Overview:
हर माता-पिता की यही चाहत होती है कि बच्चा जिंदगी में इतना सफल हो जाए कि उसे पीछे मुड़कर देखना न पड़े, वो किसी दुख तकलीफ से न गुजरे। लेकिन यहां सिक्के का दूसरा पहलू भी देखने की जरूरत है, कहीं आपकी ये बातें बच्चों पर पियर प्रेशर तो नहीं बना रही हैं।
Teenage Problems and Solutions: ‘मेरा बेटा बड़ा होकर इंजीनियर बनेगा’,’मैं अपनी बेटी को डॉक्टर बनाउंगा’,’बेटा तुम्हें फेल नहीं होना है’… ये बातें आपने अपने घर में, रिश्तेदारों के घर पर, आस-पड़ोस में बहुत बार सुनी होंगी। ये माता-पिता के वो सपने हैं, जो वे बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए देखते हैं। हर माता-पिता की यही चाहत होती है कि बच्चा जिंदगी में इतना सफल हो जाए कि उसे पीछे मुड़कर देखना न पड़े, वो किसी दुख तकलीफ से न गुजरे। लेकिन यहां सिक्के का दूसरा पहलू भी देखने की जरूरत है, कहीं आपकी ये बातें बच्चों पर पियर प्रेशर तो नहीं बना रही हैं। कहीं माता-पिता की उम्मीदों के पहाड़ के नीचे बच्चों का बचपन और खुशियां तो दम नहीं तोड़ रही हैं। कोटा में पिछले कुछ दिनों में पांच स्टूडेंट्स के सुसाइड ने ऐसे कई सवाल खड़े कर दिए हैं, जिनके जवाब आज हम खोज रहे हैं।
कोटा में एक के बाद एक हुए सुसाइड

राजस्थान के कोटा को कोचिंग हब माना जाता है। हर साल यहां लाखों स्टूडेंट्स कोचिंग के लिए आते हैं। हालांकि कई बच्चे जिंदगी की जंग भी हार बैठते हैं। हाल ही में कोटा में एक के बाद एक स्टूडेंट सुसाइड के कई मामले सामने आए हैं। 7 जनवरी को महेंद्रगढ़ निवासी जेईई स्टूडेंट नीरज जाट ने हॉस्टल में सुसाइड किया। 8 जनवरी को गुना मध्य प्रदेश निवासी जेईई स्टूडेंट अभिषेक पीजी के पंखे से लटका मिला। इस घटना के कुछ दिन बाद 16 जनवरी को उड़ीसा निवासी जेईई स्टूडेंट अभिजीत गिरी ने हॉस्टल में सुसाइड कर लिया। वहीं 17 जनवरी को बूंदी निवासी जेईई स्टूडेंट ने सुसाइड किया। इस घटना के दो दिन बाद जेईई मेन्स की तैयारी कर रहे मनन जैन ने आत्महत्या कर ली। मनन बूंदी जिले का रहने वाला था। इन मामलों के बाद हर माता-पिता के दिल में बच्चों को लेकर डर और कई शंकाएं हैं।
बच्चों के दिल और दिमाग पर असर
गौतम हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर की मनोचिकित्सक डॉ. अनीता गौतम का कहना है कि आज के समय में हर बच्चा पढ़ाई के भारी तनाव में है। एक तरफ बोर्ड एग्जाम में नंबर लाने की होड़ तो दूसरी ओर कॉम्पिटिशन पास करने का प्रेशर। ऐसे में जब बच्चे किसी दूसरे बच्चे की सुसाइड की खबर सुनते हैं तो वे भी ऐसे कदम उठाने के बारे में सोचने लगते हैं। उन्हें लगता है कि पढ़ाई और प्रेशर से अच्छा है, सब कुछ छोड़ दो। सुसाइड के यह पैटर्न इस ओर इशारा भी कर रहा है। जैसे जब कोई हंसता है तो आप उसे दूर से देखकर भी खुश होते हैं। कोई झगड़ा करता है तो आप भी तनाव में आते हैं। सुसाइड को लेकर भी ऐसा है। इसलिए ऐसे मामलों के बाद पेरेंट्स को अपने बच्चों से जरूर बात करनी चाहिए।
बच्चों को बताएं, आप हैं सबसे जरूरी
डॉ. गौतम कहती हैं कि बच्चा चाहे आपके पास रहकर पढ़ाई कर रहा हो या दूर रहकर, उसे समय-समय पर बताएं कि आप उसे बहुत ज्यादा प्यार करते हैं। उसे पढ़ाई के लिए बोलें, लेकिन प्यार से। उसे यह समझाएं कि जिंदगी में पास और फेल होना बहुत ही नॉर्मल है। ये जीवन का हिस्सा है। लेकिन इसे दिल पर न लें। बच्चे को हमेशा यह एहसास दिलाएं कि वह आपके लिए सबसे पहले है और सबसे जरूरी है। बच्चे पर प्यार लुटाने में कोई कंजूसी न करें।
हमेशा करें वीडियो कॉल
अगर बच्चा बाहर रहकर पढ़ाई कर रहा है तो आप उससे दिन में कम से कम दो बार वीडियो कॉल पर बात जरूर करें। इससे बच्चे के चेहरे के हाव भाव देखकर भी पेरेंट्स उसके दिल का हाल जान सकते हैं। ध्यान रखें कई बार बच्चे माता-पिता को दिल की बात बोल नहीं पाते, लेकिन चेहरा देखकर आपको इसे समझना होगा। इसलिए वीडियो कॉल जरूर करें। समय-समय पर बच्चे की काउंसलिंग करें, इससे उसे मानसिक शांति मिलेगी। अगर हो सके तो उससे मिलने भी जाएं।
