धार्मिक और वैज्ञानिक कारणों से नहीं करती महिलाएं दंडवत प्रणाम, जानें इसका महत्व: Sashtang Pranam
Sashtang Pranam

Sashtang Pranam: धर्म शास्त्रों में देवी देवताओं, साधु-संतों और अपने से बड़े को प्रणाम करना एक महत्वपूर्ण संस्कार माना गया है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान की पूजा षोडशोपचार विधि से की जाती है। इसमें से आखिरी उपचार विधि है साष्टांग या दंडवत प्रणाम करना। जब हम भगवान को साष्टांग प्रणाम करते हैं तो इस प्रणाम को करने से व्यक्ति के शरीर का हर अंग जमीन को छूता है।

जिसका अर्थ है कि व्यक्ति अपने अहंकार को छोड़कर सिर्फ परमात्मा को पाना चाहता है। शास्त्रों में बताया गया है की साष्टांग प्रणाम करने से व्यक्ति को एक यज्ञ जितना पुण्य मिलता है। लेकिन शास्त्रों में महिलाओं को किसी के भी सामने साष्टांग या दंडवत प्रणाम करने की मनाही है। इसके पीछे कई धार्मिक कारण और वैज्ञानिक कारण है। आज इस लेख से हम जानेंगे की महिलाओं का साष्टांग प्रणाम करना अनुचित क्यों माना गया है।

धार्मिक कारण

Sashtang Pranam
Reason of Sashtang Pranam

पंडित इंद्रमणि घनस्याल के अनुसार, जब व्यक्ति साष्टांग प्रणाम करता है तो इसका अर्थ है कि व्यक्ति मन, कर्म और वचन से प्रभु को समर्पित हो चुका है। इस प्रणाम से व्यक्ति की चेतना शक्ति जागृत होती है। लेकिन शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि महिलाओं का वक्ष स्थल और गर्भ कभी भी जमीन को नहीं छूने चाहिए। महिलाएं देवी के समान हैं जो अपने गर्भ में एक जीवन को पालती है और वक्ष स्थल से उस जीवन का पोषण करती हैं।

धर्मसिंधु ग्रंथ के एक श्लोक में लिखा गया है- “ब्राह्मणस्य गुदं शंखं शालिग्रामं च पुस्तकम्. वसुन्धरा न सहते कामिनी कुच मर्दनं.” इसका अर्थ है कि “ब्राह्मण, शंख, शालिग्राम और धार्मिक पुस्तकों को सीधे धरती से स्पर्श नहीं करना चाहिए और महिलाओं को भी जमीन पर अपने पेट और वक्षस्थल के सहारे दंडवत प्रणाम नहीं करना चाहिए।

यदि ऐसा होता है तो धरती इस भार को सहन नहीं कर पाती है और दंडवत प्रणाम करने वाली महिलाओं से उनकी अष्टलक्ष्मी छीन लेती है। “इसलिए महिलाओं को अपने घर की सुख समृद्धि बनाएं रखने के लिए किसी आसन पर अपने घुटनों के बल बैठकर प्रणाम करना चाहिए।

वैज्ञानिक कारण

Sashtang Pranam Tips
Scientific Reason of Sashtang Pranam

माना जाता है कि प्रणाम करने से हमें दीर्घायु और अच्छी सेहत का आशीर्वाद मिलता है। शास्त्रों में दो तरह से प्रणाम करने के तरीके बताए गए हैं। एक तरीका है दोनों हथेलियों को जोड़कर प्रणाम करना और दूसरा तरीका है साष्टांग या दंडवत प्रणाम करना। लेकिन महिलाओं का साष्टांग प्रणाम करना वैज्ञानिक दृष्टि से भी सही नही हैं।

इससे महिलाओं के गर्भाशय पर जोर पड़ता है जिसके कारण उनके मासिक धर्म चक्र में परेशानियां हो सकती हैं। गर्भाशय के रोगों के कारण महिलाओं को मां बनने में भी कठिनाईयां हो सकती है। इसलिए विज्ञान के अनुसार महिलाओं को सभी के सामने सिर्फ हाथ जोड़कर प्रणाम करना चाहिए।

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