Overview: पुरानी पीढ़ी की ये सीख सिर्फ अंधविश्वास नहीं, इसके पीछे छिपे हैं अहम कारण
दादी-नानी की सीख कि “जूते-चप्पल उल्टे मत रखो” सिर्फ पुरानी परंपरा या अंधविश्वास नहीं है। इसका संबंध हिंदू मान्यताओं, घर की सकारात्मक ऊर्जा, साफ-सफाई, सेहत, अनुशासन और पारिवारिक मूल्यों से गहराई से जुड़ा है। आज की तेज़ जिंदगी में भी यदि हम इन छोटी-छोटी बातों को अपनाएं तो घर का माहौल अधिक शांत, व्यवस्थित और सकारात्मक रह सकता है।
Upside-Down Footwear Belief: बचपन में हम सबने दादी-नानी से एक बात तो जरूर सुनी होगी— “जूते-चप्पल उल्टे मत रखो, सीधा कर दो।” उस वक्त यह केवल डांट या आदत बनवाने जैसा लगता था, लेकिन हिंदू धर्म और घर-परिवार की परंपराओं में इस बात के पीछे कई तरह की मान्यताएं और तर्क छिपे हैं। पुराने लोग हर छोटी चीज़ को जीवन के अनुशासन, स्वच्छता और सकारात्मकता से जोड़कर समझाते थे। आइए जानें कि हिंदू धर्म और दादी-नानी की सीख में उल्टे जूते-चप्पल रखने को क्यों अशुभ माना जाता है।
हिंदू मान्यता: उल्टे जूते-चप्पल से आती है नकारात्मकता

परंपराओं के अनुसार, घर का मुख्य द्वार और आसपास की जगह पवित्र मानी जाती है। माना जाता है कि उल्टे जूते-चप्पल घर में नकारात्मक ऊर्जा के प्रवेश को बढ़ाते हैं। इसलिए दादी-नानी हमेशा इस बात पर जोर देती थीं कि जूते-चप्पल कभी उल्टे न रखें और न ही घर के मुख्य द्वार के पास फैले हुए छोड़ें।
देवी-देवताओं के प्रति अनादर के रूप में देखा जाता है

हिंदू धर्म में साफ-सफाई और वस्तुओं को सही ढंग से रखना, देवी-देवताओं के प्रति सम्मान का प्रतीक माना जाता है। उल्टे जूते-चप्पल रखने को देवताओं के अनादर से जोड़कर भी देखा जाता है। दादी-नानी का मानना है कि अगर जूते-चप्पल उल्टे रखे जाएं, तो मां लक्ष्मी अप्रसन्न हो जाती हैं और घर में धन से जुड़ी परेशानियां आ सकती हैं।
घर की ऊर्जा और वास्तु के हिसाब से भी गलत माना गया
वास्तु शास्त्र में घर की चीज़ों की दिशा और स्थिति को बहुत महत्व दिया गया है। यह कहा जाता है कि गलत तरीके से रखे सामान—खासकर जूते और चप्पल—घर के ऊर्जा प्रवाह में बाधा डालते हैं। उल्टे पड़े जूते-चप्पल घर में असंतुलन और अशांति का कारण बन सकते हैं, ऐसा दादी-नानी अक्सर बताती थीं।
स्वास्थ्य और स्वच्छता से जुड़ा वैज्ञानिक कारण
धार्मिक वजहों के साथ-साथ, दादी-नानी की यह सीख बहुत हद तक स्वास्थ्य से भी जुड़ी थी। बाहर पहने गए जूतों में धूल-मिट्टी और कीटाणु होते हैं। उल्टा होने पर ये गंदगी आसानी से फैल सकती है। इसलिए वे हमेशा कहती थीं कि जूते-चप्पल सीधा रखो ताकि घर साफ रहे और बीमारी का खतरा कम हो।
अनुशासन और आदतों को सुधारने का तरीका
दादी-नानी की लगभग हर शिक़ायत बच्चों की आदतें सुधारने से जुड़ी होती थी। जूते-चप्पल को व्यवस्थित रखना सिर्फ साफ-सफाई नहीं, बल्कि जिम्मेदारी का भी हिस्सा माना जाता था। उल्टे जूते देखने पर वे तुरंत टोकती थीं ताकि बच्चे रोजमर्रा की चीजों में भी अनुशासन सीखें।
अशुभ संकेत और अनचाहे विवादों से जोड़कर देखना
कई घरों में यह मान्यता भी प्रचलित है कि बार-बार उल्टे जूते-चप्पल दिखाई देना छोटे-मोटे विवाद, झगड़ों या अनचाहे तनाव का संकेत होता है। दादी-नानी इसे परिवार की शांति से जोड़कर समझाती थीं और मानती थीं कि चीजें सीधी और व्यवस्थित रखने से घर में सौहार्द बना रहता है।
