सारनाथ में घूमने के लिए 20 बेहतरीन स्थल
आज हम आपको सारनाथ की 20 खूबसूरत जगहों के बारे में बता रहे हैं, ताकि जब आप सारनाथ घूमने जाएँ तो इन जगहों का आनंद जरूर लेंI
Sarnath Me Ghumne ki Best Jagah: उत्तरप्रदेश के वाराणसी से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सारनाथ प्रसिद्ध बौद्ध और हिंदू धर्मस्थल है। यहाँ देखने के लिए बहुत से मंदिर, स्तूप, मठ हैं। गौतम बुद्ध ने अपना पहला उपदेश यहीं दिया था। दुनियाभर से बौद्ध अनुयायी यहां बड़ी संख्या में आते हैं। चीन, जापान, थाईलैण्ड, श्रीलंका से सबसे ज्यादा पर्यटक यहाँ आते हैं। अगर आप भी इस बार सारनाथ जाने का प्लान बना रहे हैं तो हम आपको बताते हैं कि अपनी यात्रा को यादगार बनाने के लिए आप किन दर्शनीय स्थलों को ज़रूर देखने जायें।
सारनाथ में घूमने के लिए 20 खूबसूरत जगह – Famous Places in Sarnath
| जगह | शहर से दूरी/किलोमीटर |
| थाई मंदिर सारनाथ (Thai Temple) | 1.5 |
| धमेक स्तूप (Dhamek Stupa) | 1.3 |
| अशोक स्तंभ (Ashok Pillar) | 1.3 |
| मूलगंध कुटी विहार (Mulagandha Kuti Vihar) | 1.1 |
| पुरातत्व संग्रहालय (Puratatv Sangrahalay) | 1 |
| चौखंडी स्तूप (Choukhandi Stupa) | 1/2 |
| धर्मराजिका स्तूप (Dharmarajika Stupa) | 1.1 |
| तिब्बती मंदिर (Tibetan Temple Sarnath) | 1/2 |
| डियर पार्क (Deer Park) | 2 |
| चाइना मंदिर (Chinese Temple) | 1 |
| दिगंबर जैन मंदिर (Digambar Jain Temple) | 4 |
| सारंगनाथ मंदिर (Saarangnath Temple) | 7 |
| महाबोधि सोसाइटी टेम्पल (Mahabodhi Society Temple) | 1.1 |
| सारनाथ चिड़ियाघर (Sarnath Zoo) | 1.2 |
| जापानी मंदिर (Japanese Temple) | 1.4 |
| सिंहपुरी जैन तीर्थ (Sinhpuri Jain Teerth) | 1.3 |
| स्थानीय बाज़ार (Local Market) | 1.1 |
| तथागत घाट (Tathagat Ghat) | 1 |
| श्रीलंका महाबोधि विहार (Sri Lanka Mahabodhi Vihar) | 1/2 |
| विंध्याचल (Vindhyachal) | 70 |
थाई मंदिर सारनाथ (Thai Temple)

सारनाथ का थाई मंदिर देखने दुनियाभर की अलग-अलग जगह से श्रद्धालु आते हैं। इस मंदिर का निर्माण थाई समुदाय ने करवाया था। यहाँ भगवान बुद्ध की 80 फीट ऊँची प्रतिमा है। जापान, थाईलैंड और चीन जैसे बौद्ध धर्म प्रधान देशों से यहाँ सबसे ज्यादा पर्यटक आते हैं। यह मंदिर थाई बौद्ध महंतों के द्वारा संचालित किया जाता है। थाई मंदिर में प्रवेश द्वार से लेकर मंदिर के मुख्य भवन की बनावट में थाईलैंड संस्कृति की झलक साफ दिखाई देती है| मुख्य भवन के सामने चार शेरों की मूर्ति और अशोक चक्र भी बना हुआ है। मंदिर में एक पीपल के पेड़ के नीचे महात्मा बुद्ध की प्रतिमा बनी है| इस भव्य प्रतिमा के अलावा, मंदिर में भगवान बुद्ध की विभिन्न मुद्राओं में तीन अन्य पुतले भी हैं जो एक पेड़ के नीचे रखे गए हैं।
प्रवेश शुल्क
यहाँ प्रवेश के लिए किसी तरह का कोई शुल्क नहीं देना होता है।
धमेक स्तूप (Dhamek Stupa)

धमेक स्तूप सारनाथ के सबसे महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थलों में से एक है । यहीं पर बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था। यहाँ एक म्यूजियम भी है जो भगवान बुद्ध के बारे में बहुत सी जानकारी भी उपलब्ध करवाता है। यहाँ पर्यटकों के बैठने के लिए गार्डन और बेंच भी हैं। मिट्टी और ईंटों से बना यह स्तूप लगभग 43 मीटर ऊँचा और 28 मीटर चौड़ा है। दीवारों पर पशु पक्षियों के चित्र बने हैं और ब्राह्मी लिपि में लिखे शिलालेख भी हैं।
प्रवेश शुल्क
यहाँ प्रवेश के लिए 20 रुपए देने होते हैं। यह सुबह 6 बजे से शाम के 5 बजे तक खुला रहता है।
अशोक स्तंभ (Ashoka Pillar)

अशोक स्तंभ को सम्राट अशोक ने अपने शासनकाल में बनवाया था। स्तंभ की ऊंचाई लगभग 40 से 50 फीट है। शिलालेख के साथ बचे 19 स्तंभों में से सारनाथ का अशोक स्तंभ सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। इस स्तंभ में चार शेर एक दूसरे से पीठ से पीठ सटा कर बैठे हुए है। इसी स्तम्भ को भारत ने अपने राष्ट्र चिन्ह के रूप में अपना लिया है| अशोक स्तंभ तुर्की आक्रमण के दौरान टूट गया था और उस मूल स्थान पर केवल आधार ही बचा है, टूटा हुआ हिस्सा अब सारनाथ संग्रहालय में प्रदर्शन हेतु रखा गया है।
प्रवेश शुल्क
यहां प्रवेश शुल्क मात्र 5 रुपए है। यहां आप सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक कभी भी जा सकते हैं।
मूलगंध कुटी विहार (Mulagandha Kuti Vihar)

सातवीं शताब्दी में भारत-भ्रमण पर आए चीनी यात्री ह्वेन त्सांग ने इसका वर्णन 200 फुट ऊँचे मूलगंध कुटी विहार के नाम से किया है। यहां भगवान बुद्ध के अवशेषों को रखा गया है और हर साल बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर बाहर निकाला जाता है। यहां भित्ति चित्र भगवान बुद्ध के जन्म से लेकर महा-परिनिर्वाण की प्राप्ति तक के जीवन को प्रदर्शित करते हैं। यहां भगवान बुद्ध की एक सुनहरी प्रतिमा है जो अपना पहला उपदेश देने की मुद्रा में है।
प्रवेश शुल्क
यहां प्रवेश निःशुल्क है। यह सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक खुला रहता है। इस बीच में आप कभी भी यहां जा सकते हैं।
पुरातत्व संग्रहालय (Puratatv Sangrahalay)

सारनाथ का यह पुरातत्व संग्रहालय भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का सबसे पुराना स्थल संग्रहालय है। साइट से मिली प्राचीन वस्तुओं को संरक्षित और प्रदर्शित करने के लिए, सर जॉन मार्शल द्वारा सारनाथ में खुदाई वाले क्षेत्र के निकट एक ऑनसाइट संग्रहालय का निर्माण किया गया था। संग्रहालयों में पाँच दीर्घाएँ और दो बरामदे हैं जो सारनाथ में पाए गए तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से बारहवीं शताब्दी ईस्वी तक की प्राचीन वस्तुओं को प्रदर्शित करते हैं। इस छोटे से संग्रहालय में कुल 6,832 चीजें रखी गयी हैं। ये पुरातात्विक संग्रहालय विभिन्न प्राचीन मूर्तियों और चित्रों का घर है।
प्रवेश शुल्क
यहां प्रवेश शुल्क 5 रुपए है। 15 वर्ष तक के बच्चों के लिए प्रवेश निःशुल्क है। शुक्रवार को छोड़कर संग्रहालय सुबह 10.00 बजे से शाम 5.00 बजे तक खुला रहता है।
चौखंडी स्तूप (Choukhandi Stupa)

चौखंडी स्तूप सारनाथ का प्रमुख दर्शनीय स्थल है। यहां जाने के बाद आपको एक अलग शांति की प्राप्ति होगी। इसको 2019 मे एक राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया गया था और अब इसका रखरखाव भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि बोधगया से सारनाथ लौटते समय भगवान बुद्ध अपने प्रथम पाँच शिष्यों से इसी स्थान पर मिले थे।
प्रवेश शुल्क
भारतीय नागरिकों के लिए 5 रुपए है। सुबह 6 बजे से शाम 5 बजे तक खुला रहता है।
धर्मराजिका स्तूप (Dharmarajika Stupa)

सारनाथ यात्रा के दौरान इस स्तूप को देखना नहीं भूलें। इस स्तूप का निर्माण सम्राट अशोक ने करवाया था। बाद में 6 बार इस स्तूप में परिवर्तन किया गया, जिसमें इसके चारों ओर का परिक्रमा पथ और चारों दिशाओं से इसकी छत पर ले जाने वाली सीढ़ियाँ प्रमुख थीं।
प्रवेश शुल्क
यहां प्रवेश के लिए कोई शुल्क नहीं लगता है।
तिब्बती मंदिर (Tibetan Temple Sarnath)

तिब्बती मंदिर सारनाथ के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है। इस मंदिर में बुद्ध की एक मूर्ति है। यहां मंदिर की ईमारत के बाहर आप प्रार्थना पहियों को देख सकते हैं जिन्हें घड़ी की दिशा में घुमाया जाता है। इस मंदिर में थाईलैंड, तिब्बत, चीन, और जापान से भारी संख्या में तीर्थ यात्री आते हैं। काग्यु तिब्बती मठ सारनाथ में सबसे बड़ा मठ है और इसे बोध गया के पास स्थित नालंदा मनैस्टिक इंस्टीट्यूट की शैली में बनाया गया है। इस समय संस्था में 15 महंत और 4 योगिन हैं, जो यहां रहकर अध्ययन करते हैं।
प्रवेश शुल्क
यहां प्रवेश निःशुल्क है।
डियर पार्क (Deer Park)

सारनाथ यात्रा के दौरान अगर आप कुछ समय मनोरंजन के बिताना चाहते हैं तो डियर पार्क ज़रूर जायें। सिंहपुर गांव में स्थित यह डियर पार्क सारनाथ से तकरीबन 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सारनाथ का एक काफी लोकप्रिय स्थानों में से एक माना जाता है। यह पार्क एक विशाल बाड़े के रूप में बना ह, जहां हिरन आजादी से घूमते हैं। चीनी भिक्षु और विश्व यात्री ह्वेन स्वाँग के अनुसार, डियर पार्क बनारस के जातक राजा द्वारा विकसित किया गया था। इस स्थल का इतिहास 528 ईसा पूर्व का है। इस पार्क का वातावरण शांत और आरामदायक है। इस पार्क मे बर्ड लाइफ भी देखी जा सकती हैं।
प्रवेश शुल्क
यहां वयस्कों के लिए प्रवेश शुल्क 10 रुपए और बच्चों के लिए 5 रुपए है। यह पार्क हर दिन सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे खुला रहता है।
चाइना मंदिर (China Temple)
चाइना मंदिर मूलगंध कुटी के समीप ही है। इस मंदिर में चीनी संस्कृत को दर्शाती कुछ आकृतियाँ देखने को मिलती हैं। इस मंदिर का निर्माण 1939 में चीन के चुन सेंग ने करवाया था। यहां चीनी भाषा में बौद्ध धर्म के बारे में जानकारी भी लिखी हुई है। बाहर बैठने के लिए एक बढ़िया गार्डन है।
प्रवेश शुल्क
यहां प्रवेश निःशुल्क है।
दिगंबर जैन मंदिर (Digambar Jain Temple)

धमेक स्तूप के पास स्थित इस मंदिर का निर्माण 19वीं शताब्दी के दौरान दौरान किया गया था। यहां जैन श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या देखी जा सकती है। कहा जाता है कि जैन धर्म के 11वें तीर्थंकर श्री श्रेयांशनाथ जी का जन्म हुआ था और इसी कारण यह मंदिर ‘श्रेयांशनाथ जैन मंदिर’ के नाम से भी प्रसिद्ध है।
प्रवेश शुल्क
इस मंदिर में प्रवेश के लिए कोई शुल्क नहीं है।
सारंगनाथ मंदिर (Saarangnath Temple)

भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर में एक ही अर्ग में दो शिवलिंग हैं। सामने ही सारनागनाथ कुंड है। ऐसा माना जाता है कि यहां पर महादेव जी का ससुराल था। आस-पास से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं।
प्रवेश शुल्क
यहां प्रवेश निःशुल्क है।
महाबोधि सोसाइटी टेम्पल (Mahabodhi Society Temple)

सारनाथ का महाबोधि सोसाइटी मंदिर भारत के प्राचीनतम मंदिरों में से एक है। यह पूरा मंदिर ईंटों से निर्मित है। ऐसा माना जाता है कि इस जगह पर ही बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। श्रीलंका से भारत यात्रा पर आये एक मोंक धर्मपदा ने इस मंदिर की जर्जर हालत देखकर दुनियाभर की बौद्ध सोसाइटी से फण्ड इकट्ठा करके इसका पूर्णर्निर्माण करवाया।
सारनाथ चिड़ियाघर (Sarnath Zoo)

सारनाथ में एक छोटा चिड़ियाघर भी है। अगर आप बच्चों के साथ सारनाथ घूमने गये हैं तो आप इस चिड़ियाघर में भी कुछ समय बिता सकते हैं। हालाँकि, यहां बहुत ज्यादा जानवर तो देखने को नहीं मिलते हैं लेकिन फिर भी आप नीलगाय, मगरमच्छ, कछुआ और तरह-तरह के पक्षी देख सकते हैं।
प्रवेश शुल्क
यहां 12 वर्ष तक के बच्चों के लिए दस रुपये, 12 वर्ष से ऊपर 20 रुपये शुल्क है। कैमरा इस्तेमाल करने के लिए अलग से शुल्क देना होता है।
जापानी मंदिर (Japanese Temple)

धार्मिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के माध्यम से भारत और जापान के बीच संबंध को बढ़ावा देने के लिए जापानियों द्वारा उद्घाटित यह मंदिर शांति और सौहाद्र का प्रतीक है। मंदिर की वास्तुकला जापानी और भारतीय शैलियों का एक अनूठा मिश्रण है, जिसमें ढलान वाली टाइल वाली छत, साफ लाइनें और बुद्ध की एक शांत मूर्ति शामिल है। मंदिर के मैदान को पारंपरिक जापानी भूदृश्य से सजाया गया है और इसमें एक बड़ा तालाब भी है।
प्रवेश शुल्क
यहां प्रवेश के लिए कोई शुल्क नहीं है। यह मंदिर प्रातः 06:00 बजे से सायं 05:00 बजे तक खुला रहता है।
सिंहपुरी जैन तीर्थ (Sinhpuri Jain Teerth)

यह सारनाथ से 2 किलोमीटर दूर सिंहपुरी में यह जैन तीर्थ स्थल है। यहां जैन तीर्थंकर श्रेयनसनाथ के साथ ही दूसरे जैन तीर्थंकरों की प्रतिमा हैं।
प्रवेश शुल्क
यहां प्रवेश के लिए कोई शुल्क नहीं है।
स्थानीय बाज़ार (Local Market)

अपनी सारनाथ यात्रा को यादगार बनाने के लिए आप यहाँ के स्थानीय बाज़ार को ज़रूर देखने जायें। यहां विभिन्न प्रकार के हस्तशिल्प, प्राचीन वस्तुएँ और आभूषण की बहुत सी दुकानें मिल जाएँगी। हस्तनिर्मित रेशम स्कार्फ से लेकर लकड़ी की नक्काशी किए हुए खूबसूरत आइटम्स आपको यहाँ मिल जाएँगे। स्मारिका के रूप में खरीदने के लिए सबसे लोकप्रिय वस्तुओं में से एक बुद्ध की मूर्ति है, जो शांति और आध्यात्मिकता का प्रतीक है। ये स्मृति चिन्ह न केवल महान स्मृति चिन्ह हैं, बल्कि ये स्थानीय अर्थव्यवस्था और कारीगरों का भी समर्थन करते हैं।
प्रवेश शुल्क
दूसरे बाज़ारों की तरह इस बाज़ार को भी देखने के लिए कोई शुल्क नहीं देना होता है।
श्रीलंका महाबोधि विहार (Sri Lanka Mahabodhi Vihar)

सारनाथ यात्रा के दौरान श्रीलंका महाबोधि विहार देखना नहीं भूलें। यहां श्रीलंका से लाया हुआ बोधि वृक्ष है। इस विहार में एक महत्वपूर्ण संगति का भंडार है, जो बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है।
प्रवेश शुल्क
यहां प्रवेश के लिए कोई शुल्क नहीं है।
तथागत घाट (Tathagat Ghat)

यह घाट सारनाथ के पास स्थित सराय मोहाना में है । सारनाथ वह स्थान है जहाँ तथागत बुद्ध ने अपने पांच शिष्यों को प्रथम उपदेश दिया था। इसलिए इस घाट का नाम गौतम बुद्ध के नाम पर रखा गया था। “तथागत” शब्द गौतम बुद्ध का पर्यायवाची है। इसलिए इसे ‘बुद्ध घाट’ भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि बौद्ध लोग इस घाट का उपयोग करते थे। घाट परिसर में बुद्ध की एक प्रतिमा स्थित है।
प्रवेश शुल्क
इस घाट में प्रवेश के लिए कोई शुल्क नहीं देना होता है।
विंध्याचल (Vindhyachal)

सारनाथ से लगभग 70 किलोमीटर दूर गंगा नदी के तट पर शक्तिपीठ विंध्याचल है। यहाँ विन्ध्यासनी देवी का मंदिर है। ऐसा माना जाता है कि जो भी व्यक्ति यहाँ तप करता है उसकी सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।
प्रवेश शुल्क
यहाँ प्रवेश के लिए कोई शुल्क नहीं है।
सारनाथ घूमने का सबसे अच्छा समय – Best time to visit Sarnath
सारनाथ जाने के लिए सबसे अच्छा समय अक्तूबर से मार्च के बीच है। बाक़ी समय यहाँ काफ़ी गर्मी रहती है। इसलिए अप्रैल के बाद यहां जाने का प्लान। नहीं बनायें।
सारनाथ में ठहरने के लिए टॉप होटल
द फ़र्न रेजीडेंसी
आशापुर चौराहा, पांडेयपुर, सारनाथ रोड
होटल पिनेकल इन
हवेलिया चौराहा, सारनाथ
होटल बुद्धा पार्क
बेला रोड, कल्पनाथ विहार कॉलोनी, सारनाथ
सारनाथ कैसे पहुँचे?
हवाई जहाज से- अगर आप हवाई जहां से सारनाथ जाते हैं तो लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा यहाँ से निकटतम है।
रेलगाड़ी से- सारनाथ के निकटतम रेलवे स्टेशन वाराणसी जंक्शन है, जहां देश भर से ट्रेन सेवाएं प्रदान करता है।
सड़क मार्ग से – आप यहां ख़ुद की कार, टैक्सी या बस से भी जा सकते हैं। वाराणसी से सारनाथ तक बसों की अच्छी सुविधाएं हैं।
FAQ | सारनाथ में पर्यटन स्थलों के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले
सारनाथ आप दो से तीन दिन में आराम से घूम सकते हैं।
सारनाथ आप कम बजट में भी आसानी से घूम सकते हैं। लेकिन, फिर भी 10 से 15 हज़ार का बजट रखना उचित रहेगा।
सारनाथ घूमने के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच का रहता है। बाक़ी समय गर्मी अधिक रहने से यहां घूमना अनुकूल नहीं रहेगा।
सारनाथ में कुछ अच्छे होटल हैं जहां आप रुक सकते हैं। आप चाहें तो वाराणसी में रहकर भी सारनाथ घूमने जा सकते हैं।
सारनाथ में रात में घूमने का कुछ ख़ास नहीं हैं। आप चाहें तो रात में कुछ मंदिरों के दर्शन कर सकते हैं।
आप सारनाथ में रात को आस-पास के घाट जा सकते हैं।
