Parenting Tips: बच्चे स्वभाव से बेहद ही चंचल होते हैं और वह कोई भी काम अपनी मर्जी से ही करना पसंद करते हैं। अधिकतर घरों में यह देखा जाता है कि बच्चे स्कूल से लौटने के बाद अपना बैग भी सही जगह पर नहीं रखते हैं। लेकिन एक पैरेंट होने के नाते बच्चों में अच्छी आदतों का संचार करना आपकी जिम्मेदारी है। इसकी शुरूआत कुछ छोटे कदमों से की जा सकती है। मसलन, आप सबसे पहले बच्चों को घर के ही कुछ छोटे-छोटे काम जैसे कि सफाई आदि करने के लिए कहें।
हो सकता है कि शुरूआत में बच्चे घर के काम करने से मना करें या फिर उनसे कुछ गड़बड़ हो। ऐसे में आपको अपेक्षाकृत अधिक समय लग सकता है। लेकिन आपकी यह मेहनत कई रूपों में बच्चे के काम आ सकती है। दरअसल, जब बच्चा खुद घर के कुछ छोटे-छोटे काम करना शुरू करता है तो इससे वह अधिक जिम्मेदार बनता है और साथ ही उसमें कुछ अच्छी आदतों का भी संचार होता है।
घर के काम से सीखते हैं लाइफ स्किल्स

घर के काम बच्चों से करवाने का एक सबसे बड़ा लाभ यह होता है कि इससे वह लाइफ स्किल्स को बेहतर तरीके से व आसानी से सीख जाते हैं। यकीनन बच्चे अभी छोटे हैं, लेकिन वे हमेशा के लिए बच्चे नहीं रहेंगे! लॉन्ड्री, खाना बनाना और बजट बनाना कुछ ऐसे स्किल्स हैं जिनकी आपके बच्चों को एक बार जब वे बाहर निकलेंगे तो आवश्यकता होगी। ये भी ऐसी चीजें हैं जिन्हें स्कूल में नहीं पढ़ाया जाता है, ऐसे में इन लाइफ स्किल्स को सिखाने के लिए आप बच्चों में बचपन से ही घर के काम करने की आदत डालें।
घर के काम से खत्म होता है लिंग भेदभाव

भारत में आज भी पितृसत्तात्मक सोच ही देखने को मिलती है, जहां पुरूष यह समझता है कि घर के काम करने की जिम्मेदारी स्त्री की होती है। ऐसा शायद इसलिए होता है, क्योंकि उसने बचपन में कभी भी काम नहीं किया होता है। बस अपनी मां, दादी या बहन को ही उसने काम करते हुए देखा है। ऐसे में इस सोच को मिटाने के लिए भी बच्चों को कम उम्र से ही कुछ काम करने के लिए कहना चाहिए। फिर भले ही वह लड़का हो या लड़की। दरअसल, जब लड़का बचपन से ही घर केकाम करने में माहिर होता है तो उसे बड़े होकर भी ऐसे किसी काम को करने में हिचक नहीं होती। साथ ही इस आदत के चलते वह आगे चलकर अपनी फैमिली को भी बेहतर तरीके से संभाल पाता है।
घर के काम की जिम्मेदारी बनाती है आत्मनिर्भर

बच्चों को बचपन से ही आत्मनिर्भर बनाना बेहद आवश्यक है। बच्चों को नियमित रूप से कुछ काम सौंपने से उन्हें अधिक जिम्मेदार बनने में मदद मिलती है। ऐसे कार्य जो आपके बच्चों को व्यक्तिगत रूप से प्रभावित करते हैं, जैसे उनके कमरे की सफाई करना या स्वयं कपड़े धोना, उन्हें अधिक आत्मनिर्भर बनाते हैं। जिसके कारण वह हर छोटी से छोटी चीज के लिए पैरेंट्स पर निर्भर नहीं होते हैं।
काम से सीखते हैं टाइम मैनेजमेंट

बच्चे बेहतर तरीके से टाइम मैनेजमेंट करना सीख जाए, इसके लिए भी उन्हें कुछ कामों की जिम्मेदारी देना आवश्यक है। अगर आप उन्हें कहते हैं कि वह अपने कमरे की सफाई के बाद खेलने के लिए जा सकते हैं, तो ऐसे में वह मन ही मन अपना टाइम मैनेजमेंट करना शुरू कर देते हैं। इस तरह, धीरे-धीरे वह समय की अहमियत भी सीखते हैं और हर काम को समय पर और अधिक बेहतर तरीके से करते हैं।
दूसरों के काम को सम्मान देना सीखते हैं

जिन घरों में हाउसवाइफ होती हैं, वहां पर अक्सर बड़े ही नहीं, बच्चे भी घरों के काम को अहमियत नहीं देते। यहां तक कि वह कह भी देते हैं कि मम्मी तुम सारा दिन क्या करती हो। इस स्थिति में उन्हें घर की कुछ जिम्मेदारियां देना बेहद ही आवश्यक है। दरअसल, जब बच्चे खुद कुछ काम करते हैं तो उन्हें समझ में आता है कि आसान से दिखने वाले काम में कितनी मेहनत की जरूरत होती है। इस तरह वह अपनी मां और उनके काम को सम्मान देना भी सीख जाते हैं।
काम से होती है फैमिली बॉन्डिंग बेहतर

अमूमन यह देखने में आता है कि फैमिली का हर सदस्य अपने कामों में इतना उलझा रहता है कि सभी को एक साथ समय बिताने का मौका नहीं मिलता है। ऐसे में बच्चों को घर की डस्टिंग या क्लीनिंग का काम देना एक अच्छा विचार है। दरअसल, जब आप ऐसा करते हैं तो इससे परिवार को एक साथ वक्त बिताने का मौका मिलता है, क्योंकि बच्चे बड़ों की देख-रेख में ही काम करते हैं। ऐसे में अगर आप समय के अभाव के कारण बच्चों को टाइम नहीं दे पाती हैं, तो अब उन्हें अपने साथ ही काम करने के लिए दें और एक अच्छा वक्त बिताते हुए घर के काम भी निपटाएं।
काम से सीखते हैं टीम वर्क

घर में टीम में काम करने का एक फायदा यह भी होता है कि इससे बच्चे टीम में काम करना सीखते हैं। दरअसल, उन्हें अपने जीवन के कई पड़ावों पर अन्य लोगों के साथ मिलकर काम करना पड़ता है। लेकिन अगर वह टीम के साथ एडजस्ट करना और अपनी जवाबदेही सुनिश्चित करना नहीं सीखते हैं, तो उन्हें आगे चलकर समस्या होती है। लेकिन घर में जब वह अन्य लोगों के साथ मिलकर घर के काम की जिम्मेदारी लेते हैं तो इससे उनमें टीम वर्क करने के स्किल्स भी बेहतर होते हैं।
