार से मेरे गले, पीठ और सिर को सहलाता रहा।

“मुझे माफ कर दो बेबी!” यह सुनकर तो मैं और भी जोर से रोने लगी।

हम पता नहीं वहां कब तक बैठे रहे। जब मैं शांत हुई तो वह मुझे उठाकर अपने कमरे में ले गया और पलंग पर लिटा दिया। कुछ ही देर में वह मेरे साथ था और बत्तियां बंद हो गईं। उसने मुझे बांहों में भरा और जकड़ लिया, मैं बेचैनी से भरी नींद की गोद में समा गई।

एक झटके से आंख खुली। क्रिस्टियन मेरे आसपास लता की तरह लिपटा हुआ था। वह नींद में ही कुनमुनाया। मैं उसकी बांहों के घेरे से निकल आई पर उसकी आंख नहीं खुली। मैंने अलार्म घड़ी पर नज़र मारी। अभी तो सुबह के तीन बजे थे। मुझे एक ड्रिंक और एडविल चाहिए। मैंने किसी तरह हिम्मत बटोरी और रसोई की ओर चल दी।

फ्रिज खोला तो संतरे के रस का डिब्बा दिख गया। मैंने वही गिलास में डाल लिया। ओह! पीकर चैन आ गया। फिर मैंने दराजों में घुसपैठ की ताकि कोई दर्द निवारक दवा दिख जाए। अचानक दवाओं से भरा प्लास्टिक का बैग दिख गया। मैंने दो एडविल निगलीं और एक गिलास जूस फिर से डाल लिया।

कांच की दीवार के पास घूमते हुए सिएटल पर नज़र पड़ी। क्रिस्टियन के किले या दुर्ग के नीचे सोते शहर की बत्तियां टिमटिमाती दिखाई दीं।

ठंडी खिड़की से सिर टिकाने से बड़ा सुकून मिला। मुझे कल की बातें पता चलने के बाद बहुत कुछ विचार करना है। मैं कांच से पीठ टिकाकर वहीं बैठ गई। बड़ा कमरा अँधेरे में नहाया हुआ है और रसोई में लगे लैंपों की रोशनी ही पूरे कमरे में पड़ रही है।

क्या मैं यहां रह सकती हूं? उससे शादी कर सकती हूं? उसने यहां क्या-क्या नहीं किया, क्या ये सब जानने के बाद भी यहां रह सकती हूं?

शादी का ख़याल तो अभी सोच और उम्मीद से भी कहीं परे है। इस जगह का इतिहास भी तो कितना अलग है।

मेरी मुस्कान मंद हो गई। मैं उसकी मां जैसी दिखती हूं। यह याद कर मेरा दिल तड़प उठा। हम सभी उसकी मां जैसी दिखती हैं।

मैं उसके इस राज को जानने के बाद भी………। तभी तो वह मुझे इस बारे में बताना नहीं चाहता था। वैसे एक बात यह भी तो है कि उसे अपनी मां के बारे में याद ही कितना होगा। क्या मुझे एक बार डॉ. फिल्न से इस बारे में बात करनी चाहिए। क्या क्रिस्टियन मुझे ऐसा करने देगा? ये अच्छा होगा या बुरा? मैंने आंखें बंद कीं और अपना सिर पीछे की ओर टिकाकर एक गहरी सांस ली।

अचानक ही एक तीखी सी चीख से वहां की शांति भंग हो गई और मेरे शरीर के रोंगटे खड़े हो गए। क्रिस्टियन! क्या हुआ उसे?

मैं झट से कमरे की ओर भागी और वहां की बत्तियां जला दीं। वह बड़ी बेचैनी से करवटें बदल रहा है। वह फिर से चिल्लाया और उसकी वह आवाज मेरी आत्मा को भेदती चली गई।

ओह! बुरा सपना देख रहा है!

“क्रिस्टियन!” मैंने उसके ऊपर झुककर कंधों से झझकोर दिया। उसने आंखें खोलीं तो उसकी सुनसान आंखें कमरे में यहां-वहां मंडराने के बाद मुझ पर आ टिकीं।

“तुम चली गई थीं। चली गई थीं। तुम सच में मुझे छोड़ गई थीं।” वह बुदबुदाया और मेरे कलेेजे में टीस सी उठी।

“मैं यही हूं।” मैंने उसके पास पलंग पर बैठकर कहा। फिर मैंने उसे तसल्ली देने के लिए अपनी हथेली उसके मुंह पर रखी।

“तुम चली गई थीं।” आंखों में अब भी डर के साए लहरा रहे हैं।

“मैं तो कुछ पीने गई थी। मुझे प्यास लगी थी।”

उसने आंखें बंद कर अपना चेहरा मला और जब आंखें खोलीं तो उनमें जाने कहां-कहां की वीरानियां पसरी हुई थीं।

ओह! इसका ये डर… मैं इसे महसूस कर सकती हूं। उसकी टी-शर्ट पसीने से भीगी हुई है। दिल तेजी से धड़क रहा है। उसने मुझे कस कर जकड़ लिया ताकि खुद को यकीन दिला सके कि मैं उसके पास ही हूं। मैंने प्यार से उसके गाल और बाल सहलाए।

“क्रिस्टियन देखो! मैं कहीं नहीं गई। मैं तो यही हूं।” मैंने उसे दिलासा दिया।

“ओह एना!” उसने आह भरी। उसने मेरी चिबुक थामी और चूमने लगा।

उसके पूरे शरीर में वासना सुलगने लगी। उसके होंठ मेरे चेहरे, मेरे कानों, गले, पीठ.. को चूमते जा रहे हैं। वह अपने दांतों से हौले-हौले मेरे निचले होंठ को काट रहा है। उसके हाथ शरीर के अलग-अलग अंगों को छूकर जगाते जा रहे हैं। फिर उसने एक ही झटके में मेरी टी-शर्ट उतारकर फेंक दी। उसके स्पर्श से मेरे पूरे शरीर में सनसनाहट सी होने लगी। उसने अपने दोनों हाथों को ज्यों ही मेरे वक्षस्थल पर रखा तो मेरे मुंह से न चाहने पर भी सिसकारी निकल गई।

“मैं तुम्हें चाहता हूं।” वह हौले से बोला।

“मैं यहां तुम्हारे लिए आई हूं। क्रिस्टियन! मैं तुम्हारे लिए ही तो हूं।”

उसने एक आह भरी और मुझे फिर से कसकर चूम लिया। मैंने आज तक उसके इस जुनून को इस कदर महसूस नहीं किया। मैंने भी दोनों हाथों से उसकी टी-शर्ट उतार दी। उसकी आंखें एक अनजाने रहस्य से चमक रही हैं। उनमें उसकी चाह झांक रही है। उसने दोनों हाथों में मेरा चेहरा भरा और चूमता चला गया। वह मुझे चाहता है पर उसने आज अपनी मां के बारे में जो शब्द कहे, वे अचानक ही बार-बार कानों में बजते हुए मुझे छलने लगे। ऐसा लगा मानो किसी ने मेरी वासना पर ठंडा पानी उड़ेल दिया हो। ओह! मैं इसके साथ यह सब नहीं कर सकती। अभी तो बिलकुल नहीं कर सकती।

“क्रिस्टियन……बस करो। मैं यह सब नहीं कर सकती।” मैंने अपने दोनों हाथों से उसे परे धकेलते हुए कहा।

क्या? क्या हुआ? उसने मेरी गले को चूमा और अपनी जीभ की नोक को पूरी गर्दन पर घुमाता हुआ ले गया। ओह…।

नहीं प्लीज़! मैं यह नहीं कर सकती। मुझे थोड़ा वक्त चाहिए।

ओह एना! इस बारे में ज्यादा मत सोचो। उसने मेरे कान की लबों को कुतरते हुए कहा।

ओह! मेरा अपना ही शरीर मुझे छल रहा है। ये मेरे दिमाग का साथ नहीं दे रहा।

“एना! मैं तो वही हूं। मैं तुम्हें चाहता हूं। तुम मेरी ज़रूरत हो। प्लीज़ मुझे अपने हाथों से छुओ।” उसने मेरी नाक से अपनी नाक रगड़ी और मैं इन शब्दों को सुनकर पिघल गई।

उसे हाथ लगाऊं! शारीरिक संबंध बनाते हुए उसे छू सकती हूं? ओह कितना प्यारा एहसास!

वह कमरे की हल्की रोशनी के बीच मुझे ताक रहा है। मैं देख सकती हूं कि वह मेरे फैसले के इंतज़ार में है और मैंने बेहिचक उसकी छाती के बालों पर हाथ रख दिया। मेरा हाथ धीरे-धीरे रेंगने लगा और उसके पूरे शरीर में एक अजीब सी सरसराहट होने लगी।

उसने अपना सिर मेरी गर्दन में गड़ा दिया और मुझे चूसने और काटने लगा। उसके होंठ मानो मेरे शरीर के एक-एक अंग की पूजा कर रहे हों। मैं अपने शरीर पर उसके गठे हुए हाथों की छुअन का रस ले रही हूं। उसके होठों ने वक्षस्थल व निप्पलों को अपनी छुअन से एक अनूठे ही आनंद में विभोर कर दिया है।

मेरे मुंह से सिसकारी निकली और मैंने अपने नाखून उसकी पीठ में धंसा दिए। उसके मुंह से भी एक विचित्र सा स्वर निकला।

ओह एना। उसके इस सुर में मानो सारी पीड़ा बाहर छलक आई। मेरा दिल कचोट उठा और पेट के निचले हिस्से की सारी मांसपेशियां तन गईं। ओह! मैं इसके लिए क्या कर सकती हूं! मैं अब हांफ रही हूं और उसकी सांसें भी उथली हो आई हैं।

उसके हाथ मेरे पेट और उसके निचले हिस्से पर मंडरा रहे हैं और उसकी अंगुलियां हरकत करते-करते..

एना! उसने मेरे हाथ में फॉयल पैकट थमाते हुए कहा, “अगर तुम ये नहीं करना चाहतीं तो अभी इंकार कर सकती हो। तुम कभी भी इंकार कर सकती हो। मैं तुम पर कोई दबाव नहीं डालना चाहता।”

“क्रिस्टियन! तुम मुझे कुछ सोचने का मौका भी मत दो। मैं तुम्हें इसी वक्त पाना चाहती हूं।” मैंने अपने दांतों से फॉयल पैकेट खोला और उसे पहना दिया। “एना! तुमने मुझे जंगली बना दिया है।”

मैं हैरान हूं कि मेरा स्पर्श इस इंसान को कितना बदल देने की ताकत रखता है। अब मेरे संदेह, मेरे दिमाग के किसी गहरे अँधेरे कोने में जा छिपे हैं। मैं इस आदमी के नशे में मदमस्त हूं। मेरा अपना मैन! मेरा फिफ्टी! उसने अचानक ही झटका दिया और मैं उसके ऊपर आ गई।

“आज ये बाजी तुम खेलोगी।” उसने गहरे शब्दों में कहा।

ओह! मैं धीरे-धीरे खेल में खोती चली गई। मेरे भीतर का वह खालीपन एक पल भर में भर गया और मैं अपने-आप को पूरी तरह से भरा-पूरा महसूस कर रही हूं। ये दुनिया का सबसे ख़ास एहसास है। ऐसा लग रहा है मानो मैं कोई देवी हूं। मैं आगे झुकी और उसके चिबुक को अपने होठों से छुआ। अपने दांतों से उसके जबड़े को हौले से काटा। वह सचमुच बहुत ही प्यारा है।

“एना……मुझे अपने हाथों से छुओ, प्लीज़!”

ओह! मैंने अपने दोनों हाथ उसकी छाती पर टिका दिए और उसके मुंह से सुबकी जैसी आवाज़ निकली।

मेरी अंगुलियां थरथरा उठीं। वह एक झटके से हिला और मैं उसके नीचे थी।

बस एना, बस। उसके सुर की तड़प से अंदाजा लगाया जा सकता था कि उसे उस छुअन को झेलने के लिए कितनी कोशिश करनी पड़ती होगी। मेरे होंठ उसके होठों को एक बार छू लेने के लिए तरस उठे और मैंने दोनों हाथों में उसका चेहरा भरते हुए होठों को चूम लिया

ओह एना!!!!

उसने एक आह भरी और इसके साथ ही वह मेरे शरीर से एक लता की तरह चिपक गया। हम दोनों एक साथ पार उतरे।

मैंने उसे अपनी गोद में भर लिया। उसका सिर मेरी छाती पर टिका है और हम अपने संतुष्टि से भरे शारीरिक संबंध बनाने के बाद चुपचाप बैठे हैं। मैं उसके बालों में हाथ फिराते हुए, उसकी सांसों के सामान्य होते स्वर को सुन सकती हूं।

“मुझे कभी छोड़कर मत जाना।” मैंने अपना मुंह घुमाया और इस बात की तसल्ली कर ली कि वह मुझे देख न सके और फिर अपनी आंखें नचाईं।

“मैं जानता हूं कि तुम आंखें मटका रही हो।” उसके सुर में हंसी का पुट था।

“ओह! तुम मुझे कितनी अच्छी तरह जानते हो।”

“मैं तुम्हें और भी बेहतर तरीके से जानना चाहूंगा।”

“वैसे ग्रे! तुम कौन सा बुरा सपना देख रहे थे?”

“वही पुराना।”

“बताओ तो सही।”

उसने थूक निगला और चेहरे का तनाव लौट आया। “मैं तीन साल का हूं और वेश्या का दलाल फिर से गुस्से में है। वह एक के बाद एक सिगरेट फूंक रहा है और उसे एश-ट्रे नहीं मिलती।” उसकी बात सुनते ही जैसे मेरा पूरा शरीर ठंडा पड़ गया।

“इससे तकलीफ होती है। मुझे बस इसके बाद का दर्द ही याद है। वही रात को बुरे सपने बनकर मुझे जगाता है और ख़ास बात यह थी कि मेरी मां ने भी उस इंसान को रोकने की कोशिश नहीं की थी।”

अरे नहीं! ये सब तो सुना भी नहीं जाता। मैंने उसके आसपास अपनी पकड़ और भी कस दी। मैं कोशिश कर रही हूं कि गला न रुंधे। कोई किसी बच्चे के साथ ऐसा बर्ताव कर भी कैसे सकता है? उसने मुंह उठाया और अपनी गहरी आंखों से मुझे ताका।

“तुम उसके जैसी नहीं हो। कभी ऐसी बात अपने मन में भी मत लाना।” वह बोला

मैंने पलकें झपकाईं। ये बात सुनकर दिल को तसल्ली सी मिली। उसने मेरी छाती पर अपना सिर फिर से टिका दिया और अपनी बात जारी रखते हुए मुझे अचंभे में डाल दिया।

“कभी-कभी वह सपनों में फ़र्श पर लेटी दिखती है। मैं सोचता हूं कि वह सो रही है पर वह नहीं हिलती। वह कभी नहीं हिलती। और मुझे भूख लगी है। बहुत जोरों की भूख लगी है।”

ओह! क्या सपना है।

“अचानक तेज़ आवाज़ के साथ वह लौट आता है और मुझे जोर से ठोकर मारता है। उस वेश्या को कोसता है। वह हमेशा अपनी मुट्ठी या बेल्ट से वार करता था।”

“यही वजह है कि तुम किसी के हाथों की छुअन सह नहीं पाते।”

उसने आंखें बंद कीं और मुझे कसकर गले से लगा लिया। ये सब बहुत उलझन से भरा है। उसने मेरे वक्षस्थल के बीच नाक से गुदगुदी की और मेरा ध्यान दूसरी ओर ले जाना चाहा।

“मुझे बताओ।” मैं बोली।

उसने उसांस भरी, “वह मुझे प्यार नहीं करती थी। मैं उससे प्यार नहीं करता था। मैं बस उसके एक कठोर… स्पर्श को ही पहचानता था। यह सब वहीं से शुरू हुआ। डॉ. इसे मेरे से ज्यादा बेहतर तरीके से बता सकते हैं।”

“क्या मैं उनसे मिल सकती हूं?”

उसने सिर उठाकर मुझे देखा। “तुम भी फिफ्टी शेड्स के रंगों में घिरती जा रही हो।”

“हां, क्यों नहीं। मैं ऐसा करना चाहती हूं।”

“हां, मिस स्टील! मुझे भी अच्छा लगेगा।” उसने आगे झुककर एक चुंबन रसीद कर दिया।

“एना! तुम मेरे लिए बहुत कीमती हो। शादी का प्रस्ताव एक गंभीर बात थी। हम दोनों एक दूसरे को जान सकते हैं। तुम मेरा ख़याल रख सकती हो। मैं तुम्हारा ख़याल रख सकता हूं। मैं अपनी पूरी दुनिया तुम्हारे कदमों में डाल दूंगा। एना! अगर तुम चाहो तो हमारे घर में बच्चे भी होंगे। एनेस्टेसिया! मैं अपनी सारी दुनिया, तुम्हारे कदमों में डाल दूंगा। मैं हमेशा-हमेशा के लिए तुम्हारे शरीर और आत्मा को अपना बना लेना चाहता हूं। मेहरबानी करके, तुम इस बारे में सोचो।”

“क्रिस्टियन! मैं इस बारे में ज़रूर सोचूंगी।” मैंने उसे दिलासा दिया पर मन ही मन बच्चों वाली बात से मैं भी हिल गई हूं।

“मुझे डॉ. से एक बार बात करनी होगी।”

“बेबी! जैसा तुम कहो। तुम्हारे लिए तो कुछ भी हाज़िर है। तुम कब मिलना चाहोगी?”

“जल्द से जल्द।”

“अच्छा! मैं आज सुबह ही इंतज़ाम करवाता हूं।” उसने घड़ी पर नज़र मारी।

“देर हो गई है। हमें सोना चाहिए।” उसने लाइट बंद की और मुझे अपने पास खींच लिया।

मैंने घड़ी देखी तो हैरान रह गई। पौने चार बज गए थे।

उसने मेरी पिछली ओर से मुझे बांहों में भरा और गर्दन गुदगुदाते हुए बोला, “एना स्टील!

मैं तुमसे प्यार करता हूं और तुम्हें हमेशा अपने साथ पाना चाहूंगा। अब सो जाओ।”

मैंने आंखें बंद कर लीं।

बेमन से भारी पलकें उठाकर, जगी तो पूरा बदन टूट रहा था और क्रिस्टियन पूरी तरह से मुझसे लिपट कर सोया हुआ था। मैंने अपनी बांह को, उसकी पकड़ से बाहर निकाला तो वह मन ही मन कुछ बुदबुदाया, जो समझ नहीं आया। सुबह के पौने नौ हो गए थे।

मारे गए। मैं तो आज लेट हो गई। मैं पलंग से कूदकर बाथरूम की ओर भागी। नहाकर बाहर आने में मुश्किल से चार मिनट लगे होंगे। मैं अपने कपड़े सहेजने लगी तो वह जाग गया और पलंग पर बैठकर मुझे बड़े मज़े से ताकने लगा। शायद वह चाहता है कि मैं कल की बातों के बारे में अपनी राय दूं पर अभी तो मेरे पास दम लेने की भी होश नहीं है।

मैंने अपने कपड़े देखे, काली स्लैक्स और काली शर्ट- चाहे जैसे भी लगें पर अभी सोचने का ज्यादा वक्त नहीं है। मैंने अंतर्वस्त्र पहने और कनखियों से देखा, वह मुझे ही ताक रहा था।

“एना! तुम कितनी प्यारी दिख रही हो।” उसने बड़े ही नशीले सुर में कहा और दिल में तो आया कि ऑफिस भूल-भाल कर……। नहीं-नहीं, काम पर तो जाना ही होगा।

“नहीं क्रिस्टियन! मैं आराम नहीं कर सकती। मैं किसी कंपनी की सीईओ नहीं हूं, जो अपनी मर्जी से कभी भी आ-जा सकता है।”

“अच्छा! तो मैं जब जी चाहे आ सकता हूं।” उसने दुष्टता से भरी मुस्कान दी।

“क्रिस्टियन!” मैंने फटकारा। मैंने उस पर अपना तौलिया दे मारा और वह हंसने लगा।

“बड़ी प्यारी मुस्कान है! हां, तुम जानते हो कि तुम्हारी इस मुस्कान का मुझ पर क्या असर होता है?” मैंने घड़ी पहनते हुए कहा।

“अच्छा! क्या मैं जानता हूं?”

“हां, तुम सभी औरतों पर यही असर डालते हो। मैं तो उन्हें देख-देखकर तंग आ गई हूं।”

“ऐसा क्या?” उसने एक भौं तिरछी की।

“मि. ग्रे! ज्यादा भोले न बनें। ये आपको सूट नहीं करता।”

मैंने झट से बालों को पोनीटेल में बांधा और काली हील पहन ली। बस हो गई तैयार!

मैं उसे गुडबाय किस देने गई तो उसने मुझे झट से दबोचा और पलंग पर लिटाकर मुस्कुराने लगा। हाय! ये कितना प्यारा, सुंदर, दिलकश, सेक्सी और शरारती दिख रहा है।

मैं कल की बातों से हिली पड़ी हूं और वह किसी ताजा फूल की तरह दिख रहा है। इसके रंग भी दुनिया से ही न्यारे हैं।

मैं ऐसा क्या कर सकता हूं कि तुम आज ऑफिस न जाओ।” उसने कहा और मेरा दिल जैसे धड़कना ही भूल गया। इसे तो दिल लुभाना आता है।

“तुम ऐसा कुछ नहीं कर सकते। मुझे जाने दो।”

उसने मुंह बनाया और मैं मुस्कुरा कर खड़ी हो गई। मुझे तो ये इस तरह बिखरे-बिखरे अंदाज में और भी प्यारा लगता है।

मैंने आगे झुककर उसे चुंबन दिया। शुक्र है कि मैंने दांत ब्रश कर लिए थे। उसने तो मुझे इस चुंबन के साथ ही बेदम कर दिया।

मैं हांफने लगी तो वह बोला, “टेलर तुम्हें फटाफट छोड़ आएगा।” वह नीचे पार्किंग में इंतज़ार कर रहा है।

“अच्छा! थैंक्स।” मुझे गुस्सा तो आया कि आज भी साब चलाने का मौका नहीं मिलेगा पर वह ठीक कह रहा है। टेलर जल्दी छोड़ देगा।

“मि. ग्रे! आप अपनी अलसाई सुबह का मज़ा लें। काश! मैं भी ऐसा कर सकती। वैसे मैं जिस बंदे की कंपनी में काम करती हूं, वह कभी पसंद नहीं करेगा कि उसका स्टाफ उसे हॉट सेक्स करने के लिए धोखा दे।” मैं पर्स की ओर लपकी।

“मिस स्टील! मुझे तो लगता है कि उसे बुरा नहीं लगेगा। शायद वह तो ऐसा ही करना चाहता है।”

“तुम इतनी देर तक पलंग पर क्या कर रहे हो? यह तो तुम्हारे स्वभाव में नहीं है।”

उसने अपने हाथ सिर के पीछे बांधो और मुस्कराया, “क्योंकि मैं कर सकता हूं, मिस स्टील।”

मैंने भी गर्दन हिलाई और एक हवाई चुंबन देकर कहा, “मिलते हैं बेबी!”

टेलर मेरे इंतज़ार में है और लगता है कि उसे भी पता है कि मुझे देर हो गई है। उसने अंधाधुंध गाड़ी चला कर मुझे सवा नौ पहुंचा दिया। उसने गाड़ी रोकी तो मैंने चैन की सांस ली कि मैं जिंदा हूं और बस पंद्रह मिनट की ही देर हुई है।

“थैंक्स टेलर!” मैंने स्याह चेहरे के साथ कहा। मुझे याद आया, क्रिस्टियन ने बताया था कि वह टैंक भी चलाना जानता है!

“एना!” उसने गर्दन हिलाई और मैं ऑफिस की ओर लपकी। मुझे ध्यान आया कि शायदटेलर अब मिस स्टील वाली औपचारिकता से ऊपर उठ गया है। चेहरे पर मुस्कान छा गई।

क्लेयर ने भी रिसेप्शन से एक मुस्कान दी।

“एना! यहां आओ।” तभी जैक की पुकार सुनाई दी।

मर गए आज तो!

“तुम्हारे हिसाब से अभी कितने बजे हैं?”

“सॉरी! आज नींद देर से खुली।”

“ऐसा दोबारा न हो। मेरे लिए कॉफी लाओ और फिर कुछ ख़त भी तैयार करने हैं। जल्दी करो।” उसने कहा।

ये इतना गुस्से में क्यों है? इसकी परेशानी क्या है? मैंने ऐसा क्या कर दिया? मैं रसोई की ओर लपकी। मैंने इसे क्या कह दिया?

वैसे घर रह कर क्रिस्टियन के साथ कुछ करना, नाश्ता करना या वक्त बिताना कहीं बेहतर होता।

जैक के ऑफिस में गई तो उसने हाथ से लिखा एक कागज मुंह पर दे मारा।

“इसे टाइप करो। मेरे साइन लो और कॉपी करके हमारे लेखकों को मेल कर दो”

“जी जैक!”

उसने मुझे देखा तक नहीं। लगता है ज्यादा ही सड़ा पड़ा है।

शुक्र है कि बैठने का टाइम तो मिला। मैंने अपनी चाय का घूंट भरते हुए कंप्यूटर के ऑन होने का इंतजार किया। फिर अपने ई-मेल देखे।

फ्रॉम: क्रिस्टियन ग्रे

सब्जेक्ट: तुम्हारी याद आ रही है

डेट: जून 15 2011 09:05

टू: एनेस्टेसिया स्टील

प्लीज़ अपना ब्लैकबेरी इस्तेमाल करो।

क्रिस्टियन ग्रे सीईओ,

ग्रे इंटरप्राइजिस होल्डिंग्स, इंक

फ्रॉम: एनेस्टेसिया स्टील

सब्जेक्ट: कुछ लोगों के लिए ठीक

डेट: 15 जून 2011 09:27

टू: क्रिस्टियन ग्रे

मेरा बॉस भन्नाया बैठा है

मैं तो तुम्हारी हरकतों के कारण लेट हुई हूं।

तुम्हें अपने पर शर्म आनी चाहिए।

एनेस्टेसिया स्टील

एसआईपी संपादक, जैक हाइड की सहायिका

फ्रॉम: क्रिस्टियन ग्रे

सब्जेक्ट: मेरी शरारतें या कौन-सी हरकतें?

डेट: जून 15 2011 09:32

टू: एनेस्टेसिया स्टील

एना! तुम्हें काम करने की ज़रूरत ही क्या है?

तुम नहीं जानतीं कि मैं अपनी हरकतों पर कितना शर्मिंदा हूं।

पर तुम्हें देर करवाने की भी अपना ही एक मज़ा है।

प्लीज़ अपने फोन का इस्तेमाल करो।

और हां, मुझसे शादी कर लो।

क्रिस्टियन ग्रे

सीईओ, ग्रे इंटरप्राइजिस होल्डिंग्स, इंक

फ्रॉम: एनेस्टेसिया स्टील

सब्जेक्ट: जीने के लिए काम करना होता है

डेट: 15 जून 2011 09:35

टू: क्रिस्टियन ग्रे

मैं तुम्हारी शिकायतें करने की आदत को जानती हूं पर अब संभल जाओ।

मुझे पहले तुम्हारे मनोचिकित्सक से बात करनी होगी।

एनेस्टेसिया स्टील

एसआईपी संपादक, जैक हाइड की सहायिका

फ्रॉम: क्रिस्टियन ग्रे

सब्जेक्ट: ब्लैकबैरी

डेट: जून 15 2011 09:40

टू: एनेस्टेसिया स्टील

एनेस्टेसिया! अगर डॉ. फिल्न से बात करने जा रही हो तो प्लीज फोन से बात करना।

ये कोई विनती नहीं है।

क्रिस्टियन ग्रे

अब थोड़ा-सा चिढ़ा हुआ सीईओ, ग्रे इंटरप्राइजिस होल्डिंग्स, इंक

“ओह! अब इसे नाराज़ होने की क्या पड़ गई? मैंने जैसे ही पर्स से फोन निकाला तो घंटी बज गई। ओह ये मुझे काम क्यों नहीं करने दे रहा।

मैंने गुस्से से कहा, “क्या है?” उधर से जोंस का स्वर सुनाई दिया।

“एना मैं हूं। तुम ठीक तो हो?”

“ओह! सॉरी।”

“एना! अब भी ग्रे के साथ ही रह रही हो?”

“हां… क्यों?”

“उसने तुम्हारे सारे फोटो खरीद लिए हैं। मैं सिएटल आ रहा था तो सोचा कि उसे सारी तस्वीरें पहुंचा दूं। वीरवार को प्रदर्शनी खत्म होते ही, शुक्रवार को मैं उन्हें ले आऊंगा। अगर मौका मिले तो एक-एक जाम भी लगा लेंगे। कितने दिन से मिलकर नहीं बैठे। बहुत सारी गप्पें लगानी हैं।”

“जोंस! यह तो बहुत अच्छी बात है। बेशक कोई न कोई रास्ता निकल आएगा। मैं क्रिस्टियन से बात करके तुम्हें बताती हूं।”

“अच्छा। मैं इंतजार करूंगा। बाय एना।”

“बाय।” उसने फोन रख दिया।

हाय! एक जमाने से हमने गप्पें नहीं मारीं। मैंने उससे पूछा भी नहीं कि प्रदर्शनी कैसी रहीं? कैसी दोस्त हूं मैं भी!

शुक्रवार शाम जोंस के साथ बिताई जा सकती है पर क्रिस्टियन को कैसा लगेगा? मैं जानती हूं कि मैं बुरी तरह से अपना होंठ काट रही हूं। ओह! ये बंदा भी कितने दोहरे मापदंड रखता है। क्योंकि वह रख सकता है- ये ख्याल मन में आते ही मैंने कंधे झटक दिए। यह तो तय है कि क्रिस्टियन को इस बात के लिए राजी करना आसान नहीं होगा। जीसस!

“एना! जैक ने मेरे ख्यालों की दुनिया से बाहर ला पटका। सारे लेटर कहां हैं?”

“हो गए। बस अभी लाई।” इसे आज हुआ क्या है?

मैंने झट से लेटर टाइप किया और उसके ऑफिस की ओर भागी।

“ये लो।”

उसने लेटर पर नज़र मारी और दहाड़ा, “मैं नहीं जानता कि तुम यहां से बाहर क्या करती हो पर यहां तो मैं तुम्हें काम के लिए ही वेतन देता हूं।”

“जैक! मैं जानती हूं।” मैंने हौले से कहा।

“ये गलतियों से भरा पड़ा है। फिर से टाइप करो।”

हाय! ये किसी और बंदे की तरह बर्ताव कर रहा है पर मैं सिर्फ क्रिस्टियन की ओर से ही ऐसा बर्ताव सह सकती हूं।

“काम होते ही एक और कॉफी दे जाना।”

मैं झट से बाहर आ गई।

इसे तो सहना मुश्किल होता जा रहा हैं। मैंने लेटर देखा तो दो गलतियां थीं और उसने ऐसा बावेला मचा दिया मानो कहीं आग लग गई हो। मैंने उसके लिए एक और कॉफी ली और क्लेयर को आंख के इशारे से बताया कि आज जैक का मूड कैसा है। उसांस भरी और उसके ऑफिस में कदम रखा।

“ठीक है। फोटोकॉपी करो। ऑरीजनल को फाइल करो और बाकी लेखकों को मेल कर दो। समझीं?”

“हां। जैक! सब ठीक तो है न?”

उसने नीली आंखों से मुझे ताका और मेरा लहू वहीं जम गया।

“नहीं।” उसने बदतमीजी से कहा। मैं दनदनाती हुई बाहर आ गई। लगता है कि यह भी पर्सनेलिटी डिसऑर्डर का शिकार है। मैं ऐसे लोगों से क्यों घिरी पड़ी हूं। मैं कॉफी मशीन के पास गई तो उसमें पेपर फंसा हुआ था। उसे निकाला तो पता चला कि प्लेन पेपर खत्म है। आज का दिन ही कचरा है।

जब डेस्क पर आई तो फोन पर ईथन था।

“हाय एना! कल रात कैसा रहा? कल रात! दिमाग में कल रात की सारी तस्वीरें नाच गईं…।”

“ओह ठीक रहा।”

ईथन बोला, “अच्छा क्या मैं चाबियां ले सकता हूं?”

“हां-हां ले लो।”

“मैं आधे घंटे में आऊंगा। कॉफी पीने चलें क्या?”

“नहीं, आज नहीं! आज मैं देर से आई और इस समय बॉस का पारा सातवें आसमान पर है। वह चोट खाए शेर की तरह पिंजरे में चक्कर काट रहा है।”

“हाय! सुनकर ही डर लग रहा है।”

“बिल्कुल यही हालात हैं।”

वह सुनकर हंस दिया।

फोन रखते समय देखा। जैक यहीं घूर रहा था। मैं झट से काम पर बैठ गई।

आधे घंटे बाद रिसेप्शन से क्लेयर का फोन आया।

“यार! तेरा वही हैंडसम दोस्त आया है।”

ईथन को देखकर अच्छा लगा।

“क्या आज शाम कहीं चलें?” उसने पूछा।

“नहीं, मैं तो क्रिस्टियन के साथ ही रहूंगी।”

“अच्छा! बड़ा गहरा असर पड़ा है।” उसने मज़ाक किया।

वह चला गया तो मैंने सोचा कि सचमुच मैंने क्रिस्टियन को अपनी पूरी जिंदगी पर किस तरह हावी कर लिया है।

अचानक जैक पहुंच गया, “कहां थीं तुम?”

“मैं रिसेप्शन पर किसी काम से गई थी।”

“मुझे अपना लंच चाहिए।” वह पैर पटकता हुआ लौट गया।

आज मैं क्रिस्टियन के साथ घर क्यों नहीं रही। भीतर बैठी लड़की भी दोनों बाजुएं मोड़े, मुंह फुलाए बैठी है। वह इस बात का जवाब चाहती है। मैंने पर्स और फोन लिया और दरवाजे की ओर लपकी। फिर मैंने मैसेज देखे।

फ्रॉम: क्रिस्टियन ग्रे

सब्जेक्ट: तुम्हारी याद आ रही है।

डेट: जून 15 2011 09:06

टू: एनेस्टेसिया स्टील

मेरा पलंग तुम्हारे बिना बहुत बड़ा दिख रहा है।

कुछ काम करने की सोच रहा हूं।

लगता है कि दीवाने सीईओ को भी काम पर जाना ही होगा।

क्रिस्टियन ग्रे

अपने अंगूठे फटकारते हुए

सीईओ, ग्रे इंटरप्राइजिस होल्डिंग्स, इंक

फिर उसका एक और ई-मेल आया हुआ था।

फ्रॉम: क्रिस्टियन ग्रे

सब्जेक्ट: विवेक

डेट: जून 15 2011 09:50

टू: एनेस्टेसिया स्टील

विवेक से काम लोगी तो अच्छा रहेगा।

प्लीज़ ज़रा दिमाग से काम लो… तुम्हारे काम के ई-मेलों पर नज़र रखी जाती है।

ये बात मुझे तुम्हें आखिर कितनी बार बतानी होगी?

बेशक चीखते शब्दों में ही याद दिला रहा हूं। अपना ब्लैकबेरी इस्तेमाल करो।

क्रिस्टियन ग्रे

अब भी चिढ़ा हुआ

सीईओ, ग्रे इंटरप्राइजिस होल्डिंग्स, इंक

एक घंटे बाद एक और ई-मेल आ गया। ओह नहीं!

फ्रॉम: क्रिस्टियन ग्रे

सब्जेक्ट: पतंगे

डेट: जून 15 2011 12:15

टू: एनेस्टेसिया स्टील

क्या बात है, जवाब क्यों नहीं दे रहीं?

प्लीज़ मुझे बताओ कि तुम ठीक हो तुम जानती हो कि मुझे चिंता हो जाती है।

वरना मैं टेलर को चेक करने भेज दूंगा।

क्रिस्टियन ग्रे

चिंतित सीईओ, ग्रे इंटरप्राइजिस होल्डिंग्स, इंक

मैंने आंखें नचाईं और उसे फोन करने लगी। मैं उसे चिंता में नहीं डालना चाहती।

क्रिस्टियन ग्रे के फोन से एंडिया पार्कर बोल रही है।

मैं अचानक उसके फोन पर दूसरी आवाज सुनकर चौंकी और सड़क पर जा रहे बंदे से टकरा गई। मैं डेल के पास ही खड़ी हूं।

“हैलो! क्या मैं आपकी कोई मदद कर सकती हूं?” वहां से आवाज आई।

“सॉरी! मैं तो क्रिस्टियन से बात करना चाहती थी।”

“मि. ग्रे एक मीटिंग में हैं। आप कोई मैसेज देना चाहेंगीं?”

“क्या आप कह देंगी कि एना का फोन था?”

“आप एनेस्टेसिया स्टील बोल रही हैं?”

“जी।”

“मिस स्टील! एक सेकेंड होल्ड करें।”

उसने फोन रख दिया। मैं समझ नहीं पा रही कि हो क्या रहा है। कुछ ही देर में फोन पर वह आ गया।

“तुम ठीक तो हो?”

“हां, मैं ठीक हूं।”

उसने चैन की सांस ली।

“क्रिस्टियन मैं ठीक क्यों नहीं होंगी?”

“तुम अक्सर मेल का जवाब जल्दी दे देती हो। मैं कल वाली बात के बाद से जरा परेशान था।” उसने धीरे से कहा और फिर ऑफिस में किसी से बात करने लगा।

“नहीं, उन्हें इंतजार करने को कहो।” ओह! मैं इसका ये सुर पहचानती हूं।

उधर का जवाब तो नहीं सुना पर क्रिस्टियन का जवाब सुना गया।

“नहीं, मैंने कहा न कि वे इंतजार करें।”

“क्रिस्टियन शायद तुम काम में व्यस्त हो। मैं रखती हूं। बस बताना चाहती थी कि मैं ठीक हूं। मैं भी व्यस्त हूं। जैक भी सुबह से कोड़े फटकार रहा है… मतलब…।” मैं शरमाकर चुप हो गई।

क्रिस्टियन ने एक पल के लिए कुछ नहीं कहा।

“कोड़े फटकार रहा है। खैर, एक वक्त था जब मैं उसे किस्मतवाला कह सकता था। उसकी आवाज में हास्य का पुट था।”

“बेबी! उसे अपने पर हावी मत होने देना।”

“क्रिस्टियन!” मैंने फटकारा और मैं जान गई कि वह मुंह बना रहा होगा।

“बस उस नजर रखना। मैं यही कहना चाहता हूं। किस वक्त लेने आना होगा।”

“मैं बता दूंगी।”

“अपने फोन से बताना।” उसने सख्ती से कहा।

“जी सर।”

“मिलते हैं बेबी!”

“बाय।”

वह अब भी फोन पर है।

“फोन रखो।” मैंने मुस्कुराते हुए फटकारा।

उसने आह भरी और फोन रख दिया।

“काश! आज तुम काम पर न जातीं।”

“मैं भी यही सोच रही थी पर अब तो काम करना होगा।”

“फोन रखो।”

“नहीं, तुम पहले रखो।”

ओह! मैं खिलंदड़े क्रिस्टियन का सुर पहचानती हूं। मुझे ये बहुत पसंद है।

हम पहले भी ऐसे पलों से गुज़र चुके हैं।

“तुम अपना होंठ काट रही हो?”

ओह! उसने ठीक कहा पर इसे कैसे पता चला?

“देखा! एना तुम कहती हो कि मैं तुम्हें जानता नहीं। पर मैं शायद तुम्हें तुमसे भी बेहतर जानता हूं।” उसने इतने हौले से कहा कि मैं अन्दर ही अन्दर पिघल गई।

“क्रिस्टियन बाद में बात होगी। अभी तो यही लग रहा है कि काश आज काम पर न आई होती।”

“मिस स्टील! तुम्हारे मेल का इंतजार करूंगा।”

“गुड डे मि. ग्रे!”

मैंने फोन रखकर डेल स्टोर की खिड़की से बाहर झांका। ओह, ये फोन पर भी कितना मालिकाना हक जताता है। मैंने अपने दिमाग से ग्रे को झटका और फिर सिरफिरे जैक के बारे में सोचने लगी।

मैं वापिस आई तो वह मुंह बनाए बैठा था।

“अगर सब हो गया हो तो मैं कुछ खा लूं?” मैंने पूछा तो उसके माथे के बल गहरा गए।

“हां, जरूरी है तो जाओ। पैंतालीस मिनट। सुबह वाले वक्त की पूर्ति करनी होगी।”

“जैक? क्या कुछ पूछ सकती हूं?”

“क्या?”

“आज इतना बदला हुआ बर्ताव क्यों कर रहे हो? क्या मैंने कुछ ऐसा किया है जो तुम्हें बुरा लगा है?”

उसने पलकें झपकाईं? “मुझे नहीं लगता कि मैं इस समय तुम्हारी अशिष्टताएं गिनाने के मूड में हूं। मुझे बहुत काम है।” वह कंप्यूटर स्क्रीन को ताकने लगा ताकि मैं वहां से बाहर आ जाऊं।

ओह! इसे हुआ क्या है?

मैं मुड़ी और ऑफिस से निकल आई।

पल भर को लगा कि मैं रो दूंगी। वह अचानक ही मुझसे इतनी नफ़रत क्यों करने लगा? मैंने मन में आई एक बेमजा सोच को झटक दिया। अभी मुझे सोचने के लिए और बहुत कुछ है। बेकार की बातों में दिमाग नहीं खपा सकती।

मैंने पास वाले स्टारबक में जाकर एक लॉते का ऑर्डर दे दिया और खिड़की के पास जा बैठी। पर्स से आई-पैड निकाला और गाने लगा लिए। गाने को रिपीट पर लगाया ताकि वह बार-बार बजता रहे।

दिमाग में क्रिस्टियन की छवियां तैरने लगीं। परपीड़क क्रिस्टियन, गुलाम क्रिस्टियन, ऐसा क्रिस्टियन जिसे छुआ नहीं जा सकता। क्रिस्टियन के डर और उसका लीला को नहलाना। मैंने उसांस भरी और आंखें मूंद लीं।

क्या मैं सचमुच इस आदमी से शादी कर सकती हूं? इसके कितने राज हैं? वह बड़ा ही उलझा हुआ है पर अन्दर ही अन्दर मैं जानती हूं कि इन बातों के बावजूद मैं इसे छोड़ना नहीं चाहतीं। मैं इससे प्यार करती हूं। अगर उससे दूर हो गई तो ऐसा लगेगा कि अपनी दाईं बांह को शरीर से अलग कर दिया।

मैंने खुद को कभी इतना जीवंत महसूस नहीं किया। उससे मिलने के बाद हर घड़ी एक नए रंग में सामने आई है। इससे पहले का जीवन कितना नीरस था।

मानो उससे मिलने से पहले मेरी जिंदगी जोंस की तस्वीरों की तरह श्वेत-श्याम थी। अब मेरी दुनिया कई रंगों से भर गई है। मैं क्रिस्टियन की रोशनी से जगमगाने लगी हूं। मैं अब भी एक इकारस की तरह सूरज के पास बहुत पास जाने की कोशिश में हूं। क्रिस्टियन के साथ उड़ना! भला इस चीज़ के लालच से कोई बच भी कैसे सकता है।

क्या मैं उसे छोड़ सकती हूं? क्या मैं उसे छोड़ना चाहती हूं? मानो उसने कोई स्विच जला कर मुझे भीतर से रोशन कर दिया है। मैंने उसी के माध्यम से खुद को जाना है। उसे जानना भी किसी रोमांच से कम नहीं रहा। मैंने अपने शरीर, उसकी कोमल व कठोर सीमाओं, मेरी सहनशक्ति, मेरे धीरज, मेरी करुणा और प्यार करने की क्षमता के बारे में जाना है।

अचानक ही एक बात बिजली की तरह दिमाग में कौंध गई। वह मुझसे बिना किसी शर्त के नि:स्वार्थ प्रेम ही तो चाहता है। उसे कभी अपनी सगी मां से यह नहीं मिला, जिसे पाने का वह हकदार था। क्या मैं उसे ये नि:स्वार्थ प्रेम दे सकती हूं? पिछली रात को बताए गए राज के बावजूद ऐसा कर सकती हूं?

मैं जानती हूं कि वह बुरी तरह से टूटा हुआ है पर मुझे लगता है कि उसकी जिंदगी को संवारा जा सकता है। मैंने उसांस भरी और टेलर के शब्दों को दोहराया, मिस स्टील! वे एक अच्छे इंसान हैं।

मैंने उसकी अच्छाई, उसके चरित्र की खूबियों को देखा है। उसके नेक कामों, भलाई और उदारता को देखा है पर उसे अपने भीतर यह सब दिखाई नहीं देता। उसे लगता है कि वह किसी के प्यार के लायक नहीं है। उसके अतीत के पन्ने पलट कर ही मैं जान सकी हूं कि वह अपने बारे में ऐसी बुरी राय क्यों रखता है? क्या मैं इन बातों से उबर सकती हूं?

एक बार उसने कहा था कि मैं उसकी पीड़ा का अनुमान तक नहीं लगा सकती और अब जब उसने यह सब बता दिया है तो लगता है कि उसने झूठ नहीं कहा था। सच उसकी पीड़ा का अनुमान लगाना भी कठिन है। पर यह भी अच्छी बात है कि कम से कम अब मैं सब कुछ जानती तो हूं।

क्या इस तरह हमारा प्यार कम हो जाएगा? नहीं, मैं ऐसा नहीं सोचती। हम दोनों जो भी महसूस कर रहे हैं, वह हमने पहले कभी नहीं किया। हम दोनों बहुत आगे आ गए हैं। उसने जिस तरह कल रात मुझे खुद को छूने दिया। वह एहसास भी क्या कुछ कम था। मेरी आंखें नम थीं। …और फिर लीला और उस तक पहुंचने का हमारा जुनून।

वैसे उसने लीला को नहलाया, यह याद करके अब मुझे उतना बुरा भी नहीं लग रहा।

पता नहीं उसने उसे मेरे कौन से कपड़े दिए होंगे। कहीं मेरी हरी पोशाक न दी हो जो मुझे बहुत पसंद थी।

तो मैं इस आदमी को सभी बातों के बावजूद प्यार दे सकती हूं क्योंकि वह इसका हकदार है। वैसे उसे दूसरों पर कम नियंत्रण रखने और समानुभूति से पेश आने जैसी बातें भी सीखनी होंगी। वह यह तो कहता है कि उसे मुझे चोट पहुंचाने का मन नहीं होता।

बुनियादी तौर पर मेरी चिंता यह है कि शायद उसे यह सब पसंद है और वह ऐसी सोच वाली औरतों को ही पसंद करता आया है। मैं उससे यही तसल्ली चाहती हूं। मैं इस आदमी के लिए सब कुछ कर सकती हूं बस यही नहीं कर सकती।

काश डॉ. फिल्न कोई जवाब दे सकें। हो सकता है कि हम दोनों को ही जीने की कोई राह मिल जाए।

मैंने लंच टाइम में गहमागहमी से भर सिएटल को निहारा। मिसेज क्रिस्टियन ग्रे! भला किसने सोचा था? मैंने घड़ी देखी। ओ तेरे की! मैं यहां एक घंटे से बैठी हूं। जैक तो मेरा कचूमर ही निकाल देगा।

मैं डेस्क की ओर लपकी। वह अपने ऑफिस में नहीं था मैंने कंप्यूटर स्क्रीन को देखा और काम में मन लगाने की सोची।

“कहां थीं तुम?”

मैं उछल पड़ी। जैक मेरे पीछे बांहें मोड़े खड़ा था।

“मैं तो बेसमैंट में फोटोकॉपी कर रही थी।” मैंने झूठ बोला। जैक ने अपने होंठ सख्ती से भींच लिए।

“मेरा साढ़े छह का प्लेन है। तुम्हें तब तब यहीं रहना होगा।”

“अच्छा!” मैंने मीठी-सी मुस्कान देने की कोशिश की।

“मैं चाहता हूं कि मेरी न्यूयार्क सामग्री की दस फोटोकॉपी हो जाएं। ब्रोशर पैक हो जाएं और थोड़ी कॉफी लाकर दो।” उसने सख्ती से कहा और पांव पटकता हुआ लौट गया।

मैंने चैन की सांस ली और उसकी पीठ पीछे जीभ निकाली। खुद को बेहतर महसूस हुआ। कमीना कहीं का!

रिसेप्शन से चार बजे क्लेयर का फोन आया।

“तुम्हारे लिए ईया ग्रे का फोन है।”

मिआ! उम्मीद करती हूं कि किसी मॉल में जाने के लिए नहीं कह रही होगी।

“हाय ईया!”

“एना हाय! कैसी हो?” उसने उमंग से कहा।

“अच्छी हूं। आज थोड़ी व्यस्त हूं। तुम बताओ?”

“मैं बोर हो रही हूं इसलिए सोचा कि क्यों न भाई के जन्मदिन की तैयारी ही कर लूं। मैं क्रिस्टियन के जन्मदिन की दावत की तैयारी में लगी हूं।”

“क्रिस्टियन का जन्मदिन! हैं, मुझे तो पता ही नहीं था। कब होता है?”

“मुझे पता था। मुझे पता था कि वह तुम्हें नहीं बताएगा। यह शनिवार को है और मॉम-डैड चाहते हैं कि हम सब एक साथ खाना खाएं। मैं तुम्हें औपचारिक रूप से न्यौता दे रही हूं।”

“ओह, थैंक्स ईया।”

“मैंने क्रिस्टियन को फोन किया था। उसी से तुम्हारा यहां का नंबर लिया।”

मेरा दिमाग चकराने लगा। मैं क्रिस्टियन के जन्मदिन के लिए क्या लूंगी? ऐसे बंदे के लिए लिया भी क्या जा सकता है, जिसके पास सब कुछ हो।

“अगल हफ्ते लंच के लिए चलें?” ईया ने पूछा।

“हां! कल ही चलते हैं। बॉस बाहर होगा इसलिए टाइम ही टाइम है।”

“वाह! एना ये ठीक रहेगा।”

“कितने बजे?”

“पौने एक मिलते हैं।”

“एना! मैं वहीं मिलूंगी। बाय” “बाय! मैंने फोन रख दिया।”

क्रिस्टियन का जन्मदिन! हाय मैं उसके लिए क्या लूं?

फ्रॉम: एनेस्टेसिया स्टील

सब्जेक्ट: दकियानूसी

डेट: 15 जून 2011 16:11

टू: क्रिस्टियन ग्रे

डियर मि. ग्रे

वैसे आप मुझे कब बताने वाले थे?

मैं अपने बूढ़े के लिए जन्मदिन का कौन-सा तोहफा ला सकती हूं।

शायद इसके हीयरिंग एड के लिए बैटरी की जरूरत होगी।

एनेस्टेसिया स्टील

एसआईपी संपादक, जैक हाइड की सहायिका

फ्रॉम: क्रिस्टियन ग्रे

सब्जेक्ट: आदिम युग से

डेट: जून 15 2011 16:20

टू: एनेस्टेसिया स्टील

बूढ़ों का मजाक नहीं उड़ाते।

शुक्र है कि तुम जिंदा हो। और ईया से बात हुई थी।

बैटरी हमेशा काम आती हैं।

मुझे अपना जन्मदिन मनाना पसंद नहीं है।

क्रिस्टियन ग्रे

बहरा सीईओ, ग्रे इंटरप्राइजिस होल्डिंग्स, इंक

फ्रॉम: एनेस्टेसिया स्टील

सब्जेक्ट: हम्म

डेट: 15 जून 2011 16:24

टू: क्रिस्टियन ग्रे

डियर मि. ग्रे मैं इस वाक्य के साथ ही आपके होंठ फुलाने की अदा की कल्पना कर सकती हूं।

इससे मुझे कुछ हो जाता है।

एनेस्टेसिया स्टील

एसआईपी संपादक, जैक हाइड की सहायिका

फ्रॉम: क्रिस्टियन ग्रे

सब्जेक्ट: आंखें नचाते हुए

डेट: जून 15 2011 16:29

टू: एनेस्टेसिया स्टील

क्या तुम ब्लैकबेरी का इस्तेमाल करोगी?

क्रिस्टियन ग्रे, खुजाती हुई हथेलियों के साथ

सीईओ, ग्रे इंटरप्राइजिस होल्डिंग्स, इंक

फ्रॉम: एनेस्टेसिया स्टील

सब्जेक्ट: प्रेरणा

डेट: 15 जून 2011 16:33

टू: क्रिस्टियन ग्रे

डियर मि. ग्रे

आपकी खुजाती हथेलियां ज्यादा देर तक टिक नहीं सकतीं, हैं न?

मैं सोच रही थी कि डॉ. फिल्न इस बारे में क्या कहेंगे?

पर अब मैं जानती हूं कि मुझे तुम्हें जन्मदिन पर क्या देना है और उम्मीद करती हूं कि ये मेरे पिछले हिस्से को सुजाने के लिए काफी होगा..

एनेस्टेसिया स्टील

एसआईपी संपादक, जैक हाइड की सहायिका

फ्रॉम: क्रिस्टियन ग्रे

सब्जेक्ट: दिल की तड़प

डेट: जून 15 2011 16:38

टू: एनेस्टेसिया स्टील

मिस स्टील

मुझे नहीं लगता कि मेरा दिल अब इस सदमे को सह सकता है। अब ऐसे ई-मेल मत भेजना।

क्रिस्टियन ग्रे

सीईओ, ग्रे इंटरप्राइजिस होल्डिंग्स, इंक

फ्रॉम: एनेस्टेसिया स्टील

सब्जेक्ट: कोशिश

डेट: 15 जून 2011 16:42

टू: क्रिस्टियन ग्रे

मैं अपने खपाअ बॉस के लिए काम करने की कोशिश कर रही हूं।

तुम मुझे तंग करना बंद करो और अपना काम देखो।

तुम्हारा पिछला ई-मेल कुछ ज्यादा ही धाकड़ था।

एनेस्टेसिया स्टील

एसआईपी संपादक, जैक हाइड की सहायिका

क्या तुम मुझे साढ़े छह बजे लेने आ सकते हो?

फ्रॉम: क्रिस्टियन ग्रे

सब्जेक्ट: मैं आ जाऊंगा

डेट: जून 15 2011 16:47

टू: एनेस्टेसिया स्टील

मेरे लिए इससे खुशी की बात क्या होगी। बंदा हाजिर होगा।

मैं अपने जीवन में खुशी से जुड़ी जिस भी बात के बारे में सोचता हूं, उसमें तुम पहले से ही शामिल होती हो।

क्रिस्टियन ग्रे

सीईओ, ग्रे इंटरप्राइजिस होल्डिंग्स, इंक

मैं उसका जवाब पढ़कर लजा गई और गर्दन हिलाई। बेशक ई-मेल का तरीका अच्छा है पर हमें बात भी करनी होगी। पर इससे पहले डॉ. फिल्न से मिलना ठीक होगा। मैंने फोन नीचे रखा और पैटी कैश का काम संभालने लगी।

सवा छह तक ऑफिस खाली हो गया था। मैंने जैक की सारी तैयारी कर दी है। उसकी एयरपोर्ट के लिए कैब आ गई है। मुझे बस उसे कागज देने हैं पर वह फोन पर मग्न है। आज उसका जैसा मूड है, ऐसे में उसे न छेड़ना ही ठीक होगा।

जब मैं उसका इंतजार कर रही थी तो याद आया कि मैंने तो कुछ खाया ही नहीं। ओह! फिफ्टी तो भन्ना जाएगा। मैं झट से रसोई में लपकी। शायद वहां खाने के लिए कोई कुकीज़ रखी हों।

जब मैं पंचायती कुकीज़ जार खोलने लगी तो अचानक ही जैक आकर घूरने लगा।

ओह! ये यहां क्या कर रहा है?

उसने घूरा, एना! “मुझे लगता है कि तुम्हारी बेहूदगियां गिनाने का वक्त आ गया है।” वह आगे आया और अपने पीछे दरवाजा बंद कर दिया। मेरा मुंह अचानक सूख गया और दिमाग में खतरे की घंटी बजने लगी।

“यहां हो क्या रहा है?”

उसने तिरछी सी मुस्कान दी, “चलो तुम अकेेले में मिलीं तो सही।”

“क्या?”

“अब……अच्छी लड़की बनो और मैं जो भी कह रहा हूं, उसे ध्यान से सुनो।