QR Code Scam
QR Code Scam

QR Code Scam: आजकल की डिजिटल दुनिया में क्यूआर कोड और फर्जी लिंक तेजी से साइबर क्राइम का हिस्सा बन गए हैं। क्यूआर कोड का इस्तेमाल हम आमतौर पर पार्किंग, शॉपिंग, वाईफाई और कई अन्य कार्यों में करते हैं, लेकिन इन्हीं कोड्स का दुरुपयोग भी होने लगा है। वहीं, फर्जी लिंक भी लोगों को धोखा देने का एक प्रमुख साधन बन चुके हैं, जो अक्सर हमारी व्यक्तिगत जानकारी चोरी कर लेते हैं। इन दोनों तरीकों से होने वाली धोखाधड़ी से बचने के लिए हमें सतर्क रहना और हमेशा लिंक की ऑथेंटिसिटी की जांच करना जरूरी है। इन साइबर अपराधों को समझकर ही हम अपनी डिजिटल सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं।

QR कोड के माध्यम से होने वाले धोखाधड़ी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। उदाहरण के तौर पर, नकली QR कोड्स को पार्किंग लॉट्स, होटलों, और बिल पेमेंट्स में लगाया जाता है। इन्हें स्कैन करने पर पैसे सीधे फ्रॉडस्टर के खाते में चले जाते हैं। एक घटना में, पार्किंग के क्यूआर कोड को मैनिपुलेट कर लोगों से पैसे निकाल लिए गए। यह सिर्फ लंदन में ही नहीं, बल्कि भारत में भी बढ़ती समस्या बन चुकी है। क्यूआर कोड स्कैन करते समय अगर आप सतर्क नहीं हैं, तो आप अपने पैसे गवा सकते हैं।

QR कोड स्कैन करने से पहले उसके स्रोत की प्रामाणिकता सुनिश्चित करें।

डिजिटल पेमेंट ऐप्स का उपयोग करते समय केवल अधिकृत और सुरक्षित कोड्स का ही उपयोग करें।

लिंक के माध्यम से फ्रॉड करने वाले आपके क्यूरियोसिटी या डर का लाभ उठाते हैं। जैसे नकली वेबसाइट्स, ईमेल लिंक, या मैसेज जिनमें कहा जाता है, “क्या यह आपकी बेटी की वीडियो है?” इन पर क्लिक करते ही डिवाइस में मैलवेयर इंस्टॉल हो सकता है या आपकी पर्सनल जानकारी चुराई जा सकती है।

किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक करने से बचें।

URL को चेक करें और केवल HTTPS वाले सुरक्षित वेबसाइट्स पर ही भरोसा करें।

अपने ब्राउज़र और सिक्योरिटी सॉफ़्टवेयर को हमेशा अपडेट रखें।

टिकट बुकिंग, होटल रूम रिजर्वेशन, या शॉपिंग वेबसाइट्स की क्लोनिंग से लोग बड़े पैमाने पर धोखा खा रहे हैं। ये वेबसाइट्स असली जैसी लगती हैं और लोगों से पैसे ऐंठने का काम करती हैं। उदाहरण के तौर पर, एक फर्जी वेबसाइट पर दिलजीत दोसांझ के शो के टिकट बेचने का दावा किया गया और हजारों लोग इस धोखाधड़ी का शिकार हो गए। ऐसे लिंक पर क्लिक करने से आपकी व्यक्तिगत जानकारी चोरी हो सकती है।

बचाव के उपाय:

ऑनलाइन पेमेंट करने से पहले वेबसाइट की जांच करें।

यदि संभव हो, वेबसाइट के बारे में ऑनलाइन रिव्यू पढ़ें।

असली वेबसाइट्स की पहचान के लिए उनका URL और ऑथेंटिकेशन सर्टिफिकेट जांचें।

ऑटोफिल डिटेल्स, जैसे आपका नाम, मोबाइल नंबर, ईमेल, और बैंक अकाउंट डिटेल्स, ब्राउज़र में सेव रहती हैं। इन्हें फ्रॉडस्टर चुरा सकते हैं और आपका डेटा डार्क वेब पर बेच सकते हैं।

बचाव के उपाय:

ब्राउज़र में ऑटोफिल फीचर बंद कर दें।

संवेदनशील डेटा को मैन्युअली दर्ज करें।

पब्लिक डिवाइस पर कभी भी अपनी डिटेल्स सेव न करें।

फ्रॉडस्टर्स आपकी भावनाओं, जैसे डर, चिंता, या उत्सुकता, का फायदा उठाकर आपको गलत फैसले लेने पर मजबूर करते हैं।

बचाव के उपाय:

किसी भी संदिग्ध मैसेज या कॉल का जवाब देने से पहले उसकी पुष्टि करें।

यदि कोई आपको डराने या दबाव में डालने की कोशिश करे, तो सतर्क रहें और पुलिस या साइबर क्राइम सेल से संपर्क करें।

ध्यान रखिए क्यूआर कोड और फर्जी लिंक जैसी धोखाधड़ी से बचने के लिए हमें सतर्क रहना होगा। सही तरीके से क्यूआर कोड स्कैन करना, लिंक की प्रामाणिकता जांचना और सोशल इंजीनियरिंग के जाल से बचना जरूरी है। साथ ही, अपने डिवाइस को अपडेट रखना भी महत्वपूर्ण है।

सोनल शर्मा एक अनुभवी कंटेंट राइटर और पत्रकार हैं, जिन्हें डिजिटल मीडिया, प्रिंट और पीआर में 20 वर्षों का अनुभव है। उन्होंने दैनिक भास्कर, पत्रिका, नईदुनिया-जागरण, टाइम्स ऑफ इंडिया और द हितवाद जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में काम किया...