Harmful effects of Plastic
Harmful effects of Plastic

Plastic: आप जब भी शॉपिंग के लिए जाती हैं, तो अपने नन्हे बच्चे के लिए कलरफुल और खूबसूरत डिजाइन में उपलब्ध प्लास्टिक की चीजें ले आती हैं। फिर चाहे वह लंच बॉक्स हो, बॉटल हो या कोई खिलौना ही क्यों ना हो! आपको लगता है कि आपका लाडला इन चीजों के प्रति आकर्षित होकर अच्छे से खेलता और खाता है। लेकिन क्या आपने कभी यह सोचने की कोशिश की है कि प्लास्टिक की इन चीजों की खरीदारी करके आप पर्यावरण को टॉक्सिक करने में योगदान दे रही हैं, साथ ही अपने बच्चे के स्वास्थ्य के साथ भी खेल रही हैं।

आपको यह सुनने में बहुत अजीब लग रहा होगा लेकिन सच तो यह है कि प्लास्टिक में बीपीए यानी बिस्फेनॉल-ए जैसे टॉक्सिक रसायन होते हैं, जो हार्मोन लेवल में बाधा उत्पन्न करते हैं। इसके साथ ही प्लास्टिक की चीजों के इस्तेमाल से बच्चे में व्यवहार संबंधी समस्याएं और कैंसर का जोखिम भी रहता है। बच्चे द्वारा इन प्लास्टिक की चीजों के इस्तेमाल के बाद जब हम इन्हें अपने आस-पास फेंक देते हैं, तो ये प्रदूषण का कारण बनते हैं। यह तो हम सब जानते ही हैं कि प्लास्टिक बायोडिग्रेडेबल नहीं होता है यानी कि पर्यावरण में लंबे समय तक रह जाता है और मिट्टी के साथ ही पानी में रहने वाले जीवों को खतरा भी पहुंचाता है। हालांकि, इन दिनों रीसायकल होने वाले प्लास्टिक भी मिलने लगे हैं लेकिन उनकी मात्रा बहुत कम है। आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि अपने बच्चों के लिए प्लास्टिक के इस्तेमाल को किस तरह से सफलतापूर्वक कम किया जा सकता है। 

प्लास्टिक के कंटेनर, ना बाबा ना   

plastic conteigner
Use glass bottles and lunch boxes for baby food, milk or water

कामचोरी कह लें या हमेशा नई चीजों का प्रयोग, बच्चे की खुशी के लिए अधिकतर मांएं प्लास्टिक के कंटेनर और बॉटल का इस्तेमाल करती हैं। आपमें से शायद कम लोगों को ही पता होगा कि प्लास्टिक के इन कंटेनर को रीसायकल नहीं किया जा सकता है। ऐसे में ये प्लास्टिक कंटेनर हमारे आस-पास ही पड़े रहते हैं और प्रदूषण का कारण बनते हैं। ऐसे में अच्छा तो यह रहेगा कि आप अपने बच्चे के फूड, दूध या पानी के लिए ग्लास के बॉटल्स और लंच बॉक्स का इस्तेमाल करें।

प्लास्टिक कटलरी बिल्कुल नहीं 

Plastic cutlery
You can use steel cutlery, which is not a problem to clean

जिस तरह आप अपने बच्चे को लुभाने के लिए प्लास्टिक की कलरफुल लंच बॉक्स और बॉटल का इस्तेमाल करती हैं, उसी तरह आप उनके लिए कार्टून वाले खूबसूरत डिजाइन में प्लास्टिक कटलरी का भी इस्तेमाल करती हैं। आपको लगता है कि आपका लाडला इस तरह की कलरफुल कटलरी से अट्रैक्ट होकर खाना खाता है। जबकि सच तो यह है कि प्लास्टिक कटलरी भी प्रदूषण का उतना ही बड़ा कारण बनता है, जितना कि प्लास्टिक के लंच बॉक्स और बॉटल। इनकी जगह पर आप स्टील की कटलरी का इस्तेमाल कर सकती हैं, जिनको साफ करने में भी दिक्कत नहीं होती है। 

डिस्पोजेबल कप और प्लेट भी नहीं

Disposable Material
Disposal Material

आप घूमने के लिए बाहर गईं और बच्चे के फूड को पैक करने के लिए डिस्पोजेबल कप और प्लेट का इस्तेमाल किया। इस्तेमाल के बाद आपने इसे डस्टबिन में डाल दिया और चलती बनी। क्या आपने कभी सोचने की कोशिश की है कि 10 दिन में फेंके गए उस डिस्पोजेबल कप और प्लेट का क्या होता है! 10 दिन में फेंके गए वे डिस्पोजेबल कप और प्लेट को भी डीकंपोज होने में बहुत ज्यादा समय लग जाता है और यह भी प्रदूषण का उतना ही बड़ा कारण बनता है। ऐसे में बेहतर तो यह है कि आप स्टील के बर्तनों का इस्तेमाल करें, जो टूटते भी नहीं है और इन्हें साफ करने में भी दिक्कत नहीं होती है। यदि आप डिस्पोजेबल कप या प्लेट का इस्तेमाल करना ही चाहती हैं, तो ध्यान रखें कि वे कागज से बने हों। 

प्लास्टिक के खिलौने नहीं

plastic toys
Toys

प्लास्टिक के खिलौने भले ही कलरफुल और कई डिजाइन में उपलब्ध होते हैं लेकिन सच तो यह है कि ये भी पर्यावरण के लिए सुरक्षित नहीं है। इन दिनों वैसे भी बाजार में कई इको फ्रेंडली खिलौने मिलने लगे हैं, जिनमें लकड़ी और कपड़े के बने खिलौने शामिल हैं। आप अपने बच्चे के लिए इन खिलौनों को खरीदकर प्रदूषण को दूर करने में अपना योगदान दे सकती हैं। 

बायोडिग्रेडेबल नैप्पी को कहें हां 

Plastic
Say yes to Biodegradable Nappies

पहले जहां लोग बाहर निकलने पर ही अपने बच्चे को डायपर या नैपी पहनाते थे, वहीं अब बच्चे पूरे दिन और रात डायपर पहने रहते हैं। ऐसा इसलिए ताकि बार-बार बच्चे को सुसु पॉटी कराने के झंझट से बचा जा सके। आपने शायद कभी यह सोचने की जहमत भी नहीं उठाई होगी कि बच्चे की सुसु पॉटी के लिए इस्तेमाल होने वाले डायपर को डीकंपोज होने में 500 साल से ज्यादा का समय लग जाता है। आप अब तक यही सोचती होंगी कि डायपर रुई से बना होता है तो भला उसे डीकंपोज होने में कितना वक्त लगेगा। लेकिन सच तो यह है कि डायपर में रुई के साथ प्लास्टिक भी रहता है, जो हमारे आस-पास प्रदूषण फैलाने का कारण बनता है। इसलिए बेहतर तो यह होगा कि इन प्लास्टिक वाले डायपर की जगह इन दिनों मार्केट में मिल रहे रिसाइकिल होने वाले  कपड़े की बनी नैप्पी का प्रयोग किया जाए। ये नैप्पी इको फ्रेंडली होने के साथ ही बैंबू फाइबर और कॉटन फैब्रिक के बने होते हैं, जो बच्चे की स्किन के लिए भी बहुत अच्छे साबित होते हैं।

स्पर्धा रानी ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के लेडी श्रीराम कॉलेज ने हिन्दी में एमए और वाईएमसीए से जर्नलिज़्म की पढ़ाई की है। बीते 20 वर्षों से वे लाइफस्टाइल और एंटरटेनमेंट लेखन में सक्रिय हैं। अपने करियर में कई प्रमुख सेलिब्रिटीज़ के इंटरव्यू...

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