बौद्धों का प्रमुख तीर्थ स्थान
इस आध्यात्मिक शहर में आपको बौद्ध धर्म से जुड़े तमाम तरह के बौद्ध स्तूपों, प्राचीन स्थलों, संग्रहालयों और खूबसूरत मंदिर देखने को मिल जाएँगे।
Sarnath Varanasi Tour: सारनाथ बौद्धों का प्रमुख तीर्थ स्थान है और देश के सबसे बड़े और लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में शुमार किया जाता है जिसकी वजह से जब भी उत्तर प्रदेश घूमने की बात होती है इसका नाम आता ही आता है। इस आध्यात्मिक शहर में आपको बौद्ध धर्म से जुड़े तमाम तरह के बौद्ध स्तूपों, प्राचीन स्थलों, संग्रहालयों और खूबसूरत मंदिर देखने को मिल जाएँगे और इन जगहों पर पहुँचकर शहर की भीड़ भरी आबादी के बीच भी बेहद शांति का अनुभव होगा, जिसकी वजह से यह बौद्ध के साथ साथ जैन और हिंदुओं के लिए भी एक आदर्श स्थल बन गया है। इस जगह को वर्तमान में इसके ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए जाना जाता है।
सारनाथ का नाम सारंगनाथ से लिया गया है जिसकी वजह से इस स्थान का नाम सारनाथ है। यह स्थान बौद्ध सर्किट में चार प्रमुख स्थलों का हिस्सा है। सारनाथ एक महत्वपूर्ण बौद्ध स्थल होने के साथ साथ जैन तीर्थ स्थल के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि इसी जगह पर जैन धर्म के ग्यारहवें तीर्थंकर श्रेयांसनाथ का जन्म हुआ है। इस जगह पर श्रेयांसनाथ को समर्पित एक मंदिर है।
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सारनाथ का इतिहास

सारनाथ को ऐतिहासिक उथल-पुथल की एक लम्बे दौर से गुज़रना पड़ा था, लेकिन जब सम्राट अशोक ने इस स्थान को लेकर अपनी रुचि दिखाई विशालकाय स्तूपों, स्मारकों का निर्माण किया तो इस जगह के प्रति लोगों का आकर्षण बढ़ा और स्थायित्व आया। बाद के दिनों में जब विदेशी आक्रमणकारियों के द्वारा लंबे समय तक आक्रमण किये तो उत्तर प्रदेश के कई शहर खत्म हो गए और सारनाथ को टुकड़ों में छोड़ दिया।
ब्रिटिश शासनकाल के दौरान इसके ऐतिहासिक महत्त्व को देखते हुए फिर से संरक्षित किया गया और बौद्ध धर्म के सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक का स्थान सारनाथ ने प्राप्त किया। वर्तमान में इस जगह पर आपको कई मंदिर, मठ, संग्रहालय और ख़ूबसूरत उद्यान देखने को मिल जायेंगे। इस जगह पर हर साल लाखों की संख्या में इस जगह पर आते और बौद्ध भगवान के उपदेशों ऐन निहित सत्य को समझने की कोशिश करते हैं।
सारनाथ के कुछ प्रमुख दर्शनीय स्थल जिन्हें अपनी यात्रा के दौरान ज़रूर देखना चाहिए।
सारनाथ का चौखंडी स्तूप

चौखंडी स्तूप का अपना एक बहुत ही विशिष्ट महत्व है। जिसकी वजह से इस जगह पर सबसे अधिक लोग आते हैं। यह स्थान पर्यटकों से हमेशा भरा रहता है। ऐसा बताया जाता है कि यह वह जगह है जहां पर भगवान बुद्ध अपने पांच तपस्वियों से मिले थे और उन्होंने इन्हीं के द्वारा अपनी पहली शिक्षाओं का प्रसार किया था। इसी जगह पर चौखंडी स्तूप का निर्माण स्मरणोत्सव के रूप में किया गया था। यह जगह काफ़ी शांत और पवित्र है। इस जगह के वातावरण में भी दिव्यता का एक बोध होता है। ऐसा लगता है कि हम किसी और ही दुनिया में आ गए हैं।
अशोक स्तंभ सारनाथ

यह तो हम सब जानते हैं कि भारत का राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ सारनाथ से लिया गया है। साथ ही साथ यह अशोक स्तंभ सम्राट अशोक की सारनाथ की यात्रा का एक प्रतीक है। यही वजह है कि जो लोग भी सारनाथ आते हैं उनकी पहली प्राथमिकता में अशोक स्तंभ को देखना होता है। यह पत्थर से निर्मित एक बहुत ही प्रभावशाली संरचना है जिसके शीर्ष पर चार शेर हैं। इस जगह पर आकर धम्मेक स्तूप के साथ इस 50 मीटर लम्बे स्तंभ को आज भी देखा जा सकता है, यह स्तम्भ सम्राट अशोक द्वारा बौद्ध धर्म के लिए का उपहार है। इस जगह पर आप लोगों को ध्यान आदि करते देख सकते हैं। इस जगह का वातावरण हरा भरा और बेहद ही शांत है।
थाई मंदिर सारनाथ

सारनाथ आने वाले पर्यटकों के लिए एक और सबसे बड़ा आकर्षण थाई मंदिर को देखना होता है। पर्यटक जो सारनाथ आते हैं इस जगह पर जाते ही जाते हैं। यह मंदिर वास्तुकला की दृष्टि से काफ़ी महत्वपूर्ण है। यह हरे भरे बाग बगीचों से घिरा हुआ है। इस जगह का वातावरण बहुत ही शांत और ख़ूबसूरत है। इस जगह पर देश दुनिया से आए बौद्ध भिक्षुकों की भी मौजूदगी रहती है जो यहाँ पर ध्यान आदि करते रहते हैं। यदि आप बौद्ध धर्म और वास्तुकला में रुचि रखते हैं, आपको शांत जगहें पसंद हैं तो इस जगह पर आना चाहिए।
तिब्बती मंदिर सारनाथ

सारनाथ के प्रमुख तीर्थस्थलों में एक नाम तिब्बती मंदिर का भी आता है। यह मंदिर काफ़ी ख़ूबसूरत और लोकप्रिय है। पूरा मंदिर तिब्बती वास्तुकला को प्रदर्शित करता जान पड़ता है और इस जगह पर आने वाले सैलानियों को बरबस अपनी तरफ खिंचता है। अपनी सारनाथ यात्रा के दौरान इस मंदिर को देखना तो बिल्कुल भी नहीं भूलना चाहिए। इस मंदिर को तिब्बती बौद्ध चित्रों के द्वारा सजाया गया है जिसे थांग्सा कहते हैं। मंदिर में एक शाक्यमुनि बुद्ध की मूर्ति भी स्थापित की गई है। इस मंदिर के बाहर लगे प्रार्थना पहियों को घड़ी की दिशा में घुमाया जाता है। इस मंदिर में थाईलैंड, चीन, तिब्बत और जापान से भारी संख्या में लोग आते हैं।
सारनाथ घूमने का सबसे अच्छा समय

सारनाथ वैसे तो किसी भी मौसम में घुमा जा सकता है लेकिन अक्टूबर से मार्च का समय सबसे अच्छा होता है। जिसकी वजह यह है कि इस दौरान इस जगह का मौसम आम दिनों के मुक़ाबले ठंडा होता है। इस जगह पर अप्रैल से सितम्बर तक जमकर गर्मी पड़ती है। बाकी अगर आपको पर्व और त्योहार पसंद हो तो मौसम को नज़रन्दर करते हुए आप बुद्ध पूर्णिमा और महाशिवरात्रि के मौके पर इस जगह पर आ सकते हैं।
सारनाथ कैसे पहुंचा जाये

सारनाथ पहुँचना बहुत ही आसान है। इस जगह पर आप हवाई मार्ग, ट्रेन और सड़क परिवहन के ज़रिए पहुंच सकते हैं। यदि आप हवाई जहाज के ज़रिए सारनाथ की यात्रा करना चाहते हैं तो निकटतम हवाई अड्डा वाराणसी है जोकि लगभग 20-25 किमी की दूरी पर स्थित है। ट्रेन से सारनाथ यात्रा करने वालों के लिए सारनाथ में ही रेलवे स्टेशन है। यह देश के कई प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। आप दिल्ली, मुंबई जैसे कई बड़े शहरों से सीधे सारनाथ के लिए ट्रेन पकड़ सकते हैं। सारनाथ सड़क परिवहन से भी अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। देश के कई प्रमुख शहरों से सारनाथ के लिए बस की सुविधा उपलब्ध है।
