Same Gotra Marriage
Same Gotra Marriage

क्यों एक गोत्र में नहीं करनी चाहिए शादी, जानें क्या कहती हैं हमारी दादी

Same Gotra Marriage : अक्सर हमारी दादी-नानी या बड़े-बुजुर्ग कहते हैं कि एक ही गोत्र में शादी नहीं करनी चाहिए? आइए जानते हैं इसके पीछे की क्या वजह है?

Same Gotra Marriage: भारतीय संस्कृति में विवाह को न सिर्फ दो व्यक्तियों का बल्कि दो परिवारों और उनके संस्कारों का मिलन माना गया है। इसी परंपरा के तहत गोत्र का महत्व विवाह के संदर्भ में विशेष रूप से समझा जाता है। यह परंपरा वैदिक काल से चली आ रही है और इसका न
केवल सामाजिक बल्कि वैज्ञानिक महत्व भी है।

बता दें कि गोत्र संस्कृत का शब्द है, जिसका अर्थ वंश या परिवार है। यह उस ऋषि या पूर्वज का नाम है, जिनसे कोई व्यक्ति या परिवार अपनी वंशावली का पता लगाता है। भारतीय समाज में गोत्र व्यक्ति की पितृसत्तात्मक वंश परंपरा को दर्शाता है। वेदों के अनुसार, गोत्र प्रणाली हमारे प्राचीन ऋषियों ने बनाई थी। प्रत्येक गोत्र का नाम किसी ऋषि से जुड़ा होता है, जैसे कि कश्यप, वशिष्ठ, भारद्वाज आदि। परंपरागत रूप से यह माना जाता है कि एक ही गोत्र के लोग समान पूर्वजों के वंशज होते हैं।

Marriage in Same Gotra
Marriage in Same Gotra

एक ही गोत्र में शादी करने का मतलब है कि दंपति के जीन (Genes) समान हो सकते हैं। समान जीन वाले माता-पिता के बच्चों में आनुवंशिक विकारों (Genetic Disorders) का खतरा अधिक होता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ऐसा होने पर बच्चों में मानसिक और शारीरिक विकलांगता या अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम बढ़ जाता है।

भारतीय परंपरा में एक ही गोत्र के लोगों को भाई-बहन की तरह माना गया है, क्योंकि वे एक ही पूर्वज के वंशज होते हैं। ऐसे में एक ही गोत्र में विवाह को सामाजिक और नैतिक दृष्टि से अनुचित माना जाता है।

Relation
Relation

गोत्र प्रणाली का उद्देश्य समाज में विभिन्न समूहों को एक साथ रखना और विवाह के माध्यम से विविधता को बनाए रखना था। एक ही गोत्र में शादी करने से सामाजिक विविधता और संतुलन प्रभावित हो सकता है।

भारतीय समाज में परिवार और रिश्तों को अत्यधिक महत्व दिया जाता है। एक ही गोत्र में विवाह से पारिवारिक संबंधों में उलझन पैदा हो सकती है, क्योंकि यह एक प्रकार से “अंदरूनी” संबंधों को जन्म दे सकता है।

दादी-नानी अक्सर कहती हैं कि “गोत्र हमारे पूर्वजों का दिया हुआ एक आशीर्वाद है, और इसे बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी है।” उनका मानना है कि एक ही गोत्र में शादी करने से पूर्वजों की पवित्रता और उनकी परंपरा का उल्लंघन होता है।

दादी कहती हैं कि एक ही गोत्र के लोगों को भाई-बहन के समान समझा जाता है। इसलिए, इस मर्यादा का पालन करना आवश्यक है ताकि परिवार और समाज में रिश्तों की पवित्रता बनी रहे।

Dadi on Same Gotra Marriage
Dadi on Same Gotra Marriage

दादी के अनुसार, विवाह का उद्देश्य केवल दो व्यक्तियों का मिलन नहीं है, बल्कि स्वस्थ और योग्य संतानों का जन्म भी है। एक ही गोत्र में शादी से यह उद्देश्य खतरे में पड़ सकता है।

एक ही गोत्र में विवाह न करने की परंपरा केवल धार्मिक या सामाजिक मान्यता तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका वैज्ञानिक आधार भी है। यह न केवल स्वस्थ पीढ़ी को सुनिश्चित करता है, बल्कि रिश्तों की मर्यादा और सामाजिक संतुलन को बनाए रखने में भी मदद करता है। हमारी दादी-नानी की सीख इस मामले में महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह न केवल हमारे पूर्वजों की परंपरा का सम्मान है, बल्कि एक स्वस्थ और संतुलित समाज का आधार भी।

निक्की मिश्रा पिछले 8 सालों से हेल्थ और लाइफस्टाइल से जुड़े मुद्दों पर लिख रही हैं। उन्होंने ग्वालियर के जीवाजी यूनिवर्सिटी से इकनॉमिक्स में एमए और भारतीय विद्या भवन से जर्नलिज़्म की पढ़ाई की है। लिखना उनके लिए सिर्फ एक प्रोफेशन...