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google emergency warning gmail Credit: Istock

Overview: मोबाइल से यंग माइंड्स पर बढ़ रहा है आपराधिक गतिविधियों का जुनून

मोबाइल गेमिंग आज युवाओं के लिए मनोरंजन का साधन बन गया है। लेकिन सही मार्गदर्शन से युवा पीढ़ी को डिजिटल दुनिया के खतरों से बचाया जा सकता है।

Cyber Crime in Kids: आज की दुनिया में मोबाइल फोन हर इंसान के पास है। खासकर युवा पीढ़ी के लिए यह न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि उनकी सोच और व्यवहार को आकार देने वाला एक शक्तिशाली उपकरण भी है। मोबाइल गेमिंग, जो कभी महज समय बिताने का जरिया था अब एक ऐसी मनोवैज्ञानिक दुनिया बन चुका है, जो युवाओं के दिमाग पर गहरा प्रभाव डाल रहा है। हालांकि मोबाइल गेमिंग पूरी तरह से निंदनीय नहीं है लेकिन इसकी लत बच्‍चों के यंग माइंड्स पर हावी हो रही है। गेम्‍स के चलते बच्‍चे ऐसी आपराधि‍क गतिवि‍धियों में शामिल हो रहे हैं जिसकी जानकारी उन्‍हें खुद भी नहीं है। गेमिंग से बच्‍चों पर क्‍या प्रभाव पड़ रहा है और इससे बच्‍चों को कैसे बचाया जाए चलिए जानते हैं इसके बारे में। 

आपराधिक गतिविधियों का जुनून

Cyber Crime in Kids-मोबाइल से बढ़ रही है बच्‍चों में आपराधिक गतिविधियां
The obsession with criminal activities

कई गेम्स में चोरी, लूट या हिंसा को ग्लैमराइज किया जाता है, जो युवाओं को इन गतिविधियों के प्रति आकर्षित करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी सामग्री युवाओं के नैतिक मूल्यों को कमजोर करती है और उन्हें गलत रास्ते पर ले जाती है।

डोपामाइन बना हथियार

मोबाइल गेम्स को इस तरह डिजाइन किया जाता है कि वे मस्तिष्क में डोपामाइन का स्तर बढ़ाते हैं, जो खुशी और संतुष्टि का अहसास देता है। हर स्तर पार करने, रिवॉर्ड पाने या स्कोर बढ़ाने पर दिमाग को तुरंत खुशी मिलती है, जिससे युवा बार-बार गेम की ओर खिंचे चले जाते हैं। यह व्यसन न केवल समय की बर्बादी करता है, बल्कि गंभीर मामलों में चोरी, हिंसा या अन्य आपराधिक गतिविधियों की ओर भी धकेल सकता है।

भावनात्मक असंवेदनशीलता

कई गेम्स हिंसा, युद्ध और विनाश पर आधारित होते हैं, जो युवाओं में भावनात्मक असंवेदनशीलता पैदा करते हैं। बार-बार हिंसक दृश्यों का सामना करने से वे वास्तविक जीवन में हिंसा या दुख के प्रति उदासीन हो जाते हैं, जो आपराधिक प्रवृत्तियों को बढ़ावा दे सकता है।

पाने की चाहत

गेम्स में आसानी से मिलने वाली वर्चुअल उपलब्धियां युवाओं को वास्तविक जीवन की मेहनत और धैर्य की कीमत समझने से रोकती हैं। इससे वे परिणामों की चाह में गलत रास्तों, जैसे धोखाधड़ी या अपराध, की ओर आकर्षित हो सकते हैं।

पहचानने में संकट

मोबाइल से बढ़ रही है बच्‍चों में आपराधिक गतिविधियां
Crisis in recognition

लिमिट से ज्‍यादा गेमिंग युवाओं को सामाजिक जीवन से दूर कर रही है। दोस्तों, रिश्‍तेदारों और परिवार से दूरी बढ़ाने के साथ-साथ युवा अपनी पहचान को गेम के किरदारों से मैच करने लगे हैं। यह पहचान संकट उन्हें वास्तविक दुनिया में असामाजिक या आक्रामक बना सकता है।

नींद संबंधी समस्याएं

लंबे समय तक स्क्रीन पर समय बिताने से नींद की कमी, चिंता और तनाव बढ़ता है। नींद की कमी दिमाग की निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित करती है, जिससे गलत फैसले और आपराधिक गतिविधियों की संभावना बढ़ जाती है।

इस स्थिति से कैसे निपटें

समय प्रबंधन: गेमिंग के लिए समय सीमा तय करें। दिन में 1-2 घंटे से ज्यादा गेमिंग न करने दें।

सकारात्मक गेम्स चुनें: रचनात्मक और शैक्षिक गेम्स को प्राथमिकता दें, जो हिंसा को बढ़ावा न देते हों।

परिवार और दोस्तों का साथ: सामाजिक गतिविधियों में भाग लें और परिवार के साथ समय बिताएं।

जागरूकता और शिक्षा: माता-पिता और शिक्षक बच्चों को गेमिंग के नकारात्मक प्रभावों के बारे में शिक्षित करें।

मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान: चिंता या नींद की समस्या होने पर विशेषज्ञ से सलाह लें।