Parenting Tips: पढ़ोगे-लिखोगे तो बनोगे नवाब, खेलोगे-कूदोगे तो बनोगे खराब। यह लाइन बचपन में सभी ने अपने बड़ों से सुनी होगी। असल में जब बच्चे छोटे होते हैं, तो उनका पढ़ाई में मन नहीं लगता, बल्कि खेल कूद में ज्यादा समय देते हैं इसलिए, मां-बाप या घर के बड़े बुजुर्ग इस तरह की क्रिस्पी लाइनें कहकर उनका ध्यान पढ़ाई की तरफ भी ले आते हैं। क्योंकि खेल-कूद और पढ़ाई दोनों ही बच्चे के अच्छे विकास और जीवन के लिेए जरूरी है। दोनों का संतुलन बेहद जरूरी है।
आजकल बहुत से मां-बाप की शिकायत होती है कि उनके बच्चे का पढ़ाई में मन नहीं लगता है या पढ़ता तो बहुत है, लेकिन रिजल्ट अच्छा नहीं आता है। हर अभिभावक की इच्छा होती है कि उनके बच्चे पढ़ाई में अच्छा करे इसके लिए वह हर संभव कोशिश करता है। लेकिन कुछ छोटी-छोटी चीजें होती हैं जिसे वो नजरअंदाज कर देते हैं। इस लेख में हम उन्हीं छोटी-छोटी बातों के बारे में जानेंगे जिसमें अगर माता-पिता बदलाव लाएं तो उनके बच्चे की पढ़ाई में रूचि बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता है।
घर का महौल रखें अच्छा
बच्चे के विकास में घर का महौल अहम भूमिका निभाता है। जिनके घर का वातावरण खुशहाल रहता है और घर में क्लेश, लड़ाई-झगड़े नहीं होते हैं, उन बच्चों की रचनात्मक और कैचिंग पावर बहुत अच्छी होती है। वे बच्चे एकेडमिक और एकस्ट्रा कैरीकुलम में बहुत अच्छा स्कोर करते हैं। इसलिए कोशिश करें कि घर से नकारात्मकता दूर रहे, ताकि बच्चे का मन पढ़ाई और घर दोनों में लग सके।
खुद किताब पढ़ें, तो बच्चे भी पढ़ेंगे
जब भी आप बच्चों को पढ़ाई करने के लिए बोलें तो खुद भी उनके साथ बैठें। उनका होमवर्क करने में या प्रोजेक्ट बनाने में उनकी मदद करें। उन्हें पढ़ते वक्त अकेेले न छोड़ें, क्योंकि उन्हें अकेले छोड़ देंगी तो उनका दिमाग भटक सकता है। इसके अलावा आप अपने बच्चे की एकेडमिक बुक से कहानियां पढ़कर सुना सकती हैं या विज्ञान की किताब से ग्रहों के बारे में बता सकती हैं।
सवाल पूछें और बच्चों को भी पूछने दें
यह तो शत-प्रतिशत सत्य है कि सवाल पूछने से बच्चे तेज बनते हैं। लेकिन अब ना तो स्कूलों में और ना ही घर में बच्चों को सवाल पूछने दिया जाता है और ना ही उनके सवालों के जवाब दिए जाते हैं। स्कूलों में टीचर्स को सिलेबस पूरा करवाना होता है तो घर पर मां-बाप को अपने काम करने होते हैं। ऐसे में बच्चे सवाल पूछें तो किससे?
इसलिए तो आजकल बच्चों में बात ना करने की समस्या पैदा हो रही है। आजकल तो बच्चे गूगल से सवाल पूछ रहे हैं। सवाल केवल जवाब जानने के लिए नहीं पूछे जाते हैं। बल्कि झिझक तोड़ने के लिए, बात करने के लिए, विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए और कम्युनिकेशन स्कील बढ़ाने के लिए भी पूछे जाते हैं। इसलिए जब भी बच्चा आपसे कोई सवाल पूछे तो उसका जवाब दें न कि उसे डांटे फटकारें।
खुद हेल्दी खाएं और बच्चों को भी हेल्दी खिलाएं
बच्चे के खान-पान पर ही शारीरिक और मानसिक विकास निर्भर करता है। जैसा भोजन होगा विचार भी वैसे ही होंगे। ऐसे में बच्चे का नाश्ता, दोपहर काखाना और रात का खाना बहुत सोच समझकर प्लान करें। कोशिश करें उसके शरीर को आयरन, प्रोटीन, विटामिन आदि सभी जरूरी पोषक तत्व उसके भोजन में शामिल हों तभी आपके बच्चे का विकास बेहतर तरीके से हो पाएगा।
अखबार पढ़ें और स्मार्ट बनें
अपनी सुबह की शुरुआत अखबार पढ़ने से करें। इससे आपको लेटेस्ट खबरों की जानकारी होगी साथ ही आपको देखकर, आपके बच्चे में भी अखबार पढ़ने की आदत डेवलप होगी। अखबार पढ़ने से बच्चे की कम्युनिकेशन स्किल, रीडिंग स्किल, नॉलेज बढ़ेगी।
मॉर्निंग पर्सन बनें और रोज सुबह घूमें
कहा जाता है कि सुबह भोर में टहलने से दिमाग तेज बनता है या सुबह की गई पढ़ाई जिंदगी भर याद रहती है। आइंस्टाइन भी रोज़ाना न्यू जर्सी की प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में काम करने के दौरान रोज सुबह डेढ़ मील पैदल सैर पर जाते थे। मशहूर जीव वैज्ञानिक डार्विन भी रोज़ाना 45 मिनट तक टहला करते थे। अब इसके क्या फ़ायदे हैं?
टहलना सेहतमंद तो बनाता ही है साथ में याददाश्त भी बेहतर करता है। वैसे भी क्रिएटिव होने के लिए खुली हवा में टहलना बहुत कारगर माना जता है। इसलिए रोज सुबह बच्चे को टहलने की आदत डालें। उसे सैर पर लेकर जाएं।
इन 5 आदतों को, आप केवल एक महीने तक रेग्युलर फॉलो करें। आपको केवल 15 दिन में फर्क नजर आने लगेगा। आपने सुना होगा कि मेहनत नहीं की जाए तो एक्स्ट्राऑर्डिनरी टैलेंट भी बेकार हो जाता है। सोने(गोल्ड) को भी चमकाने के लिए उसकी समय-समय पर पॉलिश की जाती है। फिर आपका बच्चा तो नन्हा सा पौधा है जिसे रोज पानी की जरूरत होती है। मतलब कि रोज मेहनत करनी होगी। इसलिए खुद भी मेहनत करें और बच्चों को भी मेहनत करने के लिए प्रेरित करें।