Hyperactive Children: हमारे समाज में एक कहावत प्रचलित है, बच्चे उछल-कूद नहीं करेंगे तो वह बच्चे नहीं कहलायेंगे, अर्थात उछल-कूद करना, एक जगह शांति से ना बैठन , किसी न किसी कार्य को करते रहना बच्चों की आदतों में शामिल होता है। आमतौर पर बच्चे बड़ों के मुकाबले ज्यादा एक्टिव होते हैं। यह कोई समस्या नहीं, लेकिन जब बच्चा अत्यधिक एक्टिव हो जिसके कारण वह हमेशा अव्यवस्थित या गतिशील स्थिति में रहे तो इस तरह के बच्चों को हाइपरएक्टिव बच्चा कहा जाएगा।
क्या है ADHD
ADHD (हाइपरएक्टिव एक्टिविटी डिसऑर्डर) एक प्रकार का डिसऑर्डर है जो की हाइपरएक्टिव बच्चों में पाया जाता है। इससे पीड़ित बच्चे लंबे समय तक किसी एक कार्य पर फोकस नहीं कर पाते या कहीं एक ही अवस्था में किसी कार्य को नहीं कर पाते हैं। इस डिसऑर्डर से पीड़ित बच्चों में फॉक्स की कमी होती है। लेकिन समझने की बात यहां यह है कि हर हाइपरएक्टिव बच्चा इस डिसऑर्डर से पीड़ित नहीं होता। हां काफी हद तक हाइपरएक्टिव बच्चों के लक्षण और ADHD से पीड़ित बच्चों के लक्षण समान होते हैं परंतु उन लक्षणों के आधार पर बिना डॉक्टर के सलाह के हम यह नहीं कह सकते कि बच्चा ADHD से पीड़ित है।
हाइपरएक्टिव बच्चों के लक्षण
हर वक्त उछल-कूद, दौड़-भाग करते रहना
एक जगह लंबे समय तक बैठे ना रहना, अगर बैठना पड़े तो बेचैन रहना, हाथ पैरों को हिलाते रहना।
किसी कार्य को करने में ध्यान केंद्रित न कर पाना।
दूसरों को कार्य करने में बाधा पहुंचाना, इंतजार ना कर पाना।
हर कार्य को जल्दी-जल्दी करने की कोशिश करना।

हाइपरएक्टिव बच्चों की देखभाल
नियमित दिनचर्या: हाइपरएक्टिव बच्चों को नियंत्रित करने का सबसे पहले उपाय है, उनके लिए एक नियमित दिनचर्या बनाया जाए। जैसे; उनके उठने से लेकर सोने तक हर छोटे बड़े काम के लिए एक समय निश्चित किया जाए। उसी के अनुरूप उन्हें अपना दिन पूरा करने को कहा जाए। इस तरह माता-पिता बच्चों की दिनचर्या को व्यवस्थित कर सकते हैं तथा बच्चा भी धीरे-धीरे बढ़ते समय के साथ उस दिनचर्या के साथ खुद को ढालने लगता है।
ऊर्जा को व्यवस्थित करें: अगर बच्चे में अधिक ऊर्जा होगी तो वह अधिक दौड़-भाग करेगा। बच्चा घर में दौड़-भाग कम करें इसके लिए जरूरी है, बच्चा दिन में कुछ समय ऐसे क्रियाकलाप करें जिसमें उसके ऊर्जा का व्यय हो। जैसे; घर से बाहर जाकर खेलना, डांस करना, साइकिल चलाना जैसी क्रियाकलाप करें। इस तरह के क्रियाकलाप से बच्चे का ऊर्जा व्यय सही दिशा में होगा।
नियम तय करें: छोटे बच्चों किस हद तक नियम मान सकते हैं, कहा नहीं जा सकता, लेकिन माता-पिता को छोटे-छोटे कदम उठाने चाहिए जैसे; खाना खाते समय इधर-उधर ना भागे, अगर कोई बैठा है तो उसे तंग ना करें, हर 1 घंटे के बाद कम से कम 10 मिनट एक जगह शांत बैठे। इस तरह के छोटे-छोटे नियम के साथ आप बच्चों को व्यवस्थित करने की कोशिश कर सकते हैं।
प्यार से देखभाल करें
एक बच्चा जो अपने सीखने के दौर में है, जिसे नियम, टाइम-टेबल, व्यवस्था उनकी जानकारी नहीं है, ऐसे में आप उससे परफेक्शन की उम्मीद ना करें। उसे प्यार से समझाएं तथा किस भावना के साथ वह किसी कार्य को कर रहा है इस बात को समझे। किसी भी बच्चे को शांत करने का सबसे अच्छा तरीका है माता-पिता उसे प्यार दें, अपना सानिध्य दे। उसके बातों को सुने और समझे जिससे बच्चा सुरक्षित महसूस कर सके।
