करियर में कामयाबी के लिए ट्रिना मुखर्जी से लें प्रेरणा, हर कदम सशक्त महसूस करने की देती हैं सलाह: International Women’s Day Special
International Women’s Day Special

कॉनराड बेंगलुरु की डायरेक्टर ऑफ मार्केटिंग है ट्रिना मुखर्जी

हॉस्पिटैलिटी और मार्केटिंग के क्षेत्र में ट्रिना को 10 साल से भी ज्यादा का अनुभव है।

International Women’s Day Special: मार्केटिंग, ब्रांडिंग और कम्यूनिकेशन के क्षेत्र में अगर आपको प्रेरणा लेनी हैं, तो ट्रिना मुखर्जी से लें। हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री की इस जानी-मानी शख्सियत से बहुत कुछ सीखने को मिल सकता है जो कि आपकी प्रोफेशनल लाइफ को ऊंचाइयों पर ले जाएगा। ट्रिना मुखर्जी कॉनराड बेंगलुरु में डायरेक्टर ऑफ मार्केटिंग हैं। वे अभी क्रॉस-फंक्शनल मार्केटिंग टीम को लीड कर रही है।

हॉस्पिटैलिटी और मार्केटिंग के क्षेत्र में ट्रिना को 10 साल से भी ज्यादा का अनुभव है। ट्रिना कोलकाता, बेंगलुरु, मुंबई और अहमदाबाद जैसे वाइब्रेंट मार्केट में इंडस्ट्री के मैरियट इंटरनेशनल जैसे कुछ प्रमुख नामों के साथ भी जुड़ चुकी हैं।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर ट्रिना मुखर्जी ने कुछ विचारों को साझा किया है जो कि इस इंडस्ट्री में करियर बनाने वाली कई लड़कियों और महिलाओं के लिए फायदेमंद साबित होगा।

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ट्रिना के मुताबिक हॉस्पिटैलिटी, पीआर और मार्केटिंग प्रोफेशनल के रूप में सबसे महत्वपूर्ण नेटवर्क है। आप जो नेटवर्क बनाते हैं, वह ब्रांड के लिए इक्विटी बढ़ाने में मदद करता है। वर्ड ऑफ माउथ और कई एडवोकेसी प्रोग्राम के साथ यह संभव होता है। ट्रिना कहती हैं, ‘मुझे लगता है कि इस इंडस्ट्री में बस नेटवर्क और पर्सनलाइज्ड रिलेशनशिप ही सब कुछ है, जिनके साथ आप आगे बढ़ते हैं। शुक्र है कि यह मेरी अभी तक ताकत ही रहा है।‘

पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में बैलेंस बनाने की बात पर ट्रिना कहती हैं, मैं व्यक्तिगत रूप से महसूस करती हूं कि इस अंतर को समझना और स्वीकार करना कितना ज़रूरी है। साथ ही सीमाएं निर्धारित करना बहुत महत्वपूर्ण है। एक बार आप इसे स्वीकार लेते हैं, तो आप चुनौतियों से निपटने की कोशिश करते है और फिर उन्हें कम करने की दिशा में काम करते हैं। कई बार मैं ऐसे लोगों से मिल चुकी हूं जो कि काम को अपने व्यक्तिगत जीवन का हिस्सा मान लेते हैं, उनमें स्वीकार्यता बहुत कम होती है। इस अंतर को स्वीकार करना पहला कदम है और ऐसा करके आप खुद ही बदलाव महसूस करेंगे।

मुझे लगता है कि मेरे लिए सफलता और असफलता दोनों को स्वीकार करना महत्वपूर्ण है। एक बार जब आप इसे स्वीकार कर लेते हैं, तो या तो आप सफलता का जश्न मनाते हैं या ड्राइंग बोर्ड पर वापस जाकर विश्लेषण करते हैं कि असफलता को सफलता के रूप में बदलने के लिए क्या बेहतर किया जा सकता है। यह उतना जटिल नहीं है। बस स्वीकारें और परिस्थिति के हिसाब से आगे बढ़े। दोनों ही नतीजे साइक्लिक और टाइम बाउंड हैं। इसलिए इसे बस जीने की ज़रूरत है।

चुनौतिपूर्ण परिस्थितियों में खुद को सकारात्मक रखने के लिए ट्रिना शांत रहना और सभी चीज़ों को धैर्य से हैंडल करना पसंद करती हैं। वे कहती हैं, ‘मेरे लिए कोई भी आवेश में फैसला न करना, सबसे अच्छा सबक है। ऐसा खासकर तब जब आप लीडरशिप की भूमिका में हों। बेहतर होगा कि आप थोड़ा विराम लें, शांत मानसिकता से मूल्यांकन करें और फिर पूरी ताकत के साथ वापस लौटें।

हॉस्पिटैलिटी और मार्केटिंग के क्षेत्र में करियर बनाने की इच्छुक महिलाओं को सलाह देना चाहूंगी कि आप जैसे हैं, वैसे रहें, प्रामाणिक बनें। आत्मविश्वास से भरपूर रहें और हर कदम पर सशक्त महसूस करें।

अपने सपनों को पूरा करने के इस सफर में हर पल कों खुलकर जियो।

सोनल शर्मा एक अनुभवी कंटेंट राइटर और पत्रकार हैं, जिन्हें डिजिटल मीडिया, प्रिंट और पीआर में 20 वर्षों का अनुभव है। उन्होंने दैनिक भास्कर, पत्रिका, नईदुनिया-जागरण, टाइम्स ऑफ इंडिया और द हितवाद जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में काम किया...