Magh purnima 2025
Magh purnima 2025

Sharad Purnima 2024: हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि को अत्यधिक शुभ माना जाता है। हर साल आश्विन माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। इसे धन, समृद्धि, और आरोग्य से जुड़ा माना जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा की जाती है, जिससे घर में सौभाग्य और समृद्धि का आगमन होता है।

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शरद पूर्णिमा और चंद्रमा का विशेष महत्व

शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है, और उसकी चांदनी को औषधीय गुणों से भरपूर माना जाता है। इस दिन चंद्रमा की किरणों में रखी खीर को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है, जिसे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माना जाता है।

चंद्रमा की रोशनी में क्यों रखी जाती है खीर

शरद पूर्णिमा की शाम को चंद्रमा की रोशनी में खीर रखने की परंपरा के पीछे एक धार्मिक मान्यता है। कहा जाता है कि इस दिन चंद्रमा से अमृत वर्षा होती है, और उसकी किरणों में ऐसे तत्व होते हैं जो शरीर और मन को शुद्ध करके सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करते हैं। इस कारण से, शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की रोशनी बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है, और लोग इसे औषधीय गुणों से भरपूर मानते हैं।

धार्मिक मान्यताएं

शरद पूर्णिमा से जुड़ी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान कृष्ण ने गोपियों के साथ महारास रचाया था। इस दिन की पूजा, स्नान, और दान का विशेष महत्व है, जिससे भक्तों को सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

शरद पूर्णिमा 2024 का शुभ मुहूर्त

इस वर्ष शरद पूर्णिमा 16 अक्तूबर 2024 को मनाई जाएगी। देवी लक्ष्मी की पूजा का शुभ मुहूर्त रात 11:42 बजे से 12:32 बजे तक है। इस 50 मिनट के दौरान विधिपूर्वक पूजा करके देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त की जा सकती है, जिससे घर में सुख और समृद्धि बनी रहती है।

शरद पूर्णिमा पर पूजा विधि

इस दिन व्रत रखने वालों को सुबह जल्दी उठकर स्नान करके व्रत और पूजा का संकल्प लेना चाहिए। शाम को फिर से स्नान कर साफ कपड़े पहनकर देवी लक्ष्मी की प्रतिमा को स्वच्छ स्थान पर स्थापित करें। शुद्ध घी का दीपक जलाएं, और अबीर, गुलाल, रोली, वस्त्र, चावल, सुपारी, पान, और सुहाग की सामग्री चढ़ाएं। मौसमी फल और मिठाई का भोग लगाकर आरती करें। घर के मुख्य दरवाजे, किचन, छत और मंदिर में दीपक जलाएं, और रातभर देवी लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें।

दान और व्रत के समापन की विधि

शरद पूर्णिमा के उपलक्ष्य में पूजा और व्रत का समापन 17 अक्तूबर को होता है। इस दिन, ब्राह्मणों को आमंत्रित करें और उन्हें सम्मानपूर्वक भोजन कराएं। स्वादिष्ट भोजन के साथ मिठाइयाँ और फल भी अर्पित करें। भोजन के बाद, उन्हें दान-दक्षिणा देकर विदाई दें। यह दान आपके व्रत और पूजा का फल है, जो आपके घर में सुख, समृद्धि और शांति का वास करता है। इस दिन किए गए दान से न केवल पुण्य मिलता है, बल्कि आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और खुशहाली भी आती है।

मैं आयुषी जैन हूं, एक अनुभवी कंटेंट राइटर, जिसने बीते 6 वर्षों में मीडिया इंडस्ट्री के हर पहलू को करीब से जाना और लिखा है। मैंने एम.ए. इन एडवर्टाइजिंग और पब्लिक रिलेशन्स में मास्टर्स किया है, और तभी से मेरी कलम ने वेब स्टोरीज़, ब्रांड...