भारत की संस्कृति हमेशा से ही बहुत ही गौरवशाली रही है। यहां की सदियों पहले की स्थापत्य कला देखकर पूरी दुनिया हैरान है। कहीं गगनचुंबी मंदिर हैं तो कहीं पहाड़ों को तराश कर मंदिरों का निर्माण किया गया। इन मंदिरों की स्थापत्य कला इतनी खूबसूरत है कि दुनियाभर के विशेषज्ञ इन्हें इंसानों द्वारा निर्मित ही नहीं मानते। दुनियाभर में 29 अप्रैल को इंटरनेशनल स्कल्प्चर डे मनाया जाता है। चलिए इंटरनेशनल स्कल्प्चर डे पर जानते हैं भारत की इन्हीं शानदार इमारतों और उनके स्कल्प्चर के बारे में-

मीनाक्षी मंदिर, 33000 मूर्तियों हैं विराजित

तमिलनाडु के मदुरै में स्थापित है मीनाक्षी मंदिर।
Meenakshi temple is established in Madurai, Tamil Nadu.

तमिलनाडु के मदुरै में स्थापित है मीनाक्षी मंदिर। यह भव्य मंदिर भारतीय वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है। मंदिर का काल मंडपम हजार स्तंभों का एक शानदार हॉल है। इस पूरे हॉल में  शिवकामी और नटराज की विशाल मूर्तियां हैं। मंदिर में 12 उंचे गोपुरम हैं, जिनमें से चार प्रमुख  चार दिशाओं में हैं। वहीं बाकी आंतरिक गोपुरम हैं। इन गोपुरम को बेहद खूबसूरती से बनाया गया है। मंदिर की खासियत है इसमें बनीं लगभग 33,000 मूर्तियां। इन मूर्तियों को बेहद सुंदर रंगों में रंगा गया है, जिनसे आपकी नजरें नहीं हटेंगी। मंदिर में स्थापित नटराज की विशाल मूर्ति देखने लायक है। मंदिर की प्रमुख देवी पार्वती का एक रूप मां मीनाक्षी हैं। मां मीनाक्षी की मूर्ति को पन्ना रंग के पत्थर में उकेरा गया है।  

वैज्ञानिक हैं कैलाश मंदिर देखकर हैरान

महाराष्ट्र के औरंगाबाद में स्थित कैलाश मंदिर दुनियाभर के वैज्ञानिकों के लिए आज भी एक पहेली है।
The Kailash temple located in Aurangabad, Maharashtra is still a puzzle for scientists around the world.

महाराष्ट्र के औरंगाबाद में स्थित कैलाश मंदिर दुनियाभर के वैज्ञानिकों के लिए आज भी एक पहेली है। वैज्ञानिक ये सोचकर हैरान हैं कि कैसे इंसानों ने कई सौ साल पहले बिना मशीन के पत्थर काटकर इस दो मंजिला मंदिर का निर्माण किया है। हैरानी की बात तो ये है कि यह मंदिर एक ही पत्थर काटकर बनाया गया है। एलोरा की गुफाओं में स्थित इस मंदिर का निर्माण  लगभग 12 हजार साल पहले किया गया था। राष्ट्रकूट वंश के शासकों की ओर से इस मंदिर का निर्माण शुरू किया गया, जिसे पूरा होने में लगभग 150 साल लगे। एक ही पत्थर की शिला से बनी हुई सबसे बड़े भवन के लिए यह मंदिर दुनियाभर में मशहूर है।

विश्व धरोहर है सूर्य मंदिर

ओडिशा में पुरी में स्थित कोणार्क सूर्य मंदिर यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों में शामिल है।
The Konark Sun Temple at Puri in Odisha is included in the UNESCO World Heritage Sites.

ओडिशा में पुरी में स्थित कोणार्क सूर्य मंदिर यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों में शामिल है। भारत के सबसे पुराने मंदिरों में से एक इस अद्भुत मंदिर का निर्माण गंग वंश के शासक नरसिम्हा देव प्रथम ने अपने शासनकाल 1243-1255 ई में करवाया था। यह मंदिर उस समय की शानदार कला और इंजीनियरिंग का संगम है। कलिंग शैली में निर्मित इस भव्य मंदिर में सूर्य देवता को रथ के रूप में विराजमान किया गया है। पूरे मंदिर पर हो रही उत्कृष्ट नक्काशी आज भी उस समय के कला प्रेम को दर्शाती है।  

दिलवाड़ा मंदिर की स्थापत्य कला

राजस्थान के माउंट आबू के पास स्थित है दिलवाड़ा जैन मंदिर।
Dilwara Jain Temple is situated near Mount Abu in Rajasthan.

राजस्थान के माउंट आबू के पास स्थित है दिलवाड़ा जैन मंदिर। यह जैन धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। यह मंदिर भारत की स्थापत्य कला का बेजोड़ उदाहरण है। मंदिर के स्तंभ से लेकर छत तक इतनी खूबसूरती से बनाई गई है कि आपकी नजरें नहीं हटेंगी। इस मंदिर का निर्माण 11 वीं और 13 वीं शताब्दी के बीच विमल शाह की ओर से करवाया गया था। मंदिर में 48 नक्काशीदार स्तंभ हैं, जिनमें विभिन्न आकृतियां बहुत ही खूबसूरती से उकेरी गई हैं। सफेद संगमरमर से बनाए गए इस मंदिर के मुख्य द्वार की छत पर बनी कल्प वृक्ष की आकृति देख आप हैरान हो जाएंगे कि सालों पहले इतनी बारीक कारीगरी कैसे की गई होगी। यह मंदिर इतनी खूबसूरती से बनाया गया है कि आप इसे पूरे दिन एक्सपलोर कर सकते हैं।  

मैं अंकिता शर्मा। मुझे मीडिया के तीनों माध्यम प्रिंट, डिजिटल और टीवी का करीब 18 साल का लंबा अनुभव है। मैंने राजस्थान के प्रतिष्ठित पत्रकारिता संस्थानों के साथ काम किया है। इसी के साथ मैं कई प्रतियोगी परीक्षाओं की किताबों की एडिटर भी...