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शुभांशु शुक्ला 10 जून,2025 को अंतरिक्ष यात्रा के ऐतिहासिक मिशन पर रवाना होंगे। इसी के साथ वह अंतरिक्ष का सफर तय करने वाले दूसरे अंतरिक्ष यात्री बन जाएंगे।
Shubhanshu Shukla Space Mission: उत्तर प्रदेश के सपूत शुभांशु शुक्ला, देश के दूसरे अंतरिक्ष यात्री बनने जा रहे हैं। शुभांशु 10 जून,2025 को इस ऐतिहासिक मिशन पर रवाना होंगे। शुक्ला की इस उपलब्धि पर उनके माता-पिता की खुशी आंखों से झलक रही है। आइए जानते हैं कौन हैं शुभांशु शुक्ला और कैसे उन्होंने लखनऊ की गलियों से अंतरिक्ष तक का सफर तय किया है।
वायुसेना के ग्रुप कैप्टन हैं शुभांशु शुक्ला
भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला लखनऊ के रहने वाले हैं। उनके पिता शंभू दयाल शुक्ला और आशा शुक्ला के चेहरे पर गर्व और खुशी दोनों साथ नजर आते हैं। शुक्ला 10 जून को अमेरिका के स्पेस सेंटर से 14 दिवसीय ऐतिहासिक अंतरिक्ष मिशन पर जाने वाले हैं। यह मिशन उन्हें 40 साल बाद भारत का दूसरा अंतरिक्ष यात्री बनाएगा। आपको बता दें भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा थे।
पिता का सपना, बेटे की उड़ान
शुभांशु के पिता शंभू दयाल शुक्ला बताते हैं कि वह हमेशा से अपने बेटे को सिविल सेवा में देखना चाहते थे। उनका सपना था कि बेटा शुभांशु आईएएस अधिकारी बने। लेकिन बेटे ने भारतीय वायुसेना की राह चुनी। इस बारे में शुभांशु ने किसी को कुछ नहीं बताया था। शुभांशु ने नेशनल डिफेंस एकेडमी (एनडीए) की परीक्षा और ट्रेनिंग के बारे में अपने माता-पिता को तब बताया, जब सब कुछ तय हो चुका था।
बचपन से मेहनती शुभांशु शुक्ला
40 वर्षीय ग्रुप कैप्टन शुभांशु की मां आशा शुक्ला का कहना है कि उनका बेटा बचपन से ही मेहनती और संतोषी रहा है। कभी कोई मांग नहीं की। घर में जो बना है वो खा लेना, जो मिला उसमें संतोष करना ही उसकी आदत थी। हालांकि शुभांशु अपनी प्लानिंग किसी से शेयर नहीं करते हैं। उन्होंने माता-पिता को अपने अंतरिक्ष मिशन के लिए चुने जाने के बारे में चार दिन बाद बताया था।
भाई बहनों में सबसे छोटे शुभांशु
शुभांशु शुक्ला का जन्म लखनऊ में हुआ। उनके परिवार में माता-पिता के अलावा दो बड़ी बहनें हैं। एक लखनऊ में शिक्षिका और दूसरी दिल्ली में कार्यरत हैं। शुभांशु शुक्ला ने बचपन की क्लासमेट कामना को अपना लाइफ पार्टनर बनाया। कामना पेशे से डॉक्टर हैं। कपल का चार साल का एक बेटा भी है। शुभांशु ने अपनी 12वीं तक की पढ़ाई लखनऊ के सिटी मोंटेसरी स्कूल की अलीगंज ब्रांच से की। उनकी बहन शुचि मिश्रा बताती हैं कि उन्होंने हमेशा सोचा था कि शुभांशु एक दिन एयर चीफ मार्शल बनेंगे। लेकिन वह अंतरिक्ष यात्री बनेंगे, यह कभी नहीं सोचा था।
शुंभाशु ने यूं तय किया अंतरिक्ष का सफर
साल 2006 में भारतीय वायुसेना में कमीशन प्राप्त करने के बाद, ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने 2000 घंटे से ज्यादा की उड़ान का अनुभव प्राप्त किया है। उन्होंने सुखोई-30 एमकेआई, जगुआर, हॉक्स डोर्नियर, मिग-21 एस, मिग-29 एस और एन-32 जैसे विभिन्न लड़ाकू विमानों का संचालन किया है। उन्हें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) के संयुक्त मिशन, एक्सिओम-4 के लिए चुना गया है।
एलन मस्क की कंपनी का अहम रोल
एक्सिओम-4 मिशन, एक्सिओम स्पेस नामक एक निजी अमेरिकी कंपनी का चौथा मिशन था। इसका लक्ष्य अंतरिक्ष यात्रा को व्यावसायिक रूप से सुगम बनाना है। यह कंपनी सरकारी और निजी दोनों तरह के अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में ले जाती है। शुभांशु शुक्ला को अंतरिक्ष तक ले जाने वाला अंतरिक्ष यान, एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के रॉकेट के माध्यम से लॉन्च होगा। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंचने वाले इस अंतरिक्ष यान में ग्रुप कैप्टन शुक्ला के साथ पोलैंड, हंगरी और अमेरिका के भी अंतरिक्ष यात्री होंगे।
भारत-अमेरिका के भविष्य की उड़ान
यह मिशन 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान भारत और अमेरिका के बीच बनी सहमति का परिणाम है। इसरो ने 2024 में एक्सिओम-4 मिशन के लिए ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को ‘प्राइम’ अंतरिक्ष यात्री के रूप में चुना था, जबकि ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर को बैकअप के लिए चुना गया था। शुभांशु इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन जाएंगे। लेकिन किसी भी कारण से अगर वह नहीं जा पाए तो नायर उनकी जगह लेंगे।
