Overview: अमेरिका में करियर बनाने का सपना हुआ महंगा, अब इन देशों में मिलेगा मौका
अमेरिका में H1-B वीजा पर 100,000 डॉलर का भारी शुल्क भारतीय आईटी पेशेवरों के लिए अवसरों को सीमित कर रहा है।
New Rules of H1-B Visa: दशकों से अधिकांश भारतीय युवा अमेरिका जाकर जॉब करने का सपना देख रहे हैं। जिसमें से कई लोगों का सपना पूरा भी हुआ है लेकिन अब ये सपना महंगा और मुश्किल हो सकता है। H1-B वीजा जिसे यूएस जाने का सुनहरा टिकट माना जाता है उसे हासिल करने के लिए भर मुट्ठी पैसा और लक की आवश्यकता पड़ेगी। जी हां, हाल ही में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नए H1-B वीजा पर 100,000 डॉलर का भारी-भरकम शुल्क लगाया है, जो लाखों स्किल्ड प्रोफेशनल्स के लिए रास्ते का रोढा साबित हो सकता है। शुल्क बढ़ने से युवाओं को क्या समस्याएं आ सकती हैं और वह क्या तरीका अपना सकते हैं चलिए जानते हैं इसके बारे में।
क्या हैं H1-B वीजा के नए नियम

भारतीय युवाओं का अमेरिका जाने का सपना अब महंगा हो सकता है। H1-B वीजा अमेरिका में कुशल विदेशी पेशेवरों, खासकर आईटी और टेक क्षेत्र के लिए एक प्रमुख प्रवेश द्वार रहा है। यह वीजा अस्थायी रूप से फीचर्स वाले कार्यों के लिए काम करने की अनुमति देता है, लेकिन हाल ही में ट्रंप प्रशासन द्वारा इसमें बड़े बदलाव किए गए हैं। 19 सितंबर 2025 को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने “Restriction on Entry of Certain Non immigrant Workers” नामक एक घोषणा पर हस्ताक्षर किए, जो H1-B वीजा को और सख्त बनाती है। मुख्य बदलाव यह है कि नए H1-B वीजा आवेदनों के लिए कंपनियों को प्रति वर्ष 100,000 डॉलर (लगभग 84 लाख रुपये) का अतिरिक्त शुल्क देना होगा। यह शुल्क 21 सितंबर 2025 से प्रभावी हो गया है और 12 महीनों के लिए लागू रहेगा, जब तक कि इसे बढ़ाया न जाए।
नए नियमों का उद्देश्य
यह शुल्क केवल नए आवेदनों पर लागू होगा। पुराने वीजा धारकों या 2025 लॉटरी में चयनित लोगों पर इसका असर नहीं पड़ेगा। ट्रंप प्रशासन का तर्क है कि यह अमेरिकी नौकरियों की रक्षा करेगा, क्योंकि H1-B का दुरुपयोग हो रहा है। कई कंपनियां कम वेतन वाले विदेशी श्रमिकों से अमेरिकी कर्मचारियों को बदल रही हैं। उदाहरण के लिए, 2025 के पहले छह महीनों में अमेजन ने 12,000 से अधिक H1-B वीजा स्वीकृत कराए, जबकि माइक्रोसॉफ्ट और मेटा ने 5,000 से ज्यादा। इसके अलावा, B वीजा (पर्यटक/व्यापार) के दुरुपयोग को रोकने के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए हैं और अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए सोशल मीडिया एक्सेस की मांग जैसे अन्य प्रतिबंध भी लगाए गए हैं।
भारतीयों पर पड़ेगा प्रभाव

भारतीय पेशेवरों पर इसका गहरा असर पड़ेगा, क्योंकि 72% H1-B वीजा भारतीयों को मिलते हैं। यह शुल्क छोटी कंपनियों या एंट्री-लेवल जॉब्स को असंभव बना देगा, जिससे ब्रेन ड्रेन प्रभावित होगा। हालांकि, O-1 (असाधारण प्रतिभा) या L-1 (कंपनी ट्रांसफर) जैसे वैकल्पिक वीजा अभी भी उपलब्ध हैं, लेकिन वे भी सीमित हैं।
भारतीयों के लिए नई संभावनाएं
चीन: चीन ने US H1-B वीजा की तरह 1 अक्टूबर, 2025 से K Visa लॉन्च करने की घोषणा की है. इसे अत्यधिक कुशल प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए डिजाइन किया गया है.
यूके: ब्रिटेन ने भी अपने यहां कुशल लोगों के लिए वीजा फीस घटाने की योजना पर काम शुरू कर दिया है.
कनाडा: भारतीयों को कनाडा बेहद पसंद है। यहां एक्सप्रेस एंट्री सिस्टम से पर्मानेंट रेसिडेंसी (PR) आसानी से मिलती है। टेक, इंजीनियरिंग और हेल्थकेयर में जॉब्स भी भरपूर हैं। यहां पोस्ट-स्टडी वर्क परमिट (PGWP) 3 साल तक का है। 2025 में 5 लाख से ज्यादा इमिग्रेशन टारगेट है।
जर्मनी: यहां EU ब्लू कार्ड से STEM फील्ड्स में आसान प्रवेश है। जॉब सीकर वीजा 6 महीने का मिलता है। आईटी और इंजीनियरिंग में 10 लाख जॉब्स की कमी है। उच्च वेतन और वर्क-लाइफ बैलेंस की सुविधा मिलती है। 2025 में इंडियन प्रोफेशनल्स के लिए स्पेशल क्वोटा बढ़ाया गया है।
आयरलैंड: इसे यूरोप का टेक हब कहा जाता है। क्रिटिकल स्किल्स एम्प्लॉयमेंट परमिट से 2 साल का वीजा, PR का रास्ता आसान है। गूगल, माइक्रोसॉफ्ट जैसे दिग्गजों की ब्रांच यहां पर हैं। 2025 में इंडियन स्टूडेंट्स के लिए पोस्ट-स्टडी वर्क वीजा 24 महीने का कर दिया गया है।
ऑस्ट्रेलिया: पॉइंट्स-बेस्ड स्किल्ड माइग्रेशन वीजा (सबक्लास 189/190)। टेक और हेल्थकेयर में 6.6% जॉब ग्रोथ। वर्किंग होलीडे वीजा (18-30 आयु) अगर नया एग्रीमेंट बने। उच्च सैलरी और जीवन स्तर का मौक मिलता है।
यूएई (संयुक्त अरब अमीरात): गोल्डन वीजा से 10 साल का रेसिडेंसी। टैक्स-फ्री इनकम, आईटी और कंस्ट्रक्शन में जॉब्स। दुबई का डिजिटल सिटी प्रोजेक्ट भारतीयों के लिए खुला है। निकटता और सांस्कृतिक समानता फायदेमंद है।
इन देशों में भी मिल सकता है मौका
सिंगापुर (एशिया का इनोवेशन हब, S पास वीजा), यूके (स्किल्ड वर्कर वीजा, पोस्ट-स्टडी 2 साल), न्यूजीलैंड (स्किल्ड माइग्रेंट कैटेगरी), जापान (स्पेसिफाइड स्किल्ड वर्कर वीजा), और सऊदी अरब (प्रमियम रेसिडेंसी)। ये देश भारतीयों को न केवल जॉब्स दे रहे हैं, बल्कि PR और सिटिजनशिप के रास्ते भी खोल रहे हैं।
इन बातों का रखें ध्यान
– अपनी स्किल्स को अपडेट करें।
– IELTS/पॉइंट्स सिस्टम की तैयारी करें
– लोकल जॉब पोर्टल्स (जैसे LinkedIn, Indeed) का इस्तेमाल करें।
– अमेरिका का सपना टूटा नहीं, बस दिशा बदल गई है। अब वैश्विक अवसरों पर ध्यान दें।
