लड़किया चंचल और खूबसूरत तितलियों के समान होती हैं, जिनसे घर-आंगन हर समय खुशियों की खुशबू से महकता रहता है। वे बहुत बातूनी, ऊर्जा से लबरेज, संवेदनशील, सबकी परवाह करने वाली होती हैं, लेकिन जैसे ही प्रीटीन और टीनएज में आती हैं तो अचानक एहसास होने लगता है कि हम कुछ भी कर सकते हैं और जो करेंगे, वह गलत नहीं होगा। खुद को आकर्षक महसूस करना, देर तक आईने में खुद को निहारना, सौंदर्य प्रसाधनों का प्रयोग करना, ड्रैसेज को लेकर सजगता, दोस्तों के साथ घंटों समय बिताना, फोन पर देर तक बातें करना और माता-पिता से बहुत कुछ छिपाना, जैसे तमाम गुण इसी उम्र में पनपते हैं। मूड स्विंग, भावनात्मक उथल-पुथल, अनावश्यक रुलाई जैसे लक्षण भी हार्मोनल बदलावों के कारण इसी उम्र की देन होते हैं।

ऐसे में वे भी काफी मानसिक तनावों से गुजर रही होती हैं- जैसे उन पर पढ़ाई का दबाव, उनसे अधिक अपेक्षाएं, उदाहरण के लिए- अपना सर्वश्रेष्ठ करें…, ज्यादा आकर्षित नहीं लगना या लगना है…, वह एक लड़की है, इसलिए कानून-कायदे निभाने हैं। उन्हें हर बार ये डर लगा रहता है कि उनके मित्र उनके बारे क्या सोचते हैं, वे कैसी दिखाई देती हैं और कैसे बर्ताव करती हैं, आदि-आदि। यह लड़कियों को आकस्मिक रूप से तनावग्रस्त बना देता है। यह एक बड़ा बदलाव होता है, जो खासतौर पर मां के लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी करता है, जिसकी वजह से उनके अंदर छिपी चुलबुली, चंचल लड़की कहीं खो सी जाती है। ऐसे समय में एक मां का कर्तव्य होता है कि बेटी की दोस्त बन कर उसे आगे बढ़ाए। मां, बेटी की हर जरूरत को समझती है। उसकी परेशानियां, खुशियां, इच्छाओं को भला मां से बेहतर कौन जानेगा!

अपनी बेटी को आत्मविश्वास से भरपूर और ऊर्जावान बनाएं। आइए देखते हैं कैसे-

अविश्वास को बढ़ावा ना दें

एक मां के लिए बहुत जरूरी हो जाता है कि वह अपनी बेटी पर विश्वास करे और उनके बुरे बर्ताव के लिए शक करने के बजाय, सीधा उनके पास जाए और उन्हें बेहिचक प्रश्न पूछे। सबूतों से ज्यादा अपनी बेटी पर विश्वास रखे।

मुखरता सिखाएं

मां का कर्तव्य है कि बेटी को अपने अधिकारों के लिए लड़ना सिखाए। यदि घर का कोई भी सदस्य या बच्चा उसके साथ ठीक व्यवहार नहीं करता तो वह साफ कहें कि उसे उस व्यक्ति का व्यवहार पसंद नहीं है। अपने मन के विचारों को अभिव्यक्त कर सके!

तारीफ करें

बेटी को उसकी इंपॉर्टंस समझाएं, छोटी-छोटी बातों के लिए भी उसकी तारीफ करें। उसे समझाएं कि वह परिवार के लिए कितनी अनमोल है।

आत्मविश्वास बढ़ाएं

आप जानती हैं कि आपकी बेटी में क्या कमी है या क्या अच्छाई, लेकिन आप चाहें तो उन कमियों को भी अच्छाई में बदल सकती हैं। उदाहरण के लिए आपको मालूम है कि आपकी बेटी अच्छा डांस नहीं करती, लेकिन आप उसे सराहते हुए कहें, ‘बहुत अच्छा… और भी अच्छा कर सकती हो। यकीन मानिए, वह आत्मविश्वास से लबरेज होकर और मेहनत करेगी।

उत्साहित करें

कभी-कभी आपने देखा होगा कि आपकी बेटी इस बात के लिए परेशान रहती है कि उसके दोस्त ने या सहेली ने उसे इग्नोर किया या अपने किसी इवेंट में उसे इनवाइट नहीं किया। उसे प्यार से समझाएं कि इन छोटी-छोटी बातों का जीवन में कोई महत्व नहीं। इसका मतलब अपमान नहीं है।

यदि आपकी बेटी आप से दो शब्द प्रशंसा के सुनना चाहती है तो बुराई क्या है। उसका मनोबल बढ़ाएं। उसको आगे बढ़ने के लिए आपके प्यार की, आपके अपनत्व की जरूरत है। आप उसका सपोर्ट सिस्टम बनें।

सक्षम बनाएं

बेटी को कक्षा या घर के कार्य में निपुण बनाएं। ना कि हर बात में जल्दी से उसकी सहायता के लिए खड़ी हो जाएं। बेटी को समझाएं, यदि पहली बार नाकामयाब रही है तो दूसरी बार जरूर कोशिश करें।

प्रोत्साहित करें

आपकी बेटी जिस भी खेल का प्रशिक्षण लेना चाहती है लेने दें। उसे अपने मनपसंद खेल का चुनाव स्वयं करने दें। चाहे वह जिमनास्टिक करे या फुटबॉल खेले, प्रोत्साहित करें। यह तय न करें कि उसके लिए कौन से खेल सही हैं। वह खुद इसका पता लगा सकती है।

उसकी ताकत बनें

सिर्फ इसलिए कि आपका बच्चा एक लड़की है, इसलिए उसे संघर्ष करना है या वह ऐसे कार्य नहीं कर सकती, जो एक लड़का करता है, गलत सोच है। लड़की को कमजोर ना समझें। आज लड़की किसी भी रूप में कमजोर नहीं है। उसके मन में कोई डर है तो उसे दूर करें और उसकी कमजोरियों को सुधारने पर काम करें। किशोर बच्चे का किसी भी प्रकार का मानसिक शोषण ना करें, जैसे उसका अपमान करना, मजाक बनाना, नीचा दिखाना। ऐसी छोटी-छोटी बातें उन्हें असुरक्षित बनाती हैं और वे ऐसे घर में बंद हो जाती हैं, जिसे तोड़ना बहुत मुश्किल होता है।

बेटी की प्रशंसा करें

यदि आपकी बेटी आप से दो शब्द प्रशंसा के सुनना चाहती है तो बुराई क्या है। उसका मनोबल बढ़ाएं। उसको आगे बढ़ने के लिए आपके प्यार की, आपके अपनत्व की जरूरत है। आप उसका सपोर्ट सिस्टम बनें।

सेक्सिज्म की शिक्षा

लड़कियां जब बड़ी होती हैं तो शारीरिक और मानसिक बदलाव होते हैं। कई बार देखा जाता है कि वे इन बदलावों को समझ नहीं पातीं और दुविधा में रहती हैं, इसलिए उन से इन बदलावों के बारे में बात करें और उन्हें समझाएं? हमारे देश में आज भी कई ऐसे विषय हैं, जिन पर माता-पिता अपनी बेटियों से खुलकर बात नहीं कर पाते हैं या शायद उन मुद्दों पर बात करने में असहज महसूस करते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि स्मार्ट फोन और गूगल के जमाने में अगर आपकी बेटी खुद से उन विषयों के बारे में जानने निकले तो क्या होगा? उसे सेक्स से जुड़ी जानकारी दें।

स्पष्ट सीमाएं रखें

बेटी को ये बातें जानने का मौका दें, उन्हें बताएं कि घर के कौन से काम करे, कब घर पर आए, किन गतिविधियों से दूर रहे। उसके लिए स्पष्ट सीमाएं रखें और उन्हीं पर अड़ी रहें। हो सकता है, आपकी बेटी चुस्ती दिखाए या फिर सीमाओं को लांघने के लिए रास्ता ढूंढ़ने लगे, पर ऐसे वक्त पर आप उससे सख्ती से पेश आएं।

महिला रोल मॉडल

जब आप टीवी पर समाचार देख रही हों या पेपर पढ़ रही हों, अपनी बेटी को दिखाएं और समझाने की कोशिश करें कि आज की महिलाएं सीनेटर, खिलाड़ी, डॉक्टर, एथलीट कुछ भी बन सकती हैं। बेटी को महिलाओं से संबंधित पत्रिकाएं पढ़ने के लिए दीजिए। यह सर्वोत्तम तरीकों में से एक है। यदि आपको ऐसी किसी पुस्तक के बारे में नहीं मालूम तो किसी लाइब्रेरी में जाकर लाइब्रेरियन से पूछें।

दोस्तों के दोस्त बनें

अक्सर यह पाया जाता है कि मां अपनी किशोर हो रही बेटी पर विश्वास नहीं करती, क्योंकि उन्हें ये नहीं पता होता कि वे खाली वक्त कैसे बिताती हैं और किनकी संगत में रहती हैं। ये बात आसानी से सुलझाई जा सकती है। यदि आप अपनी बिटिया को उसके मित्र/सहेलियों को घर बुलाने के लिए अनुमति दें। इसके बहाने आप उसके मित्रों को परख सकेंगी और बेटी को योग्य सलाह दे पाएंगी।

मां को बेटी के लिए आदर्श व उदाहरण बनना होगा, इसलिए अपनी बेटी के साथ बॉस वाला व्यवहार करना ठीक नहीं होगा। वह भी जानती है कि क्या गलत है और क्या सही। केवल उसे कुछ नया करना पसंद होता है। अपनी बेटी को इतनी स्पेस दें कि वह जो भी नया करती है, आपके साथ साझा करे। यह याद रखें कि आप ही हैं इस फूल की माली, जो सही धूप, पानी और छाया देकर उसे सींच सकती हैं।

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