बच्चे कैसे बचें पेरेंट्स की फाइट से: Avoid Parents Fight
How can children avoid parent fights

Avoid Parents Fight: माता-पिता के झगड़ों के बीच प्रभावित होते बच्चों को बचाने पर तो चर्चा होती है, मगर आज के तेज़-तर्रार बच्चे खुद ऐसा कर सकते हैं। इस लेख को $खुद भी पढ़ें और अपने बच्चे को भी पढ़वाएं-

माता-पिता के झगड़ों के बीच बच्चे पिसते ही नहीं, बल्कि घुटते भी रहते हैं। मनोचिकित्सक प्रांजलि मल्होत्रा कहती हैं कि माता-पिता का आपसी टकराव बच्चों की मानसिक सेहत को प्रभावित करता है। ऐसे बच्चों को बात-बात पर गुस्सा आता है।

वे छोटी-छोटी बात पर बेचैन हो जाते हैं और हमेशा इस डर के साथ जीने लगते हैं कि उनके माता-पिता का कभी भी अलगाव हो सकता है। माता-पिता की यह छोटी सी गलती बच्चे के मानसिक संतुलन, उसकी खुशियां व उनके आने वाले जीवन पर बुरा असर डाल सकती है, इसलिए ऐसे समय पर बच्चों को चाहिए कि वे अपने पेरेंट्स को इस बात का एहसास दिलाएं कि उनके झगड़े का कितना प्रभाव पड़ रहा है। माता-पिता के झगड़ें के दौरान बच्चा अपने को इस प्रकार से सुरक्षित रख सकता है और खुद को कैसे बेहतर महसूस करवा सकता है, आइए जानें-

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Avoid Parents Fight
behave yourself normally

कोशिश करें कि आप उस लड़ाई का कारण ना बनें। किसी एक की साइड ना लें और आप उनके झगड़े के बीच बिलकुल ना आएं। उनकी लड़ाई सुलझाना आपका काम नहीं है। अगर कोई एक भी पेरेंट आपको इसके बीच में लाने की कोशिश करता हो तो उन्हें साफ-साफ कह दें कि आपको इसमें दिलचस्पी नहीं है।

यह बहुत जरूरी है कि अगर आपके पेरेंट्स की लड़ाई का आप पर बहुत अधिक तनाव पड़ रहा है तो आप अकेले कहीं बैठ जाएं। इससे आपको बार-बार यह लड़ाइयां सुननी और देखनी नहीं पड़ेंगी। आप चाहें तो अपनी बालकनी में घूम सकते हैं या किसी ऐसे कमरे में जाकर बैठें, जहां आपको यह सब सुनाई ना दें।

अगर आपको अपने घर में कोई ऐसा व्यक्तिगत कोना नहीं मिल पाता तो आप किसी और के घर जा सकते हैं। अपने किसी पड़ोसी के घर जाएं, जो आपके करीब हो। आप चाहें तो अपने किसी करीबी परिवार के सदस्य या दोस्त के घर जा सकते हैं।

अगर आप घर से बाहर नहीं निकल सकते तो अपने को किसी ऐसे काम में व्यस्त कर लें, जिससे आपका ध्यान बटें। अगर आपके लिए ऊंची आवाज में कुछ सुनना मुमकिन हो तो सुनें। इसके अलावा अगर आप पढ़ रहे हैं तो अपना होमवर्क करें। इस समय को आप अपनी देखभाल करने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। अपने कान में हेडफोन लगाकर कोई किताब भी पढ़ सकते हैं। इससे आपका ध्यान लड़ाई पर नहीं जाएगा।

अगर आपके पेरेंट्स आपके बारे में बात करते हैं तो कभी ये ना सोचें कि इसके जिम्मेदार आप हैं। आप कभी भी उनकी लड़ाई का कारण नहीं हो सकते, क्योंकि यह केवल उनके अतीत के कारण होता है। आप कभी भी कोई ऐसा काम नहीं कर सकते, जो उन्हें इस हद तक पहुंचा दें।

अपने पेरेंट्स की लड़ाई से बचने के लिए आप अपनी जिन्दगी में दूसरे लोगों को शामिल कर सकते हैं। बहुत से शोधों से यह पता चला है कि अच्छी सोशल लाइफ से आपका स्वास्थ भी अच्छा रहता है। अगर आपके पेरेंट्स आदर्श पेरेंट्स ना बन सके तो हो सकता है आपको बाहर के लोगों में अच्छे रिश्ते मिल जाएं। यह थोड़ा कठिन हो सकता है पर आप पैरेंट्स से अच्छे से वार्तलाप करेंगे तो टूटे रिश्ते से बचकर रहना आसान होगा।

कभी-कभी पेरेंट्स को इस बात का एहसास नहीं होता कि उनकी इस हरकत से बच्चों को कितनी तकलीफ हो रही है। बहस खत्म होने के बाद अपने पेरेंट्स को अपनी भावनाएं बताएं। अपनी भावनाएं व्यक्त करते समय अपने-आप को शांत रखें। अपने पेरेंट्स को शॄमदा महसूस करवाने की कोशिश कभी ना करें। आपका लक्ष्य यह नहीं होना चाहिए कि अपने पेरेंट्स से बदला लेना है। ऐसे ही कुछ टिप्स हम यहां दे रहे हैं-
1. अपने पेरेंट्स को उनकी लड़ाई से हो रहे प्रभावों के बारे में बताएं। कुछ शोधों से यह पता चला है कि पेरेंट्स की लड़ाई से बच्चों का भावनात्मक संतुलन सही से विकसित नहीं हो पाता। सभी साइकोलॉजिस्ट्स का मानना है कि बच्चों के अच्छे विकास के लिए पेरेंट्स व बच्चों के बीच का यह रिश्ता मजबूत होना चाहिए।
2. अपने पेरेंट्स को अच्छी और बुरी लड़ाई के बारे में जानने के लिए कहें। अच्छी लड़ाइयां वे होती हैं जिसमें लोग लड़ाइयों को खत्म करने के लिए कोई ना कोई तरीका आजमाने की कोशिश करते हैं। बुरी लड़ाई में एक-दूसरे का अपमान करना या एक-दूसरे की पेरेंटिंग स्किल्स का मजाक उड़ाना किसी लड़ाई को सुलझाने का अच्छा तरीका नहीं है।
3.उन्हें अकेले में लड़ने की सलाह दें। आपके इस अनुरोध से आप अपने पेरेंट्स के झगड़े से होने वाले तनाव से बच पाएंगे। अपने पेरेंट्स को यह समझाएं कि उनके अकेले में लड़ने से आपकी भावनाओं को चोट कम पहुंचती है।

सबसे पहले इस बात को समझें कि कुछ झगड़े होना बहुत आम बात है। अगर हर बार लड़ाई के बाद आपके पेरेंट्स एक-दूसरे को मना लेने में कामयाब हो जाएं और यह लड़ाई बार-बार ना हो तो आपको किसी बात की चिंता करने की आवश्यकता नहीं है।
1. स्कूल में मौजूद शिक्षक व काउंसलर बच्चों की व्यक्तिगत समस्याओं का समाधान करने में माहिर होते हैं। अगर आपके स्कूल में ऐसी सुविधा है तो आपको इसका जरूर इस्तेमाल करना चाहिए। आपको उन्हें वह हर बात बताने की जरूरत नहीं है, जो आप नहीं बताना चाहते। आप उन्हें केवल इतना बोल सकते हैं कि आप अपने परिवार में किस परेशानी से गुजर रहे हैं और आपको किसी की जरूरत है।
2. बहुत जल्दबाजी में किसी निष्कर्ष पर ना पहुंचे। अक्सर खराब मूड या किसी गलत चीज के होने की वजह से भी लोग आपस में लड़ने लगते हैं। अगर आप इस बात को लेकर चिंतित हैं तो अपने पेरेंट्स से बात करें और आपको आश्वासन दिलाने को कहें।
3. अपने गुस्से को भी बाहर निकलने दें। अगर अपने पेरेंट्स की लड़ाई से आपको गुस्सा आता है तो इसमें कुछ गलत नहीं है।
4. अपने गुस्से को काबू में रखने के लिए आप यह एक्टिविटीज कर सकते हैं कि ज्यादा से ज्यादा खेलें। फुटबॉल और बास्केटबॉल जैसे खेलों से गुस्सा घटता है। अपनी इस एनर्जी को अपने गेम में लगाएं, लेकिन लड़ाई किसी बात का हल नहीं होता तो अपने साथी खिलाड़ियों पर अपना गुस्सा ना निकालें।
5. अपने गुस्से के बारे में लोगों से बातें करें। यह आप अपने पेरेंट्स, दोस्तों, भाई-बहन या किसी काउंसलर के साथ कर सकते हैं। तकिये को मारने से गुस्सा कभी शांत नहीं होता, लेकिन अगर आप अपनी भावनाओं को किसी सही व्यक्ति के साथ मिलकर बाटेंगे तो आपको बहुत अच्छा महसूस होगा।

अध्ययन के दौरान पाया गया कि जिन बच्चों के घरों का माहौल अच्छा है और माता-पिता के बीच बहुत प्यार है, ऐसे बच्चों में फैसले लेने की क्षमता बहुत सशक्त होती है और वह सही और गलत के बीच भेद करना जानते हैं।