दार्जिलिंग की ख़ास बातें
हरी-भरी पहाड़ियों, दूर तक फैले चाय के बागान, टॉय ट्रेन की मीठी सीटी, हिमालय की बर्फीली चोटियों की झलक और ताज़ी हवा में घुली चाय की महक, यह सब मिलकर दार्जिलिंग को एक अनोखी पहचान देते हैं।
Darjeeling Travel Guide: भारत के पूर्वी भाग में स्थित दार्जिलिंग हमारे देश का एक प्रमुख और ख़ूबसूरत हिल स्टेशन है। जिसकी वजह से कुछ लोग इसे ‘पहाड़ों की रानी’ कहकर भी सम्बोधित करते हैं। हरी-भरी पहाड़ियों, दूर तक फैले चाय के बागान, टॉय ट्रेन की मीठी सीटी, हिमालय की बर्फीली चोटियों की झलक और ताज़ी हवा में घुली चाय की महक, यह सब मिलकर दार्जिलिंग को एक अनोखी पहचान देते हैं। इस जगह की संस्कृति, विरासत, प्राकृतिक सौंदर्य और रोमांच से भरपूर गतिविधियाँ इसे पर्यटकों के लिए एक स्वर्ग जैसा बना देती हैं।
दार्जिलिंग का आकर्षण
दार्जिलिंग का सबसे बड़ा आकर्षण है कंचनजंगा पर्वत है। यह विश्व की तीसरी सबसे ऊँची चोटी है और सूर्योदय के समय इस पर पड़ने वाली सुनहरी किरणें मन को मोह लेने वाली होती हैं। इसके अलावा दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे यानी की अपनी ‘टॉय ट्रेन’ के नाम से जाना जाता है। दार्जिलिंग की एक पहचान यहाँ के चाय के बागानों से भी है। इस जगह की उत्पादित चाय विश्व भर में प्रसिद्ध है। इसके अलावा यह स्थान बौद्ध मठों, ब्रिटिश कालीन स्थापत्य, और रोमांचकारी खेलों के लिए भी जाना जाता है। अगर आप दार्जिलिंग को करीब से देखना और महसूस करना चाहते हैं, तो तीन दिन का यात्रा कार्यक्रम सबसे उपयुक्त रहेगा।
पहला दिन: शहर की खूबसूरती

यात्रा की शुरुआत सूर्योदय के समय टाइगर हिल से करनी चाहिए। इस जगह से कंचनजंगा की बर्फीली चोटियों पर पड़ती पहली किरणों का दृश्य देखने लायक होता है। इसके बाद बातासिया लूप का दौरा करना चाहिए जहाँ से हिमालयन टॉय ट्रेन गुजरती है। यह स्थान भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों की याद में बने स्मारक के लिए भी जाना जाता है। हिमालयन जूलॉजिकल पार्क और माउंटेनियरिंग इंस्टीट्यूट देखना भी आपको अच्छा लगेगा। इस जगह से आप हिमालयी जीवों को देखने के साथ पर्वतारोहण से जुड़ी रोचक जानकारियाँ भी प्राप्त कर सकते हैं।
दूसरा दिन: चाय बागान की सैर

दार्जिलिंग के चाय बागानों की सैर किए बिना यह यात्रा अधूरी मानी जाएगी। दूसरे दिन आप हैप्पी वैली टी एस्टेट जैसे प्रसिद्ध बागानों में जाकर आप चाय की खेती और उत्पादन प्रक्रिया को समझ सकते हैं। यहाँ की चाय की खुशबू और स्वाद दोनों ही लाजवाब होते हैं। इसके बाद, गूम मठ और जापानी पीस पगोडा का दौरा करना चाहिए। गूम मठ अपनी अद्भुत बौद्ध वास्तुकला और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है, जबकि जापानी पीस पगोडा से पूरे दार्जिलिंग का विहंगम दृश्य देखा जा सकता है। यह एक अनोखा अनुभव होता है।
तीसरा दिन: प्रकृति की गोद

दार्जिलिंग केवल प्राकृतिक सौंदर्य के लिए ही नहीं बल्कि रोमांचक गतिविधियों के लिए भी प्रसिद्ध है। ट्रेकिंग प्रेमियों के लिए सिंगालीला रेंज और संदेपछेन जैसे स्थानों पर जाना एक बेहतरीन विकल्प है। इसके अलावा, तीस्ता नदी में रिवर राफ्टिंग और रॉक क्लाइम्बिंग का मज़ा भी लिया जा सकता है। अगर आप वन्यजीव प्रेमी हैं तो रेड पांडा सफारी एक अद्भुत अनुभव होगा। पद्मजा नायडू जूलॉजिकल पार्क में हिमालयी जीवों को देखा जा सकता है, जो यहाँ की जैव विविधता का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करता है।
