Overview: चप्पल से क्यों जुड़ा है नजर दोष का इलाज?
आपने अक्सर दादी-नानी को यह कहते सुना होगा कि बुरी नजर उतारने के लिए चप्पल का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन क्या इसमें कोई सच्चाई है? क्या वाकई चप्पल से नजर दूर की जा सकती है? आइए जानते हैं इस पर क्या कहता है ज्योतिष…
Remedies For Evil Eye: भारतीय घरों में अक्सर नजर दोष को लेकर कई तरह की पारंपरिक मान्यताएं और घरेलू उपाय देखने को मिलते हैं। कभी कोई नमक से नजर उतारता है, तो कोई कपूर, राई, मिर्च या सरसों के तेल से। लेकिन इन सब उपायों में एक तरीका ऐसा भी है, जिसे सुनकर शायद कई लोग चौंक जाएं, चप्पल से नजर उतारना।
यह उपाय खासकर हमारी दादी-नानी के घरेलू नुस्खों में शामिल रहा है। पर क्या वाकई चप्पल से बुरी नजर दूर की जा सकती है? आइए इस दिलचस्प परंपरा को ज्योतिषीय दृष्टिकोण और पारंपरिक अनुभवों की नजर से समझने की कोशिश करते हैं।
चप्पल से क्यों जुड़ा है नजर दोष का इलाज?
हालांकि ज्योतिष शास्त्र में सीधे तौर पर यह उल्लेख नहीं मिलता कि चप्पल से नजर उतारी जा सकती है, लेकिन यह विधि भारतीय लोक मान्यताओं में गहराई से रची-बसी है। इसका आधार यह है कि जूते-चप्पल पृथ्वी तत्व से जुड़े होते हैं, जो नकारात्मक ऊर्जा को सोखने की शक्ति रखते हैं। चूंकि जूते और चप्पल लगातार धरती के संपर्क में रहते हैं, इसलिए उन्हें ऊर्जा को शोषित करने वाला माध्यम माना जाता है।
एक और मान्यता यह है कि शरीर का निचला भाग यानी पैर, शनि ग्रह से संबंधित होता है। शनि और राहु जैसे ग्रहों का संबंध बुरी नजर, नकारात्मक ऊर्जा और मानसिक अस्थिरता से जोड़ा गया है। ऐसे में माना जाता है कि चप्पल का प्रयोग करके बुरी नजर को पैरों तक खींचा जा सकता है और फिर उसे निष्क्रिय किया जा सकता है।
कैसे किया जाता है चप्पल से नजर दोष का निवारण?
यह प्रक्रिया अत्यंत सरल होती है और कई घरों में आज भी अपनाई जाती है। यदि किसी व्यक्ति, खासकर बच्चे पर नजर लग जाए, तो उसकी अपनी पहनी हुई चप्पल या जूता लिया जाता है। इस चप्पल को उस व्यक्ति के सिर से लेकर पैरों तक घड़ी की उलटी दिशा में सात बार घुमाया जाता है। कुछ परंपराओं में केवल सिर के ऊपर घुमाना भी काफी माना जाता है।
इसके बाद उस चप्पल को घर के मुख्य द्वार की दहलीज पर तीन बार हल्के से पटका या झाड़ा जाता है। ऐसा माना जाता है कि नकारात्मक ऊर्जा जो नजर के रूप में व्यक्ति में प्रवेश कर चुकी थी, वह चप्पल में समा जाती है और दहलीज पर झाड़ने से बाहर निकल जाती है। चप्पल को वापस उसकी जगह रख दिया जाता है, और सामान्य रूप से प्रयोग किया जाता है।
शनिवार को क्यों होता है यह उपाय अधिक प्रभावी?
इस पारंपरिक टोटके को शनिवार के दिन करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। कारण यह है कि शनिवार शनि देव को समर्पित होता है, जो कि पैरों और जूतों से संबंधित माने जाते हैं। चूंकि शनि को नकारात्मक ऊर्जाओं और नजर दोष से जुड़ा माना जाता है, इसलिए चप्पल के माध्यम से नजर हटाने की यह प्रक्रिया शनिवार को और भी अधिक असरदार मानी जाती है।
यह उपाय विशेषकर छोटे बच्चों के लिए ज्यादा किया जाता है क्योंकि यह माना जाता है कि वे आसानी से दूसरों की नजर में आ जाते हैं और उनकी रक्षा के लिए इन घरेलू विधियों को अपनाना आवश्यक होता है।
अन्य सामग्रियों का भी होता है उपयोग
चप्पल के अलावा, कई बार सरसों का तेल, नमक, लाल मिर्च, राई, और प्याज के छिलके का भी उपयोग नजर उतारने में किया जाता है। इन सामग्रियों को भी ऊर्जा सोखने वाले तत्व माना जाता है। जब इनका उपयोग चप्पल या अन्य विधियों के साथ किया जाता है, तो माना जाता है कि प्रभाव और अधिक तीव्र होता है।
घर की दहलीज, जहां यह क्रिया की जाती है, उसे ऊर्जा के प्रवेश द्वार के रूप में देखा जाता है। इसीलिए दहलीज पर नजर की ऊर्जा को झाड़कर वहीं समाप्त कर देना एक अहम प्रक्रिया मानी जाती है।
