fifty shades darker novel in Hindi: वह मुझे एक छोटे और प्यारे से रेस्तरां में ले गया।
“यह जगह ठीक रहेगी।” क्रिस्टियन बोला
“हमारे पास ज्यादा समय नहीं है।”
मुझे तो रेस्तरां ठीक लगा। लकड़ी की कुर्सियां, लिनन के मेजपोश और कमरे की दीवारों का रंग क्रिस्टियन के प्लेरूम की दीवारों जैसा था। मोमबत्तियां और छोटे फूलदानों में सजे सफेद गुलाब! कुल मिला कर अच्छा ही लगा। कहीं धीमे स्वर में एक रोमानी गीत चल रहा है।
वेटर हमें एक कोने में बने मेज पर ले गया। मैं वहां बैठकर यही सोचने लगी कि क्रिस्टियन क्या बात करने वाला है।
“हमारे पास ज्यादा वक्त नहीं है। हम मध्यम आंच पर पके सिरलोन स्टीक, बीयरनेससॉस, फ्राईज़ लेंगे या जो भी हरी सब्जियां रसोईए के पास हों। मुझे वाइन लिस्ट लाकर दो।” क्रिस्टियन ने बैरे से कहा।
“जी सर!” बैरा उसके इस बर्ताव से सकते में आ गया। क्रिस्टियन ने अपना फोन मेज पर रखा। ओह! अब तो बात हो कर रहेगी। क्या मेरी खाने में कोई पसंद नहीं हो सकती?
“अगर मैं स्टीक न खाऊ तो?”
“एनेस्टेसिया! बेकार का तमाशा मत करो।”
“क्रिस्टियन! मैं कोई बच्ची नहीं हूं।”
“तो फिर बचकानी हरकतें क्यों कर रही हो?”
ऐसा लगा मानो उसने मुंह पर तमाचा दे मारा हो। तो हमारी बहस और लड़ाई के बाद एक रोमानी समझौता होने जा रहा था पर रोमांस का इससे कोई लेन-देन नहीं था।
“मैं बच्ची हूं क्योंकि मैं स्टीक पसंद नहीं करती?” मैंने अपनी चोट को छिपाते हुए कहा।
“तुम जानबूझ कर मुझे जलाना चाह रही थीं। ये कितनी बचकानी बात है। क्या तुम्हें अपने दोस्त की भावनाओं की भी कद्र नहीं है? उस पर कैसे झुकी जा रही थीं?”
क्रिस्टियन ने होंठ भींचे और वाइन की लिस्ट लाए बैरे को देखकर मुंह बनाया। मैं खिसिया गई। मैंने तो इस नज़रिए से सोचा ही न था। बेचारा जोंस, मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था। अचानक ही मेरा मन डर सा गया। क्रिस्टियन की बात में दम है- मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था। उसने वाइन की लिस्ट पर नज़र मारी।
“क्या तुम वाइन चुनना चाहोगी?” उसने एक भौं नचा कर पूछा।
उसे पता है कि मैं इस बारे में कुछ नहीं जानती।
“तुम ही चुन लो।” मैंने कहा।
दो गिलास बरोसा वैली शिराज़ प्लीज़।”
“ओह… वह वाइन तो बोतल में ही देते हैं सर।”
“तो बोतल ले आओ।” क्रिस्टियन झपटा।
“सर!” बैरा चौंक गया। बेशक कोई बात तो है जो फिफ्टी को खाए जा रही है। शायद यह सब मेरी वजह से हो। सयानी लड़की ने लंबी नींद से जाग कर अंगड़ाई ली। जाने कब की सोई हुई थी।
“तुम कितने चिड़चिड़े हो।”
मैं भी नहीं समझ पाता कि ऐसा क्यों है?
“बेहतर होगा कि अपने आने वाले कल के बारे में बात करने के लिए हम थोड़ा मीठा और अपनेपन से भरा सुर अपनाएं।” मैंने कहा।
उसने अपनी मुस्कान जबरन रोकनी चाही।
“सॉरी।” वह बोला।
“सॉरी कबूल हो गई और मैं बता दूं कि मैंने पिछले खाने के बाद से शाकाहारी बनने का फ़ैसला नहीं लिया है।”
“वैसे अहम बात है कि तुमने आखिरी बार खाया कब था?”
“मतलब।”
फिर वह बालों में हाथ फिरा कर बोला
“एना… पिछली बार तुम मुझे छोड़कर चली गईं… मैं अब घबराया हुआ हूं। मैंने कहा था कि मैं तुम्हें वापिस चाहता हूं पर तुम बिना कुछ कहे चली गईं थीं।”
ओह समझ नहीं आ रहा कि मैं क्या जवाब दूं।
“क्रिस्टियन, मैंने तुम्हें पिछले दिनों में बहुत याद किया है।…ये दिन मुझ पर भारी पड़े।” मैंने थूक गटका और गले में कुछ अटक सा गया। मैंने याद किया कि उसे छोड़कर आने के बाद से मैं कितनी बुरी तरह से बिखर गई थी।
“ये पिछला सप्ताह मेरी जिंदगी का एक ऐसा दौर रहा था जब दर्द की इंतहा हो गई थी। और कुछ हो न हो पर हकीकत मेरे सामने आ गई।”
“कुछ नहीं बदला। क्रिस्टियन! तुम मुझे जिस रूप में चाहते हो, मैं वैसी बन नहीं सकती।” मैंने किसी तरह मुंह से शब्द निकाले।
“तुम वही हो, जिसे मैं चाहता हूं।” उसके सुर में अपनापन था।
“नहीं क्रिस्टियन, ऐसा नहीं है।”
“तुम पिछली घटना से परेशान हो। दरअसल हम दोनों ने ही अक्लमंदी से काम नहीं लिया। तुम्हें सुरक्षा कोड का इस्तेमाल करना चाहिए था। एनेस्टेसिया! इस बार उसके सुर में आरोप की गंध थी।”
“क्या?” इसने तो बात की दिशा ही बदल दी।
“जवाब दो।”
“पता नहीं। मैं भावुक हो गई थी। मैं वही बनने की कोशिश कर रही थी, जो तुम मुझे बनाना चाहते हो। पता है……मैं भूल गई थी।” मैंने हौले से कहा और शर्मिंगदी से कंधे झटके। “शायद हम इस सारी सिरदर्दी से बच सकते थे।” ओह! इसे तो फिर से गुस्सा आ गया। सयानी लड़की ने आंखें तरेरी- पागल कहीं की,
सारी बात अपने सिर ले ली?
“मैं तुम पर कभी भरोसा कर सकता हूं?”
तभी बैरा वाइन ले कर आ गया। जब तक उसने हमारे गिलासों में वाइन डाली। हम बहुत से अनकहे शब्दों से घिरे बैठे रहे। क्रिस्टियन ने गिलास से एक घूंट भरा।
“अच्छी है।”
बैरा जाने से पहले बोतल को हमारे पास ही छोड़ गया। क्रिस्टियन की आंखें लगातार मुझ पर ही लगी रहीं। मैंने ही उस संपर्क को तोड़ा और अपना गिलास उठा कर मुंह से लगा लिया। मुझे स्वाद पसंद नहीं आया।
“मुझे माफ़ कर दो।” मैं हौले से बोली और अचानक ऐसा लगा कि मैं कितनी पागल थी। मैं वहां से आई क्योंकि मुझे लगा था कि हमारी नहीं निभने वाली पर वह कह रहा है कि मैं उसे रोक सकती थी।
“सॉरी किसलिए?” वह चौंका।
“मैंने सुरक्षा कोड का इस्तेमाल नहीं किया।”
उसने चैन से आंखें बंद कर लीं।
“हम ये सारी परेशानी नजरअंदाज कर सकते थे।”
“तुम तो ठीक दिख रहे हो। जितने दिखते हो उससे कहीं ज्यादा।”
“अक्सर छवियां धोखा दे जाती हैं। मैं बिल्कुल ठीक नहीं हूं। ऐसा लग रहा है कि पांच दिन से सूरज ही नहीं उगा है। एना! मैं उस दिन से रात के अँधेरे में ही हूं।” मैं उसकी बातों से हिल गई। ओह, वह भी मेरे जैसा ही महसूस कर रहा है। “तुमने तो कहा था कि कभी नहीं छोड़कर जाओगी। फिर क्यों चली गईं? “मैंने तो ऐसा नहीं कहा।” “तुमने उस दिन अपनी नींद के दौरान यही कहा था एना! मैंने कितने समय से इससे ज्यादा राहत देने वाली बात नहीं सुनी थी। यह सुनकर मेरे दिल को सुकून आ गया था।”
मेरा कलेजा कचोट उठा और मैंने वाइन की तरफ हाथ बढ़ाया।
“तुमने कहा कि तुम मुझे प्यार करती हो। क्या अब वह बीते कल की बात हो गई?”
“नहीं क्रिस्टियन, ऐसा नहीं है।
उसने गहरी सांस छोड़ी, “शुक्र है।”
मैं उसके इन शब्दों को सुनकर दंग हूं। उसका दिल बदल गया है। पहले जब मैंने अपने प्यार का इज़हार किया था तो वह डर गया था। बैरा लौट आया। उसने हमारे आगे प्लेटें रखीं और चला गया।
ओह! खाना भी तो खाना है।
“खाओ।” क्रिस्टियन ने हुक्म दिया।
अन्दर ही अन्दर मैं जानती हूं कि मुझे भूख लगी पर इस समय पेट में खाना नहीं जाने वाला। मैं एक ऐसे इंसान के साथ बैठी हूं जो मेरी जिंदगी का पहला और इकलौता प्यार है और हमारे बीच एक अनिश्चित भविष्य की चर्चा चल रही है। ऐसे में खाने की किसे सूझती है। मैंने खाने को संदेह भरी नज़रों से देखा।
“एनेस्टेसिया! अगर खाना न खाया तो सच कहता हूं कि रेस्तरां में यहीं सबके सामने तुम्हारी पिटाई हो जाएगी। जिसका मेरी काम संबंधी संतुष्टि से कोई लेन-देन नहीं होगा। खाओ!”
सयानी लड़की आधे गोल चश्मों के फ्रेम से मुझे झांकते हुए धमका रही है। आज तो वह भी फिफ्टी शेड्स के हक में है।
“अच्छा! मैं खा रही हूं। तुम अपनी खुजाती हथेली को ज़रा दूर ही रखो।”
वह मुस्कुराया नहीं, बस मुझे देखता ही रहा। मैंने बेमन से कांटा-छुरी उठा कर खाना शुरू किया। ओह! ये तो बड़ा ही स्वादिष्ट है। मुंह में पानी आ गया। मुझे भूख लगी है। सच्ची, बड़ी जोर की भूख लगी है। मैंने खाना चबाना शुरू किया तो उसके चेहरे पर सुकून छा गया।
हमने ख़ामोशी के बीच अपना खाना खाया। संगीत बदल गया है। किसी महिला गायिका के सुर फिजा में गूंज रहे हैं और मेरी ही सोच से जुड़े हैं। बेशक जब से वह मेरी जिंदगी में आया है, मैं भी पहले जैसी नहीं रही।
मैंने फिफ्टी को ताका। वह खाते हुए मुझे ही देख रहा है। भूख, चाह, बेचैनी और तड़प.. उन हॉट नज़रों में जैसे सारी झलक दिख रही है।
“क्या तुम्हें पता है कि कौन गा रहा है?” मैंने बातचीत जारी रखने के लिहाज़ से पूछा।
क्रिस्टियन ने उस ओर कान लगाए और गर्दन हिलाते हुए बोला… “पता नहीं, पर जो भी है, अच्छा गा रही है।”
“मुझे भी अच्छा लगा।”
अचानक ही उसके चेहरे पर वही राज़ से भरी मुस्कान आ गई।
“क्या?” मैंने पूछा।
उसने गर्दन हिलाई- “कुछ नहीं, खाओ।”
मैंने अपनी प्लेट का तकरीबन आधा खाना खा लिया है। अब और नहीं खा सकती। मैं ये सौदबाज़ी कैसे करूंगी?
“मैं और नहीं खा सकती। सर! मैंने काफी खा लिया है।”
उसने मुझे बिना कोई जवाब दिए घूरा और फिर घड़ी पर नज़र मारी।
“सच्ची पेट भर गया।” मैंने स्वादिष्ट शराब का घूंट भरा।
“हमें जल्दी जाना होगा। टेलर आ गया और सुबह तुम्हें काम पर भी जाना है।”
“तुम्हें भी तो जाना है।”
“एनेस्टेसिया! मेरा गुज़ारा तो थोड़ी नींद से भी हो जाता है। कम से कम तुमने कुछ खाया तो सही। शुक्र है!”
“क्या हम चार्ली टैंगो से वापिस नहीं जा रहे?”
“नहीं। मुझे लगा कि मैंने शराब पी होगी। टेलर हमें ले जाएगा। वैसे भी इस तरह मुझे कार में तुम्हारे साथ कुछ घंटे अकेले बिताने का मौका मिल जाएगा। हम बात तो कर ही सकते हैं।”
अच्छा इसने ये सोचा हुआ था।
क्रिस्टियन ने इशारे से बिल मंगवाया और ब्लैकबेरी उठा कर फोन किया।
“हम ली पिकोटीन, साउथवेस्ट तीसरे एवेन्यू में हैं।” उसने फोन रख दिया।
वह अब भी फोन पर दो-टूक बात ही करता है।
“तुम टेलर और तकरीबन अपने लोगों के साथ इतनी अजीब तरीके से क्यों पेश आते हो?”
“एनेस्टेसिया ! मैं काम की बात करने में यकीन रखता हूं।”
“आज शाम तो तुमने ऐसा नहीं किया। क्रिस्टियन, कुछ भी तो नहीं बदला।”
“मेरे पास तुम्हारे लिए एक प्रस्ताव है।”
“ये सब एक प्रस्ताव से ही तो शुरू हुआ था।”
“एक अलग तरह का प्रस्ताव।”
वेटर लौटा तो क्रिस्टियन ने बिल पर नज़र तक नहीं मारी और कार्ड उसके हाथ में रख दिया जब वेटर कार्ड स्वाइप कर रहा था तो वह संदेह भरी नज़रों से मुझे ही घूर रहा था। क्रिस्टियन का फोन फिर से बजा और उसने उसमें झांका।
उसके पास एक प्रस्ताव है। वह कहना क्या चाहता है? मेरे दिमाग में एक दो विचार घुमड़ने लगे; अपहरण, उसके लिए काम करना । नहीं-नहीं कोई तुक नहीं बनी। क्रिस्टियन ने भुगतान का काम निबटा लिया।
“आओ। टेलर बाहर आ गया है।”
हम उठ खड़े हुए और उसने मेरा हाथ थाम लिया।
“एनेस्टेसिया! मैं तुम्हें खोना नहीं चाहता।” उसने मेरी हथेली के ऊपरी हिस्से को प्यार से चूमा और उसके होठों की उस छुअन ने पूरे शरीर को सहला दिया।
बाहर ऑडी इंतज़ार में है। क्रिस्टियन ने मेरे लिए दरवाजा खोला। मैं भीतर जा कर उसकी आलीशान सीट पर पसर गई। वह ड्राइवर सीट की ओर गया; टेलर से कुछ बात की। अक्सर वे इस तरह बातें नहीं करते। मैं उत्सुक हूं। वे क्या बातें कर रहे हैं? कुछ ही देर में वे दोनों अपनी जगह आ गए और क्रिस्टियन के चेहरे पर वही विरक्त भाव आ गया।
मैंने मन ही मन उसे प्यार से निहारा; सीधी नाक, गढ़े हुए होंठ, माथे पर झलक आए बाल। बेशक ये दिव्य पुरुष मेरे लिए तो नहीं हो सकता।
कार के पिछले हिस्से में हल्का संगीत गूंज उठा। टेलर ने कार आगे बढ़ा दी।
क्रिस्टियन ने मेरी ओर मुंह घुमाया
“हां तो मैं कह रहा था कि मेरे पास तुम्हारे लिए एक प्रस्ताव है।”
मैंने घबराहट से टेलर को देखा।
“उसकी चिंता मत करो। वह तुम्हें नहीं सुन सकता।” क्रिस्टियन ने दिलासा दिया।
“कैसे?”
“टेलर!” क्रिस्टियन ने पुकारा। टेलर ने कोई जवाब नहीं दिया। उसने फिर से बुलाया पर कोई जवाब नहीं आया। क्रिस्टियन ने आगे झुककर उसका कंधा थपथपाया तो टेलर ने कानों से ईयरबेंड निकाले, शायद मैं पहले उन्हें देख नहीं सकी थी।
“जी सर?”
“धन्यवाद टेलर। ठीक है! तुम अपना संगीत सुनते रहो।”
“सर।”
“अब खुश हो। वह अपने आईपॉड पर संगीत सुन रहा है। भूल जाओ कि वह यहां है। मैं भी भूल गया हूं।”
“क्या तुमने जानबूझ कर उसे ऐसा करने को कहा?”
“हां।”
“ओह! अच्छा कैसा प्रस्ताव?”
क्रिस्टियन के चेहरे पर बड़े पेशेवर भाव आ गए। ओह! लगता है कि कोई सौदेबाजी करने जा रहे हैं। मैं पूरे कान लगा कर सुनने लगी।
“मैं पहले तुमसे कुछ पूछना चाहता हूं। क्या तुम चाहती हो कि हम किसी भी तरह से अजीब किस्म के शारीरिक संबंध रखने की बजाए वनीला किस्म के संबंध रखें?”
मेरा मुंह खुला का खुला रह गया।
“अजीब किस्म के शारीरिक संबंध।”
“हां, मैं यही कहना चाहता हूं।”
“मुझे तो यकीन नहीं होता कि ये बात तुमने कही है।”
“खैर! मुझे जवाब दो।” उसने शांत लहजे में कहा।
मैं खिसिया गई। भीतर बैठी लड़की घुटनों के बल बैठी गिड़गिड़ा रही है।
“मुझे तुम्हारे अजीब किस्म के शारीरिक संबंध बनाने पर कोई ऐतराज़ नहीं है।” मैं हौले से बोली।
“मैंने भी यही सोचा था। तो तुम्हें क्या पसंद नहीं आता?”
यही कि तुम मुझे खुद को छूने नहीं देते… मेरे दर्द का मज़ा लेते हो… बेल्ट की तीखी चुभन..
“बेरहम और अलग किस्म की सजा की धमकी।”
“क्या मतलब?”
“ खैर! तुम्हारे प्लेरूम में दुनिया जहान की छड़ियां, कोड़े और चाबुक रखे हैं और उन्हें देखकर ही मेरी जान आधी हो जाती है। मैं नहीं चाहती कि तुम उन चीज़ों का मुझ पर इस्तेमाल करो।”
“अच्छा! कोड़ों, चाबुक या छड़ी का इस्तेमाल नहीं होगा या फिर बेल्ट का भी नहीं।”
मैंने उसे उलझन के बीच देखा। “क्या तुम कठोर सीमाओं को नए सिरे से गढ़ना चाह रहे हो?”
“नहीं, ये बात नहीं है। मैं तुम्हें समझने की कोशिश में हूं और तुम्हारी पसंद-नापसंद जानना चाहता हूं।”
“क्रिस्टियन! बुनियादी तौर पर तुम मुझे दर्द देने के बाद जो मज़ा पाते हो, वह मुझसे सहन नहीं हो रहा। और वह भी इसलिए कि मैंने तुम्हारे हिसाब से कोई मनमानी की हो।”
“पर नियम तो साफ-साफ लिखे हैं।”
“मैं कोई नियम नहीं चाहती।”
“कोई भी नहीं?”
कोई भी नहीं! मैंने कह तो दिया पर कलेजा मुंह को आ गया। वह इन बातों के सिरे कहां ले जाना चाह रहा है।
“पर जब मैंने तुम्हारे पिछवाड़े पर मारा तो तुम्हें बुरा नहीं लगा था।”
“किससे मारा था?”
“इससे।” उसने अपना हाथ दिखाया।
मैंने बेचैनी से पहलू बदला-“ओह! खास बुरा नहीं था……उन रूपहली गोलियों के साथ तो बिल्कुल नहीं। शुक्र है कि वहां अंधेरा था वरना उस रात को याद करते ही मेरा पूरा चेहरा लाल हो गया है। हां……वह तो मैं फिर से करना चाहूंगी” ।
वह दबी हंसी हंसा। “उसमें तो मज़ा आया था।
“मज़े से भी ज्यादा।” मैंने हिम्मत बटोर कर कहा
“तो तुम थोड़ा दर्द तो सह सकती हो?”
“हां, शायद। मैंने कंधे झटके। ओह, वह इन बातों के तार कहां ले जा रहा है?” मेरी बेचैनी बढ़ती जा रही है।
उसने चिबुक थपथपाई और बोला, “एनेस्टेसिया ! मैं फिर से शुरूआत करना चाहता हूं। मेरे साथ वनीला संबंध रखो और हो सकता है कि तुम मुझ पर भरोसा करने लगो। मुझे भी भरोसा हो जाए कि तुम ईमानदारी से दिल की बात कह रही हो तो शायद हम मेरे बातों को कुछ आगे तक ले जा सकेंगे।”
मैंने उसे फटी आंखों से घूरा और दिमाग में कोई ख्याल नहीं है। जैसे कोई कंप्यूटर ठप्प हो गया हो। शायद वह भी बेचैन है पर अँधेरे की वजह से कुछ दिख नहीं पा रहा। बेशक बात तो यही है।
वह भी रोशनी चाहता है पर क्या मैं उसे अपने लिए ऐसा करने को कह सकती हूं?
क्या मैं अंधेरा पसंद नहीं करती। शायद कभी-कभी करती हूं।
“पर सज़ा का क्या होगा?”
“कोई सज़ा नहीं होगी।” उसने गर्दन हिलाईं
“और नियम?”
“नहीं, नियम भी नहीं होंगे।”
“कोई नहीं? पर तुम्हारी जरूरतें?”
“एनेस्टेसिया ! मुझे उन सबसे ज्यादा तुम्हारी ज़रूरत है। ये पिछले कुछ दिन नर्क से भी बदतर रहे। मेरा मन यही कहता रहा कि तुम्हें अपने से दूर कर दूं क्योंकि मैं तुम्हारे लायक नहीं हूं।”
“वे तस्वीरें जो उस लड़के ने लीं……मैं देख सकता हूं कि वह तुम्हें किस नज़रिए से देखता है। तुम उनमें कितनी सहज और सुंदर दिख रही हो। ऐसा नहीं कि तुम अभी सुंदर नहीं हो पर यहां मैं तुम्हारे दर्द को देख पा रहा हूं। बेशक मैं यह भी जानता हूं कि इसकी वजह भी मैं ही हूं इसलिए इसे देखना और भी मुश्किल लगता है।”
“पर मैं एक स्वार्थी इंसान हूं। जब से तुम मेरे ऑफिस में आईं। मैं तुम्हें चाहने लगा था। तुम बहुत ही निराली, ईमानदारी, अपनेपन से भरपूर, मजबूत, चतुर और मासूम हो या कह सकते हैं कि ये सूची अंतहीन है। मैं तुम पर मुग्ध हो उठा हूं। मैं तुम्हें चाहता हूं और तुम किसी दूसरे की हो जाओ, यह सोच ही मेरी बुरी और काली आत्मा में छुरा भोंकने जैसी है।”
मेरा मुंह सूख गया। हाय! अगर ये प्यार का इज़हार नहीं तो और क्या है? मैंने किसी तरह कहा
“क्रिस्टियन, तुम अपने बारे में ऐसी बुरी सोच क्यों रखते हो? मैं तो ऐसा कभी न कहती। भले ही उदास हो पर एक अच्छे इंसान हो। मैं देख सकती हूं……तुम्हारी दरियादिली……नेकी और तुम कभी झूठ नहीं बोलते।”
“पिछला शनिवार मेरे पूरे तंत्र के लिए किसी झटके से कम नहीं था। मानो मैं नींद से जगा। मुझे एहसास हुआ कि तुम मेरे साथ कितनी रियायत से पेश आते आ रहे हो पर मैं वह नहीं बन सकती जो तुम चाहते हो। फिर तुमसे अलग होने के बाद मैंने जाना कि तुमने मुझे जो दर्द दिया था, उसके मुकाबले तुमसे बिछुड़ने का दर्द कहीं ज्यादा था। मैं तुम्हें खुश करना चाहती हूं पर ये आसान नहीं है।”
“तुम हमेशा मुझे खुश ही रखती हो। वह हौले से बोला। मुझे तुम्हें ये बात कितनी बार बतानी होगी।”
“मैं कभी जान नहीं पाती कि तुम क्या सोचते हो। कभी तो इतने पास आ जाते हो और कभी…। तुम मुझे डरा देते हो। तभी तो मैं चुप हो जाती हूं। मुझे तुम्हारे मूड का पता ही नहीं चलता। ये हमेशा यहां से वहां झूमता रहता है। पल में माशा तो पल में तोला। ये बहुत उलझन से भरा है। फिर तुम मुझे अपने को छूने की इजाज़त तक नहीं देते। मैं तुम्हें दिखाना चाहती हूं कि मैं तुम्हें कितना चाहती हूं।”
उसने अँधेरे में अजीब से तरीके से पलकें झपकाईं। मैंने अपनी सीट बेल्ट खोली और उसकी गोद में जा उसे हैरान कर दिया। अब उसका सिर मेरे हाथों में था।
“क्रिस्टियन ग्रे! मैं तुमसे प्यार करती हूं और तुम मेरे लिए ये सब करने को तैयार हो। मैं ही तुम्हारे लायक नहीं हूं और मुझे अफसोस है कि मैं तुम्हारे लिए वह सब नहीं कर सकती, जो तुम मुझसे चाहते हो। हो सकता है कि वक्त बीतने के साथ-साथ…… पता नहीं…..पर हां, मुझे तुम्हारा प्रस्ताव मंज़ूर है। बोलो हस्ताक्षर कहां करने हैं?”
उसने अपनी बांह से मेरे आसपास घेरा कसा और मुझे भींच लिया।
“ओह एना!” वह मेरे बालों में मुह दिए-दिए बोला।
हम एक-दूसरे की बांहो में लिपटे संगीत सुनते रहे। ये बहुत ही प्यारी पिआनो धुन थी, जो इस कार में मौजूद भावों को ही बयां कर रही थी। मैं उसकी बांहों में कुनमुनाई और उसकी गर्दन के कोने पर अपना सिर टिका दिया। उसने हौले से मेरी पीठ थपथपाई।
“एनेस्टेसिया ये स्पर्श मेरे लिए कठोर सीमा है।”
“मैं जानती हूं। काश मैं जान पाती कि ऐसा क्यों है?”
कुछ देर बाद उसने आह भरी और बोला, “मेरा बचपन बहुत भी भयंकर और घिनौना रहा है। रंडी के दलालों में से एक ने……। उसकी आवाज़ कांप उठी और पूरा शरीर एक अनजाने से भय से सिहर गया। मैं आज भी वह सब याद कर सकता हूं।” वह कांपते सुर में बोला।
मुझे अचानक ही उसकी चमड़ी पर सिगरेट से जलने के दाग याद आ गए। “ओह क्रिस्टियन!” मैंने अपनी बांहों का घेरा और भी कस दिया। “क्या वह जुल्म ढाती थी? तुम्हारी मां?” मेरी आवाज़ छिपाए गए आंसुओं से भर्राई हुई है।
“यह तो याद नहीं पर उसने कभी मेरी परवाह नहीं की। उसने मुझे अपने दलाल से भी नहीं बचाया। शायद मैंने उसकी देख रेख की। जब उसने अपनी जान ले ली तो लोगों को यह पता लगने में चार दिन लग गए थे कि वह नहीं रही……… मुझे याद है, मैं उस दौरान उसके साथ था।”
मैं अपने डर को छिपा कर नहीं रख सकी। पेट में अजीब सी उथलपुथल होने लगी।
“ओह! ये तो सचमुच बड़ा ही घिनौना और भयानक अनुभव है।”
“हां, जिंदगी के कड़वे अनुभवों में से एक!”
मैंने अपने होंठ उसकी गर्दन पर दबा दिए और इस तरह दिलासा लेने और देने की कोशिश की। आंखों के आगे एक छोटा-सा गंदा और भूरी आंखों वाला बच्चा नाच उठा, जो अपनी मां की लाश के पास खोया-खोया और अकेला बैठा है।
ओह क्रिस्टियन! मैंने उसकी गंध सूंघी। उसकी सुगंध दिव्य है, दुनिया में मेरी सबसे प्रिय गंध! उसने मुझे जोर से भींचा और बाल चूम लिए। मैं उसके आलिंगन में बैठी रही और टेलर ने कार तेज़ कर दी।
जब मेरी आंख खुली तो हम सिएटल पहुंच गए थे।
“हे।” क्रिस्टियन हौले से बोला।
“सॉरी।” मैंने हौले से कहा और आंखें खोलने की कोशिश की। मैं अब भी उसकी बांहों के घेरे में गोद में बैठी हूं।
“एना! मैं तो जन्मों-जन्मों तक तुम्हें यूं ही सोते देख सकता था।”
“क्या मैंने कुछ कहा?”
“नहीं। हम तुम्हारे यहां पहुंचने ही वाले हैं।”
“ओह? तुम्हारे यहां नहीं जा रहे?”
“नहीं।”
मैंने उठ कर उसे घूरा। “क्यों?”
“क्योंकि कल तुम्हें काम पर जाना है।”
“ओह!” मैंने मुंह बनाया।
“क्यों, क्या तुम्हारे दिमाग में कुछ था?”
“हो सकता है।”
उसने चुटकी ली- “एनेस्टेसिया स्टील! जब तक तुम मेरे आगे गिड़गिड़ाओगी नहीं, तब तक मैं तुम्हें हाथ नहीं लगाने वाला।”
“क्या?”
“ताकि तुम मुझसे दिल खोल कर अपनी बात कहना सीखो। अगली बार जब भी संबंध बनाएंगे तो तुम साफ शब्दों में बारीकी के साथ बताओगी कि तुम क्या चाहती हो?”
ओह! टेलर ने घर के बाहर गाड़ी रोकी तो उसने मुझे गोद से उतार दिया।
क्रिस्टियन ने मेरे लिए कार कर दरवाजा खोला।
“मेरे पास तुम्हारे लिए कुछ है।” वह कार के पास गया और बड़ा-सा डिब्बा ले आया, जो रंगीन कागज़ में लिपटा था। ये क्या है भई?
“जब अन्दर चली जाओ, तब इसे खोलना।”
“तुम नहीं आ रहे?”
“नहीं एनेस्टेसिया”
“मैं तुमसे कब मिल सकती हूं?”
“कल”
“बॉस चाहता है कि मैं उसके साथ ड्रिंक्स के लिए जाऊं।”
क्रिस्टियन का चेहरा सख्त हो आया।
“वह चाहता है कि मेरे काम के पहले सप्ताह का जश्न मनाया जाए।”
“कहां?”
“पता नहीं।”
“मैं तुम्हें वहीं से ले सकता हूं।”
“अच्छा……मैं ई-मेल या मैसेज कर दूंगी।”
“अच्छा।”
वह लॉबी के दरवाजे के पास तक आया और मैं पर्स से चाबियां खोजती रही। उसने आगे झुककर मेरा चिबुक थामा और सिर पीछे की ओर कर दिया। फिर आंखें बंद कर चेहरे के एक कोने से दूसरे कोने तक चुंबनों की बरसात करता चला गया।
मेरे मुंह से हल्की-सी कराह निकली और ऐसा लगा कि मैं वहीं खड़े-खड़े पिघल जाऊंगी।
“कल मिलते हैं।” उसने गहरी सांस छोड़ी।
ये उपन्यास ‘फिफ्टी शेड्स डार्कर’ किताब से ली गई है, इसकी और उपन्यास पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएं – fifty shades darker (फिफ्टी शेड्स डार्कर)
“क्रिस्टियन गुडनाइट!” मैं अपने ही सुर में छिपी चाह को पहचान सकती थी।
वह मुस्कुराया।
“तुम अन्दर जाओ। मैं हाथ में वह रहस्यमयी पैकेट लिए अन्दर चली गई।
“बाद में बेबी! वह प्यार से बोला और वापिस चल दिया।
मैंने अपार्टमेंट में जा कर बॉक्स खोला तो उसमें से मैकबुक प्रो लैपटॉप, ब्लैकबैरी और एक आयाताकार डिब्बा निकला। इसमें क्या है? मैंने रंगीन कागज़ हटाया तो अन्दर से एक पतला काला चमड़े का केस दिखा।
केस को खोला तो उसमें आईपैड नज़र आया। सफेद कार्ड पर क्रिस्टियन की लिखाई में एक संदेश लिखा था:
एनेस्टेसिया – यह तुम्हारे लिए है।
मैं जानता हूं कि तुम क्या सुनना चाहती हो।
मेरी ओर से यह संगीत तुम्हारे लिए..
क्रिस्टियन
मैंने आई पैड के रूप में क्रिस्टियन की पसंद के गाने भी पा लिए। बेशक वह एक कीमती चीज़ थी पर मुझे बड़ी पसंद आई। ऑफिस में जैक के पास भी था इसलिए मैं जानती थी कि उसे कैसे चलाते हैं।
मैंने उसे ऑन किया तो वॉलपेपर पर एक छोटे से ग्लाईडर की तस्वीर आ गई। ओह! ये तो वही उपहार है, जो मैंने क्रिस्टियन को दिया था। वह कांच के स्टैंड पर टिका था और मैं सोच रही थी कि क्या वह उसके ऑफिस की मेज़ थी? मैंने उसे आंखें फाड़-फाड़ कर देखा।
उसने बनाया! उसने सचमुच बनाया होगा यानी इसके हिस्से जोड़े होंगे। मुझे याद आया कि उसने फूलों वाले नोट में इस बात का भी जिक्र किया था। मैं एक ही पल में जान गई कि उसने यह उपहार देने में कितना दिमाग लगाया होगा।
मैंने स्क्रीन को अनलॉक किया तो हमारी ग्रेजुएशन टैंट वाली फोटो दिखी। जो सीटल टाइम्स में भी छपी थी। क्रिस्टियन कितना सुंदर दिख रहा है और मेरे चेहरे पर बड़ी-सी मुस्कान है। हां, और वह मेरा है।
मैंने झट से कुछ आईकॉन दबाए और कई तरह के नए बटन सामने आ गए। कई तरह के एप्प, ई-पुस्तकें, वर्ल्डस- इसमें तो बहुत कुछ था।
ब्रिटिश लाईब्रेरी? मैंने आईकॉन को छुआ तो एक मेन्यू सामने आ गया। ऐतिहासिक संग्रह! फिर मैं अठारहवीं और उन्नीसवीं सदी के उपन्यासों पर नज़र मारी। एक और मेन्यू। हेनरी जेम्स की ‘ द अमेरिकन’। हाय! ये तो 1879 का शुरूआती संस्करण है। यह मेरे आईपैड पर है। उसने तो पूरी ब्रिटिश लाईब्रेरी ही मेरे आगे रख दी है।
मैं वहां से बाहर आ गई क्योंकि मुझे पता था कि वहां तो किताबें पढ़ने के लिए सात जन्म भी कम थे। फिर मैंने ‘गुड फूड’ वाले एप्प को देखकर आंखें नचाईं और इसके अलावा बहुत कुछ था। मैंने मेन स्क्रीन में आकर प्लेलिस्ट निकाली। थॉमस टालिस- मैं इसे इतनी आसानी से नहीं भूलने वाली। मैंने उस अ लॉगर के साथ इसे दो बार जो सुना था। मार्सेलो की उदास धुन, जैफ बकले, स्नो पैटन्न्रोल, प्रिंसीपल्स ऑफ लस्ट…… वाह पोज़ेशन……अरे हां,फिफ्टी शेड्स जो ठहरा।
मैंने एक गाना चुन कर चला दिया। यह नैली फरटैडो का ‘ट्राई’ था। वह गाने लगी और मैं उसकी आवाज़ के रेशमी एहसास में खो सी गई। मैं पलंग पर लेट गई। क्या इसका मतलब है कि क्रिस्टियन अपनी ओर से कोशिश कर रहा है? इस नए संबंध को आज़माना चाहता है? मैं गाने के बोल सुनते हुए इन्हीं बातों के बारे में सोचती रही। उसने मुझे याद किया। मैंने उसे याद किया। उसके मन में मेरे लिए कुछ तो भावनाएं रही होंगीं। ज़रूर रही होंगीं। ये आई पैड, ये गाने , ये एप्प- वह मेरी परवाह करता है। वह सचमुच परवाह करता है। मेरी छाती गर्व से फूल उठी।
गाना खत्म हुआ तो मेरी आंख से एक आंसू टपक गया। मैंने झट से कोल्डप्ले का ‘द साइंटिस्ट’ लगा दिया। ये केट के मनपसंद बैंड में से है। मैं धुन तो जानती हूं पर बोल कभी नहीं सुने। मैंने आंखें बंद कीं और बोल सुनने लगी।
मेरे आंसू बहने लगे। मैं उन्हें दबा नहीं सकती। अगर ये माफ़ी नहीं तो क्या है? ओह क्रिस्टियन!
या ये एक न्यौता है? क्या वह मेरे सवालों का जवाब देगा? क्या मैं इस बात को ज्यादा गंभीरता से ले रही हूं?
मैंने आंसुओं को बहने दिया। मुझे उसे मेल करके धन्यवाद कहना है। पलंग से उतर कर लैप ऑन किया।
मैं पलंग पर टांगें मोड़ कर बैठी रही और कोल्डप्ले के बोल गूंजते रहे। मैक ऑन होते ही मैंने लॉगइन किया।
फ्रॉम: एनेस्टेसिया स्टील
सब्जैक्ट: आई पैड
डेट: 9 जून 2011 23:56
टू: क्रिस्टियन ग्रे
तुमने मुझे फिर से रूला दिया।
मुझे आईपैड पसंद आया।
मुझे गाने पसंद आए।
मुझे ब्रिटिश लाइब्रेरी वाला एप्प पसंद आया।
मैं तुमसे प्यार करती हूं।
थैंक्स
गुडनाइट
एना
फ्रॉम: क्रिस्टियन ग्रे
सब्जैक्ट: आई पैड
डेट:10 जून 2011 00:03
टू: एनेस्टेसिया स्टील
मुझे खुशी है कि तुम्हें यह पसंद आया। मैंने अपने लिए लिया था।
अब अगर मैं वहां होता तो तुम्हारे आंसू चूम लेता।
पर मैं वहां नहीं हूं इसलिए तुम सोने जाओ।
क्रिस्टियन ग्रे, सीईओ,
ग्रे इंटरप्राइजिस होल्डिंग्स, इंक
उसका जवाब पढ़ कर मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गई। अब भी वही रूप है, वही तानाशाही क्रिस्टियन। क्या ये कभी बदलेगा? मुझे उसी पल में एहसास हो गया कि ऐसी उम्मीद भी नहीं करनी चाहिए। मैं उसे इसी रूप में चाहती हूं- जब तक मैं उसके साथ सज़ा के डर के बिना खड़ी रह सकती हूं।
फ्रॉम: एनेस्टेसिया स्टील
सब्जैक्ट: श्रीमान तुनकमिजाज़
डेट: 10 जून 2011 00:07
टू: क्रिस्टियन ग्रे
मि. ग्रे आप हमेशा की तरह वही तानाशाह और तुनकमिज़ाज लग रहे हैं।
मैं कुछ ऐसा जानती हूं जो आपके तनाव को पिघला सकता है पर चूंकि आप यहां नहीं हैं- मुझे वहां रहने नहीं देंगे और मुझसे विनती की उम्मीद रखेंगे..
सर, सपने ही देखते रहें
एना
फ्रॉम: क्रिस्टियन ग्रे
सब्जैक्ट: ज़ेन जैसी शांति
डेट: 10 जून 2011 00:10
टू: एनेस्टेसिया स्टील
मेरी डियरस्ट मिस स्टील
पता है, वनीला संबंधों में भी ठुकाई लगाई जाती है। अक्सर यह सेक्स के लिहाज़ से और आपसी रज़ामंदी से होता है……… पर मैं अपवाद के लिए भी खुशी से राज़ी हूं। अब सोने जाओ क्योंकि कल तुम्हें ज्यादा नींद नहीं मिलने वाली। वैसे, एक बात कहूं। सचमुच तुम मेरे आगे गिड़गिड़ाओगी। और मैं इसी इंतज़ार में हूं।
क्रिस्टियन ग्रे, सीईओ,
ग्रे इंटरप्राइजिस होल्डिंग्स, इंक
फ्रॉम: एनेस्टेसिया स्टील
सब्जैक्ट: गुड नाइट! मीठे सपने लें।
डेट: 8 जून 2011 14:32
टू: क्रिस्टियन ग्रे
चूंकि आपने इतने प्यार से कहा है और मैं आपकी धमकी पसंद करती हूं इसलिए मैं आईपैड से लिपट कर सोने जा रही हूं। जिसमें मुझे लाइब्रेरी की सारी किताबें और आपके मनपसंद गाने मिल गए हैं।
ए……
फ्रॉम: क्रिस्टियन ग्रे
सब्जैक्ट: एक और विनती
डेट: 10 जून 2011 00:15
टू: एनेस्टेसिया स्टील
मेरे सपने देखना
क्रिस्टियन ग्रे, सीईओ,
ग्रे इंटरप्राइजिस होल्डिंग्स, इंक
क्रिस्टियन ग्रे! मैं हमेशा तुम्हारे ही सपने देखती हूं।
मैंने झट से पजामा बदल कर ब्रश किया और पलंग पर आ गई। कानों में ईयर प्लग लगा कर तकिए के नीचे से फुस्स पड़ा चार्ली टैंगो निकाला और गले से लगा लिया।
मैं खुशी से दमक रही हूं और चेहरे पर बड़ी-सी मुस्कान आ है। एक ही दिन में कितना बदलाव आ सकता है। क्या मुझे नींद भी आएगी?
जोंस गोंसाल्विज़ के गीत के बोल गूंज उठे और मैं सोचने लगी कि एक ही शाम में सब कुछ कैसे बदल गया और मैं सोचने लगी कि क्या मुझे भी क्रिस्टियन के लिए गानों की प्लेलिस्ट बनानी चाहिए?
