Historical and natural heritage of Madhya Pradesh
Historical and natural heritage of Madhya Pradesh

भोपाल

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल अनूठी नैसर्गिक छवि, ऐतिहासिकता और आधुनिक नगर नियोजन का नायाब नमूना है। ग्यारहवीं सदी के भोजपाल नामक इस नगर को राजा भोज ने बसाया था। बाद में इसकी नींव एक प्रतापी राजा अफगान सैनिक दोस्त मोहम्मद (1708-1740) ने डाली थी। दोस्त मोहम्मद की मुलाकात रूपवती गौड़ रानी कमलापति से हुई थी, जिसने अपने पति की मृत्यु हो जाने पर उनसे सहायता की याचना की थी। एक रोचक किंवदंती के अनुसार रानी कमलापति कमल पुष्प की आकृति की अपनी नाव में भोपाल झील से सुरमय विस्तार में पूनम की रातों में जलविहार का आनंद लेती थी। आज भी भोपाल की दोनों झीलें पर्यटकों के लिये खूबसूरत सौगात है। भोपाल एक बहुरंगी नजारे की तस्वीर पेश करता हैं। एक ओर पुराना शहर है जहां बाजार, पुरानी सुन्दर मस्जिदें एवं महल हैं, जो पूर्व शासकों के शानोशौकत की कहानी बयां करते हैं। वहीं दूसरी ओर नया शहर जिसके सुन्दर पार्क, हरे-भरे वृक्ष गहरा सुकून देते हैं।

 

दर्शनीय स्थल

 

 

 

ताजउल मस्जिद –

इस गगनचुनी मस्जिद का निर्माण शाहजहां बेगम (1868-1901) ने शुरू किया था, जिनकी मृत्यु पश्चात् 1971 में इसे दोबारा शुरू किया गया। शाहजहां बेगम भोपाल की 8वीं शासक थी, जिन्होंने शहर में अनेक स्मारक बनवाये। भोपाल में डाक एवं रेल तथा जल व्यवस्था का श्रेय भी उन्ही को है। मस्जिद में शानदार मुख्य कक्ष, महराबदार छत, चौड़े छज्जे, खुला प्रांगण और चमचमाती संगमरमरी फर्श हैं। यहां हर साल तीन दिनों का इजि़तमा का धार्मिक मेला लगता है, जिसमें देश और दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से श्रद्धालु और विद्वान शिरकत करने आते हैं।

जामा मस्जिद –

स्वर्णिम शिखरों की मीनारों वाली इस खूबसूरत मस्जिद का निर्माण 1837 में कुदसिया बेगम ने करवाया था।

मोती मस्जिद –

दिल्ली की जामा मस्जिद के नमूने पर इस शानदार मस्जिद का निर्माण सिकंदर जहां, कुदसिया बेगम की पुत्री ने 1860 में करवाया था।

शौकत महल और सदर मंजिल –

यह महल वास्तुकला का अनुपम उदाहरण है। पश्चिमी स्थापत्य शैली के मुहावरे में बनी इस इमारत में अनेक वास्तुशैलियों का मेल है। भारतीय शिल्प कला और मुगल शैली ने मिलकर इसे अनूठा रूप दिया है। इसकी परिकल्पना एक फ्रेंच स्थापत्यकार ने की थी, जो फ्रांस के बोरबॉन राजाओं की एक शाखा का उत्तराधिकारी था। इसी के पास बनी है सदर मंजिल, जहां पर भोपाल के पूर्व राजा आम जनता से मिलते-जुलते थे।

भारत भवन –

भोपाल में कलाओं की एक अद्वितीय राष्ट्रीय संस्था के रूप में स्थापित भारत भवन रूपंकर प्रदर्शनकारी कलाओं और साहित्य का घर है। भवन का स्थापत्य यहां के प्राकृतिक दृश्यों के साथ एकाकार हो गया है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय –

मानव विकास की समेकित गाथा की प्रस्तुति के लिये समर्पित यह संग्रहालय अपनी किस्म का मात्र एक संग्रहालय है, जो भोपाल में श्यामला पहाड़ी पर लगभग 200 एकड़ के भू-भाग में 32 पारंपरिक एवं प्रगैतिहासिक चित्रित शैलाश्रय समेटे है। वन प्रांतों, पर्वतीय, समुद्रतटीय एवं क्षेत्रीय निवासियों के द्वारा निर्मित मूर्त वस्तुओं से युक्त, जन जातीय आवास के प्रकारों की मुक्ताकाश प्रदर्शनियां यहां का विशेष आकर्षण हैं।

राजकीय संग्रहालय –

उत्तर मौर्यकाल और दसवीं शताब्दी की मूर्तियों के भग्नावशेष के साथ ही साथ भोपाल में पाषाण और तांबा युग के संधिकाल के मानुषी उपकरणों की दीर्घा है।

गांधी भवन –

राष्ट्रपिता की स्मृति में समर्पित इस भवन में महात्मा गांधी के जीवन-वृत्त पर आधारित चित्र संग्रहालय है।

वन विहार –

बड़ी झील के पाश्र्व में यह प्रमोद वन 444 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है। इसके प्राकृतिक और सुरक्षा परिवेश में विभिन्न जातियों के वन्य प्राणी निवास करते हैं।

चौक –

पुराने शहर के बीचों-बीच का स्थान जहां अनेक पुरानी मस्जिदें और हवेलियां निर्मित है। भोपाल दस्तकारी की नायाब चीजें दुकानों में सजी रहती हैं।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

बड़ी और छोटी झील –

बड़ी और छोटी झील को एक ओव्हर ब्रिज अलग करता है। पर्यटन विकास निगम बड़ी झील में क्रूज, पाल नौकायन, छोटी नावें, मोटर तथा स्पीड बोट और वाटर स्कूटर की सुविधा प्रदान करता है। यहां सायंकाल का समय अत्यन्त आनन्ददायक होता है।

मछली घर –

छोटी झील के समीप मत्स्याकृति का खूबसूरत मछली घर है। यहां अनेक जातियों वाली अनेक रंगों की मछलियां क्रीड़ा करती रहती हैं।

इस्लाम नगर –

भोपाल-बैरसिया मार्ग पर 11 कि.मी. दूर इस्लाम नगर में भोपाल के अफगान शासकों का महल था, जिसका निर्माण दोस्त मोहम्मद खान ने करवाया था। महल को सुन्दर बगीचे घेरे हुए हैं। इसका मंडप हिन्दू और मुगल वास्तुकला का सुन्दर नमूना है। यहां चमन का हमाम और दो मंजिला रानी का महल देखने योग्य है।

अन्य दर्शनीय स्थल –

गौहर महल, बिड़ला मंदिर, मनुआमान की टेकरी। 


कैसे पहुंचें –
 

 

वायु सेवा – दिल्ली, ग्वालियर, इंदौर और मुम्बई से नियमित उड़ानें।

रेल सेवाएं – भोपाल, दिल्ली-चेन्नई, मेन लाईन पर है।

सड़क मार्ग – इंदौर, माण्डू, उज्जैन, खजुराहो, पचमढ़ी, ग्वालियर, सांची, जबलपुर और शिवपुरी के बीच नियमित बस सेवायें एवं टैक्सियां उपलब्ध हैं।

कहां ठहरें

होटल पलाश रेसीडेंसी (म.प्र. पर्यटन), होटल लेक व्यू अशोक (भारत पर्यटन विकास एवं म.प्र. पर्यटन)

 

 

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