child irritating and shouting
child irritating and shouting

Overview: बच्चों की इरिटेशन और बैचेनी का कारण व समाधान

आजकल के समय में बच्चे बहुत अधिक इरिटेट व बैचेन दिखने लगे हैं। जानिए इसके पीछे की असली वजह।

Reason of Irritation In Kids: आज के समय में अधिकतर पैरेंट्स की एक ही शिकायत रहती है कि उनके बच्चे उनकी बात बिल्कुल भी नहीं सुनते हैं। वे बहुत ज्यादा चिड़चिड़े, बेचैन और गुस्सैल हो गए हैं। यह एक आम समस्या बनती जा रही है और हर पैरेंट इससे निपटने में खुद को नाकाम महसूस करता है। शुरुआत में ऐसा लगता है कि शायद बच्चा ज्यादा ज़िद्दी हो गया है या हम पेरेंटिंग में कहीं गलती कर रहे हैं। पर हकीकत थोड़ी अलग है।

दरअसल, आज के बच्चे बिल्कुल एक अलग तरह के एनवायरनमेंट में बड़े रहे हो रहे हैं। बहुत ज्यादा स्क्रीन एक्सपोजर से लेकर कम नींद लेना या स्लीप रूटीन ना होना बच्चों को कहीं ना कहीं अंदरूनी तौर पर परेशान करता है। ऐसे में बच्चे अपनी भावनाओं को शब्दों में व्यक्त नहीं कर पाते, इसलिए गुस्सा, चिड़चिड़ापन और बेचौनी के रूप में बाहर आता है। दरअसल, उनका व्यवहार असल में एक सिग्नल होता है कि उन्हें थोड़ा सपोर्ट, थोड़ा बैलेंस और थोड़ा समझने की जरूरत है। तो चलिए आज इस लेख में हम बच्चों के इस बदलते व्यवहार के पीछे के असली कारण और उससे निपटने के तरीकों के बारे में बात करेंगे-

Too much screen time
Too much screen time

आज के समय में बच्चे अपना ज्यादातर टाइम स्क्रीम के सामने बिताते हैं। मोबाइल, टीवी, गेम्स, यूट्यूब शॉर्ट्स सब फास्ट, लाउड और इंस्टेंट है। जिसकी वजह से दिमाग को लगातार उत्तेजना मिलती रहती है और बच्चे को स्लो चीजें बोरिंग लगती हैं। ऐसे में दिमाग को हर समय एंटरटेनमेंट चाहिए, वरना चिड़चिड़ापन बढ़ने लगता है। इसलिए, यह जरूरी है कि बच्चे के स्क्रीन टाइम को मैनेज किया जाए। साथ ही साथ, यह भी देखें कि बच्चा स्क्रीन पर क्या देख रहा है?

आजकल बच्चे देर रात तक स्क्रीन देखना पसंद करते हैं या फिर उनका शेड्यूल प्रॉपर नहीं है, जिसकी वजह से अक्सर उनकी नींद पूरी नहीं हो पाती है। जिसकी वजह से मूड स्विंग्स, ओवर रिएक्शन, छोटी-छोटी बातों पर रोना या गुस्सा करना जैसी समस्या होती है। आपको शायद पता ना हो, लेकिन नींद इमोशनल कण्ट्रोल का बेस है। इसलिए, बच्चे की क्वालिटी स्लीप का खासा ध्यान रखें। उसके सोने का एक समय तय करें और उससे एक घंटा पहले स्क्रीन बंद कर दें।

child having junk food
child having junk food

गलत खाना सिर्फ बच्चों में मोटापे की समस्या को ही नहीं बढ़ाता है, बल्कि इससे उनके दिमाग पर भी असर पड़ता है। अगर बच्चा बहुत ज्यादा जंक फूड, चीनी, पैकेज्ड स्नैक्स खाता है और फल, आयरन, प्रोटीन, हेल्दी फैट्स कम लेता है तो इससे भी वह बहुत ज्यादा चिड़चिड़ा हो सकता है। हाई शुगर टेंपरेरी एनर्जी देती है और फिर शुगर क्रैश से चिड़चिड़ापन और बेचैनी हो सकती है। इसलिए, यह बेहद जरूरी है कि पैरेंट्स अपने बच्चों को बैलंेस्ड फूड दें। उनके साथ खाने की जबरदस्ती ना करें, बल्कि उन्हें इसके फायदे समझाएं। जैसे वे इससे स्ट्रॉन्ग बनेंगे या उनकी स्किन ग्लो करेगी या फिर वे क्लास में अच्छे नंबर लाएंगे। ऐसी बातें बच्चों को हेल्दी फूड खाने के लिए मोटिवेट करती हैं। आप बच्चे के जंक फूड के लिए सप्ताह में कोई एक दिन रख सकती हैं।

मैं मिताली जैन, स्वतंत्र लेखिका हूं और मुझे 16 वर्षों से लेखन में सक्रिय हूं। मुझे डिजिटल मीडिया में 9 साल से अधिक का एक्सपीरियंस है। मैं हेल्थ,फिटनेस, ब्यूटी स्किन केयर, किचन, लाइफस्टाइल आदि विषयों पर लिखती हूं। मेरे लेख कई प्रतिष्ठित...