Handle Hyperactive Children: आजकल बहुत से माता-पिता की शिकायत होती है, हमारा बच्चा एक जगह शांति से एक पल भी नहीं टिकता, पूरे दिन घर में भागम-भाग मचा कर रखता है, बहुत बदमाश है, कुछ बिगड़ा रहता है, अगर आप भी अपने बच्चों के बारे में ऐसा सोचते हैं और आप को लगता है कि बच्चों पर गुस्सा करना इसका सही उपाय है तो आप गलत हैं।
जो बच्चे ज्यादा उछल-कूद करते हैं, एक जगह शांति से नहीं बैठ सकते, ऐसे बच्चे बदमाश नहीं, ज्यादा ऊर्जावान होते हैं, इस तरह के बच्चों को हाइपरएक्टिव बच्चा कहते हैं। हाइपरएक्टिव बच्चों को गुस्सा करके नहीं संभाल जा सकता बल्कि आप इन्हें प्यार से समझा कर उनकी ऊर्जा को उनके सही विकास में लगा सकते हैं। आईए जानते हैं किस तरह आप अपने हाइपरएक्टिव बच्चे की ऊर्जा को उसके विकास के लिए उपयोग कर सकते हैं तथा बिना गुस्से के उसे संभाल सकते हैं।
पहला कदम, बच्चों को डांटे नहीं
अगर आप अपने बच्चों को डांट कर शांत करवाना चाहते हैं तो यह सही उपाय नहीं है। हो सकता है, गुस्सा करने डांटने से आपका बच्चा कुछ समय शांत हो लेकिन बार-बार डांटने पर आपका बच्चा अकर्मक व्यवहार अपना सकता है, जो कि उसके संपूर्ण विकास के लिए सही नहीं है। आप बच्चे की भावना को समझे, आपका बच्चा शरारती नहीं है, बहुत ज्यादा ऊर्जावान है, इसलिए वह शांत नहीं रहता है, इस बात को आपको समझना होगा।
ऊर्जा को सही दिशा में लगाएं

अपने बच्चों की ऊर्जा को किसी रचनात्मक कार्य को सीखने की तरफ लगाएं। जैसे कि आप उसे डांस, पेंटिंग या फिर मिट्टी से कुछ बनाने या सीखने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। शुरुआत में अपने बच्चों को प्रेरित करने के लिए इन सभी कार्य को उनके साथ मिलकर करें। अगर वह रुचि दिखाता है तो बेहतर सीखने के लिए क्लास भेज सकते हैं।
अपने बच्चों से घर के छोटे-छोटे कार्य करने में मदद मांग सकते हैं। हो सकता है, वह शुरुआत में मना करें, ना करना चाहे। इस समय आप भावनात्मक रूप से आनंद पहुंचने वाले शब्दों का उपयोग कर सकते हैं, जैसे प्लीज बेटा मेरी मदद कर दो। अगर आपका बच्चा आपकी मदद करता है तो कहें, धन्यवाद बेटा आपकी मदद से मुझे काम में आसानी हुई। अगर आप उससे उसका कोई काम खुद करवाना चाहे तो कहें सॉरी बेटा, मैं थोड़ा बिजी हूं क्या तुम खुद से कर सकते हो। आप जब बच्चों के साथ सॉरी, थैंक यू, प्लीज जैसे शब्दों का उपयोग करते हैं तो वह खुद को आपकी नजरों में एक मजबूत और अच्छा बच्चा समझता है और आपकी बात भी बहुत प्यार से समझता है।
समझे उनकी भावना को
आपका बच्चा आपको समझे, इससे पहले आपको उसे समझना होगा। अगर आपका बच्चा आपके काम में बार-बार बाधा डाल रहा है तो उस पर गुस्सा करने की बजाय समझे कि वह आपका समय आपसे चाहता है, आपके साथ खेलना चाहता है। उस पर गुस्सा करने की बजाय आप उसके साथ 10 मिनट समय बिता सकते हैं, उसके बाद उससे अनुरोध करके अपना काम कर सकते हैं। आप इस नियम को अपना कर देखें इससे आपका और आपके बच्चे का जुड़वा बेहतर होगा।
अगर आपका बच्चा बार-बार आपकी गोद में बैठना चाहता है या आपके ऊपर या आपके आसपास आपके शरीर से लिपटने की कोशिश करता है तो आपका बच्चा आपके पास बैठकर खुद को सुरक्षित महसूस करवाना चाहता है।
अगर आपका बच्चा अपने खिलौने से बार-बार कुछ उपहार के तौर पर दे रहा है या आपको कुछ देने की बात कह रहा है तो वह आपसे कुछ पाना चाहता है। वह आपसे कोई उपहार पाना चाहता है।
यह कुछ छोटे-छोटे टिप्स थे जिनका उपयोग कर आप अपने बच्चों के भावनाओं को समझने की कोशिश कर सकते हैं।
विशेष ध्यान: बच्चे नासमझ होते हैं, आप उनसे समझ की उम्मीद के साथ उन्हें डांट कर नहीं संभाल सकते। बल्कि समझ और धैर्य आपको दिखाना है, वह आपसे सीख कर जरूर समझदार बन सकते हैं।
