Teachers Day Special
Teachers Day Special


Teacher’s Day 2022 : हर बच्चे की अपनी अलग प्रतिभा और अपना अलग वजूद होता है। मगर स्कूल में टीचर्स धीरे-धीरे उन्हीं बच्चों को पसंद करने लगते हैं, जिन्हें न केवल जिम्मेदारी का एहसास होता है बल्कि जो टीचर्स को तंग करने की बजाय उनकी मदद करने में विष्वास रखते हैं। इन्हें चाहे आप हर बच्चे का स्वभाव मानें या फिर घर के माहौल और उनकी परवरिश का नतीजा कहें। ये बात बिल्कुल सच है कि बच्चे वही सीखते हैं, जो हम उन्हें सिखाते हैं। मगर बच्चों का आचरण ही स्कूल में उनकी छवि को संवारता और बिगाड़ता है। आइए जानते हैं, ऐसे कौन से गुण है, जो टीचर्स को बच्चों में पसंद आते हैं।

जिन्हें होता है जिम्मेदारी का एहसास

क्लास के सभी बच्चों को पढ़ाना टीचर्स की पहली ज़िम्मेदारी होती है। मगर वहीं दूसरी तरह कुछ ऐसे बच्चे भी होते हैं, जो न सिर्फ पढ़ाई को लेकर अनाकानी करते हैं बल्कि अपनी चीजों को संभालने के प्रति भी ध्यान नहीं देते हैं। ऐसे बच्चे हर दम खेलों में यां फिर षैतानियों में अपना वक्त बेवजह ज़ाया करते हैं, जो टीचर्स के लिए भी परेषानी का सबब बन जाते हैं। इस तरह के बच्चों का गैरज़िम्मेदाराना रैवया टीचर्स को पसंद नहीं आता है। वहीं दूसरी तरफ जो बच्चे अपनी पढ़ाई से लेकर किताबों और यहां तक की क्लासरूम में रखे सामान का भी ख्याल रखते है, वही बच्चे टीचर्स के दिल के करीब रहते हैं।

जो अपना होमवर्क पूरा करते हैं

अधिकतर स्कूलों में बच्चों को होमवर्क देने का प्रचलन होता है। मगर कई छात्र ऐसे भी होते हैं, जो अक्सर होमवर्क पूरा नहीं करते यां फिर आधा अधूरा करके चले आते हैं। बच्चों की इस प्रकार की परर्फामेंस टीचर्स को बिल्कुल भी नहीं भाती है। इससे न केवल बच्चा पढ़ाई में पीछे रह जाता है बल्कि इसका असर स्कूल के रिजल्टस पर भी साफतौर पर नज़र आने लगता है। पढ़ाई के प्रति बच्चों की मनमानी टीचर और स्टूडेंटस के मध्य मतभेद का कारण बन जाती है। मगर पेरेंटस इसमें भी अधिकतर टीचर्स को ही कोसते हुए नज़र आते हैं। इस प्रकार का व्यवहार टीचर्स को पसंद नहीं आता है।

जो हर एक्टिविटी के प्रति उत्साहित रहते हैं

चाहे क्विज़ कान्टेस्ट हों, खेल प्रतियांगिता हो, रंगोली मेकिंग एक्टिविटी हो यां फिर कल्चरल प्रोग्राम, जो बच्चे हर प्रतियोगिता में हिस्सा लेते हैं। अक्सर टीचर्स उन्ही बच्चों से प्रभावित रहती हैं। ऐसे बच्चे टीचर्स के लिए हेल्पिंग हैंड का भी काम करते हैं। दरअसल, किसी भी काम के प्रति बच्चों के अंदर दिखने वाला उत्साह बच्चों की प्रतिभा को निखारने का काम करता है। वहीं कुछ बच्चे व्यवहार से बेहद षांत होते हैं, जो इस प्रकार के कार्यक्रमों का हिस्सा बनने से भी कतराते हैं। फिर वो बच्चे धीरे धीरे टीचर्स की अटैंषन खोने लगते हैं।

Teacher's Day 2022
Relationship of Teacher and Student

जो मारपीट से दूर रहते है,

बहुत से बच्चे हर वक्त दूसरों से मारपीट यां झगडे़ में व्यस्त रहते हैं। उन्का ये आचरण अक्सर उनके लिए तो परेषानी खड़ा करता ही हैं। साथ ही टीचर्स भी ऐसे बच्चों की बार बार कम्लेंट से परेषान हो जाती है। वे दूसरे बच्चों को उनसे दूर रहने की हिदायत देती है। खेलने से लेकर लंच करते तक, वे अंन्य बच्चों को उनके करीब नहीं आने देती हैं।

जो बहाने नहीं बनाते

कभी किताब भूल गए, कभी नोटबुक गुम हो गई, तो कभी मैं बीमार हूं, जैसे न जाने कितने ही बहाने है, जो बच्चे आए दिन बनाते रहते हैं। इस तरह के बेबुनियाद बहाने टीचर्स एक से दूसरी बार में आसानी से समझ जाती हैं। वे इस बात को भाप जाती हैं कि कौन सा बच्चा पढ़ने में आनाकानी कर रहा है। इस तरह की बातें टीचर्स को इरिटेट करने का भी काम करती हैं। इस तरह का व्यवहार अपनाने वाले बच्चे टीचर्स की गुड बुक्स में नहीं रहते हैं।

अपने काम से काम रखने वाले बच्चे

वो बच्चे जो अपनी पढ़ाई से लेकर अपने स्पोर्टस और म्यूजिक समेत अन्य एकिटविटिज़ में पूरा समय लगाते है। साथ ही हर क्षेत्र में एक्टिव रहते हैं। ऐसे बच्चे टीचर्स की नज़रों में सदैव बने रहते है। टीचर्स का साथ और उनका विष्वास इन पर हमेषा बना रहता है और वे अपने प्रोजेक्टस से लेकर क्लास में डिस्पिलिन तक हर काम में ऐसे बच्चों का सहयोग लेती हैं।

ईमानदार बच्चे

बहुत से बच्चे बात बात पर झूठ का सहारा लेते हैं। जो बच्चे अपने माता पिता और टीचर से झूठ बोलते है, उसका असर प़ने पर भी नज़र आता है। नतीजन वे पढ़ाई में भी आगे नही बढ़ पाते हैं। वहीं सच बोलने वाले बच्चे टीचर्स को खासतौर से पसंद होते हैं। वे इस बात से ही संतुश्ट हो जाती है, कि चाहे इसका काम गलत हो यां सही। मगर ये झूठ नही बोलगा। इस प्रकार का भरोसा टीचा वाकई अपने आप में किसी कामयाबी से कम नहीं है।

आज का इतिहास

5 सिंतबर को देष के पहले वाइस प्रेसिडेंट और दूसरे प्रेसिडेंट भी रहे डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिवस होता है। डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन को भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। उन्होंने 40 साल तक बतौर टीचर काम किया था। एक बार जब उनका जन्मदिन मनाने की बात उठी, तो उन्होंने कहा कि अगर जन्मदिन मनाना ही है, तो टीचर्स डे के तौर पर मनाया जाए। उसके बाद सन 1962 से हमारे देष में टीचर्स डे मनाया जाने लगा। दुनियाभर में अलग अलग तारीख को टीचर्स डे के तौर पर मनाया जाता है।

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