Summary: बच्चों को प्राइवसी का महत्व सिखाएँ
बच्चों को डोर नॉक और पर्सनल स्पेस की अहमियत सिखाना, पेरेंट्स की प्राइवसी और रिश्तों की मजबूती के लिए ज़रूरी है।
Kids Door Knock Habit: पेरेंट्स बच्चों को परवरिश के दौरान प्यार अपनापन और जुड़ाव के साथ-साथ शिष्टाचार सीखना भी बहुत जरूरी है। डोर नॉक और पर्सनल स्पेस के बारे में बच्चों को सिखाना सिर्फ शिष्टाचार का हिस्सा नहीं बल्कि भविष्य में अच्छे जीवनशैली के विकास के लिए भी जरूरी है। बच्चे जब छोटे होते हैं तो वह किसी भी कमरे में बिना पूछे या बिना आज्ञा मांगे चले जाते हैं बच्चों की इस तरह की आदतों को माता-पिता छोटा समझकर अनदेखा करते हैं। लेकिन धीरे-धीरे बच्चों की यही आदत पेरेंट्स की प्राइवेसी को नुकसान पहुंचती है। आइए इस लेख में जानते हैं आप बच्चों को कैसे समझा सकते हैं डोर नॉक और पर्सनल स्पेस के महत्व को।
क्यों जरूरी है पेरेंट्स की प्राइवेसी
पति-पत्नी का रिश्ता दूसरे रिश्तो से भिन्न होता है, इनके बीच कई ऐसे पर्सनल एक्टिविटी और बातें होती हैं जिनकी प्राइवेसी बहुत जरूरी है। यह प्राइवेसी न सिर्फ परिवार से बच्चों से भी होना जरूरी है।

पेरेंट्स की प्राइवेसी बनी रहने से उनके आपसी रिश्ते स्वस्थ रहते हैं और वह तनाव मुक्त होकर अपने बच्चों की बेहतर परवरिश कर पाते हैं।
बच्चे प्राइवेसी का मतलब समझे और सम्मान करें इसके लिए जरूरी है कि वह अपने पेरेंट्स को एक दूसरे की प्राइवेसी का सम्मान करते देखें।
बच्चों को क्यों सिखाएं डोर नॉक करना
बिना आज्ञा या डोर नॉक किए बिना किसी कमरे में प्रवेश न करना बच्चों के अंदर शालीनता और मर्यादा के गुण का विकास करता है। बच्चा विनम्र भाव से प्रवेश की आज्ञा का इंतजार करता है।
डोर नॉक बच्चों को दूसरों की प्राइवेसी का सम्मान करना सीखता है। बच्चा समझता है हर जगह उनकी उपस्थिति जरूरी नहीं है।
किसी की प्राइवेसी का सम्मान करना बच्चों को भविष्य में स्वस्थ रिश्ते बनाने के लिए तैयार करता है।
बच्चों को पर्सनल स्पेस की समझ
जब बच्चा अपने पेरेंट्स के पर्सनल स्पेस का सम्मान करना सीखता है तो बच्चे के अंदर खुद के पर्सनल स्पेस और प्राइवेसी की समझ विकसित होती है और वह अपनी तथा दूसरों की प्राइवेसी की कदर करना सीखता है।
माता-पिता तथा दूसरों के निजी क्षेत्र की सीमाओं का ध्यान रखना बच्चे को भावनात्मक रूप से मजबूत करता है और दूसरे की भावनाओं को सम्मान करना सीखता है। बच्चे का सामाजिक और भावनात्मक विकास बेहतर बनता है।
बच्चों को कैसे डोर नॉक और पर्सनल स्पेस सिखाएं
बच्चों को डोर नॉक और पर्सनल स्पेस के महत्व को समझाने की शुरुआत बातचीत से करें। बच्चों को छोटे उदाहरण देकर समझाएं। क्या है आज्ञा लेना या किसी के निजी क्षेत्र का सम्मान करना।
आप बच्चे से पूछे क्या तुम्हारे खिलौने या तुम्हारी पसंदीदा कोई भी चीज बिना पूछे लेना तुम्हें पसंद है अगर नहीं तो इसी प्रकार बड़ों को भी बिना पूछे उनके कमरे में किसी का आना पसंद नहीं है।
बच्चों को रोजाना डोर नॉक या आज्ञा लेकर कमरे में आने की प्रैक्टिस करवाएं। इसकी शुरुआत खुद से करें। आप खुद भी बच्चों के कमरे में जाने से पहले डोर नॉक करें, उनसे अंदर आने की अनुमति लें। इससे बच्चा आपको देखकर डोर नॉक की जरूरत को समझेगा।
घर में नियम बनाए बिना आज्ञा कोई किसी के कमरे में प्रवेश नहीं करेगा, ना ही किसी के पर्सनल चीजों को बिना पूछे लेगा। डोर नॉक और पर्सनल स्पेस के बारे में बच्चों को सीखाने के लिए डांटने या डरने के बजाय खुद उदाहरण बने। पेरेंट्स भी बच्चों के प्राइवेसी का ख्याल रखें।
