Side Effects of Purnima: हिन्दू धर्म में पूर्णिमा यानी फुल मून का बहुत महत्त्व है। ये दिन प्रत्येक मास दो चंद्र नक्षत्र के बीच विभाजन को चिन्हित करता है और चंद्रमा एक सीधी रेखा में सूर्य और पृथ्वी के साथ संरेखित होता है। इस दिन का मनुष्य के मन पर बहुत प्रभाव पड़ता है। दरअसल, पूर्णिमा का धार्मिक महत्त्व होने के साथ वैज्ञानिक महत्त्व भी है, जिसके अनुसार फुल मून के दिन मनुष्य का मन विचलित रहता है। ऐसा क्यों होता है चलिए जानते हैं:-
वैज्ञानिक कारण

पूर्णिमा के दिन चंद्रमा का पृथ्वी के पानी से सीधा संबंध होता है। जब पूर्णिमा आती है तो समुद्र में ज्वार-भाटा उत्पन्न होता है, क्योंकि चंद्रमा पानी को अपनी तरफ खींचता है। वहीं मानव शरीर के शरीर में 85 प्रतिशत पानी होता है। ऐसे में पूर्णिमा के दिन मनुष्य के मन पर प्रभाव पड़ता है, जिस वजह से मन विचलित रहता है।
मानव शरीर में जल की मात्रा अधिक होने के कारण पूर्णिमा के दिन शरीर में मौजूद जल की गति और गुण बदल जाते हैं, जो मन को प्रभावित करता है। साथ ही वैज्ञानिकों का मानना है कि पूर्णिमा के दिन चांद का प्रभाव अधिक होता है, जिसके कारण शरीर में मौजूद खून में न्यूरॉन सेल्स एक्टिव हो जाते हैं। न्यूरॉन सेल्स एक्टिव होने पर मनुष्य मन उत्तेजित और भावुक महसूस करता है। जिस वजह से इस दिन नींद कम आती है और मन बेचैन रहता है। इतना ही नहीं मंदाग्नि रोग से ग्रस्त लोगों के पेट में चय-उपचय की क्रिया शिथिल होती है। इस तरह के लोगों को इस दिन खाना खाने के बाद नशा या नींद जैसा महसूस होता है।
धार्मिक कारण

पूर्णिमा का धार्मिक महत्त्व भी बहुत अधिक है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। कहा जाता है कि ये दिन भगवान विष्णु को सबसे प्रिय होता है। इस दिन किए गए धार्मिक और पुण्य कार्य से भगवान प्रसन्न होकर भक्त की मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं। प्रत्येक महीने आने वाली पूर्णिमा का अपना ही खास महत्त्व होता है। इस दिन दान का विशेष महत्त्व है। भगवान विष्णु की पूजा करने वाले भक्तों को इस दिन लोग निर्धन लोगों को अपने सामर्थ के अनुसार दान देना चाहिए।
