शादी के कुछ साल बाद भी यदि आपकी जिंदगी मंे कोई किलकारी नहीं गूंजी है, तो निराश न हो, आप बच्चा गोद ले लें । बच्चा गोद ले के आप एक अनाथ बेसहारा बालक को माता-पिता का संरक्षण दे देंगे व अपने घर में भी खुशियाॅ ले आयेंगे । अच्छे संस्कारों व परवरिश से कोई भी बच्चा आपका अपना बन सकता है ।
केन्द्रीय महिला और बाल विकास मंत्रालय ने केन्द्रीय दत्तक ग्रहण तथा संसाधन प्राधिकरण बनाया है । दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया के लिए केन्द्रीय दत्तक ग्रहण तथा संसाधन¼C.A.R.A.½ने इण्डियन प्लेसमेन्ट एजेन्सी और फोरेन प्लेसमेन्ट एजेन्सी को अधिकृत किया है ं।
करें शुरूआत-
गोद लेने का निर्णय पति-पत्नी साथ में लें । निर्णय मंे घर के बुजुर्गो को भी शामिल करें । गोद लिया बच्चा लड़का हो या लड़की पहले सोच लेना ही श्रेयस्कर है ।
क्या करें –
अपने शहर किसी मान्यता प्राप्त स्वयंसेवी समन्वय समिति की जानकारी ले । एजेन्सी या शिशु गृह से सम्पर्क करें ।
बच्चा गोद लेने के लिए पात्रता-
कोई भी भारतीय परिवार जो बालक को स्नेह,सुरक्षा तथा परवरिश द सकें दत्तक ग्रहण कर सकता है । वे बच्चे को स्नेहपूर्ण सुरक्षित सुविधा सम्पन्न पारिवारिक संरक्षण प्रदान करने योग्य होने चाहिए ।
हिंदू, सिख,बौद्व,जैन धर्मावलम्बी हिन्दू दत्तक ग्रहण और भरण पोषण अधिनियम, 1956 के अन्तर्गत बच्चा गोद ले सकता है । अन्य धर्म के अनुयायी “अभिभावक एवं संरक्षण अधिनियम” के अन्तर्गत बच्चा गोद ले सकते है ।
बच्चा गोद लेने वाले दंपत्ती की संयुक्त आयु (दोनों की जोड़कर) 90 वर्ष से ज्यादा नहीं होनी चाहिए ।
माता या पिता किसी अकेले के गोद लेने की स्थिति में आयु 45 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए ।
माता पिता और गोद लेने वाले बच्चे की उम्र में कम से कम 21 वर्ष का अन्तर होना चाहए ।
माता-पिता की आय का नियमित और स्थाई स्रोत होना चाहिए ।
माता पिता किसी गम्भीर बीमारी टी बी एड्स हेपेटाईटिस बी एचआई वी आदि से पीड़ित नहीं होने चाहिए है ।
माता पिता के विरूद्व कोई आपराधिक मामला विचाराधीन नहीं होना चाहिए है ।
दिए जाने वाले कागज-
1. वोटर आई डी, पैन कार्ड, पासपोर्ट या ड्राईविंग लाइसेन्स मं से किसी एक की प्रति ।
2. रहने का सुबूत-राशन कार्ड बिजली पानी के बिल
3. शादी का सर्टिफिकेट अथवा फोटो
4. सक्षम अधिकारी से प्रमाणित चिकित्सा प्रमाण पत्र । माता पिता को एच आई वी टी बी हेपेटाईटिस बी से ग्रसित नहीं होना चाहिए ।
5. परिवार की अभी नई खिंची पोस्टकार्ड साईज फोटो
6. दो लोगों के अनुशंसा पत्र जो गोद लेने वालों को जानते हो । यह उनके रिश्तेदार नहीं होने चाहिए ।
7. पिछले तीन वर्षो के इन्कम टैक्स स्टेटमेन्ट
8. स्थायी अस्थाई सम्पत्ति व ऋण की स्थिती दर्शाने वाले कागजात् ।
9. तलाक की या संबंध विच्छेद की डिक्री अगर ऐसी स्थिती रही हो तो ।
10. परिवार के किसी सदस्य से दिया गया शपथ पत्र की माता पिता की मृत्यू की स्थिती में वह बच्चे का ख्याल रखेंगे ।
11. माता पिता दो चरित्र प्रमाण पत्र प्रस्तुत करेंगे । इनमें से एक समाज के प्रतिष्ठित व्यक्ति से तथा दूसरा जन प्रतिनिधि तहसीलदार या जिला कलक्टर से प्रमाणित होगा ।
12. संबंधित राज्य का का मूल निवास प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा । दत्तक ग्रहिता माता पिता के स्वयं के नवीनतम पोस्ट कार्ड साईज फोटो तथा परिवार का फोटोग्राफ प्रस्तुत करना होगा । परिवार में यदि स्वयं के बच्चे है तो उनकी सहमति प्रस्तुत करनी होगी।
प्रक्रिया–
पति-पत्नी को शिशु गृह में जाने के पश्चात् एक फार्म भरना पड़ता है, जिसमें कई जानकारियां देनी पड़ती है । फार्म भर के देने के पश्चात् आपको एक से डेढ़ साल तक इन्तजार करना पड़ सकता है ।
आजकल संस्थाएं अपने शहर में ही बच्चा गोद दे सकती है । कहीं और से चाहने पर उस शहर के समाजकल्याण विभाग द्वारा प्रार्थना पत्र दूसरे शहर की उस संस्था विशेष को अग्रेषित करवाना पड़ता है । दो महीने तक का बच्चा गोद नहीं दिया जा सकता ।
आपको संस्था से काॅल आने पर बच्चा दिखाया जाता है । आपके हां करने पर अन्य कानूनी फारमेलिटीज पूरी करनी पड़ती है ।
बाल कल्याण समिति द्वारा एडाप्शन के लिए मान्य होते ही आप बच्चा गोद ले सकते हैं ।
फौलो अप– गोद दिए बच्चे जब तक फोस्टर केयर मंे होते है समिति उनके बारे में जानकारी लेती रहती है ।
होमस्टडी– गोद दिए जाने के पश्चात् बच्चा फोस्टर केयर में समिति के अधीन ही रहता है । होम स्टडी रिपोर्ट, गोद देने वाली संस्था के द्वारा बनायी जाती है, जिसमें कार्यकत्र्ता फैक्ट्स जाॅचता है ।
आजकल निकटतम थाने से रिपोर्ट ली जाती है जिससे रिपोर्ट आसान हो गई है । माता पिता के विरूद्व कोई आपराधिक मुकदमा दर्ज नहीं होना चाहिए । गोद लेने के पश्चात् न्यायालय में अभिभाषको व बच्चे को बुलाया जाता है । माता पिता व बच्चे यदि बोल सकता है तो उनके बयान होते है ।
कोर्ट की कार्यवाही के पश्चात् एडाप्शन डीड बनती है और रजिस्ट्री होती है । बच्चा कानूनी तौर पे माता पिता हो जाता है ।
विशेष-
अपने शहर की पास की संस्था में रजिस्ट्रेशन करवाएं ।
एड्रेस भली प्रकार लिखें । एप्लीकेशन पर बाद में चेन्ज नहीं हो सकते ।
रजिस्ट्रेशन होने के पश्चात् रजिस्ट्रेशन नम्बर नोट करें । पासवर्ड भी (यदि आन लाईन करवाया हो तो) गलत या अधूरी जानकारी देने पर आपको रजिस्ट्रेशन निरस्त हो सकता है ।
वेरिफिकेशन क वक्त मूल दस्तावेज प्रस्तुत करने पड़ेगें ।
दूसरी बच्चे को गोद तभी ले सकते है जब पहले वाले की कानूनी प्रक्रिया पूरी हो गयी हो ।
अकेले पुरूष को बालिका गोद नहीं दी जा सकती ।
अधिकार व जिम्मेदारी-
अधिकार-
पंजीकरण की तिथी के दो महिने बाद तक अगर कोई जानकारी न मिलें तो एजेन्सी से इसकी वजह पूछे ।
प्री और पोस्ट कांसलिंग एजेन्सी से जरूर लें ।
बच्चा स्वीकार करने से पहले इसकी मेडीकल रिपोर्ट देखें ।
बच्चा लेने की पूरी जानकारी संस्था से अवश्य लें ।
बच्चे से जुड़े मेडिकल खर्चे के प्रमाण पत्र की प्रति लें, वह केवल बच्चे के नाम पर हो ।
जिम्मेदारी-
हर सूचना लिखित में मांगे ।
बच्चा गोद लेने के सभी रिकाॅर्ड्स व पत्र सम्भाल कर रखें ।
पूरी प्रक्रिया के दौरान एजेन्सी या वहाॅ के कार्यकत्र्ताओं के साथ सहयोग बनाये रखें ।
बच्चा गोद लेते वक्त किसी किस्म का कोई भुगतान नहीं करना होता है । सिर्फ कोर्ट का खर्चा एवं वकील की फीस देय होती है ।
भ्रांति और तथ्य-
भ्रांतियां-
सिंगल पेरेन्ट्स बच्चा गोद नहीं ले सकते ।
बच्चा गोद लेने वाले बच्चे का मेडिकल चेकअप नहीं करवा सकते ।
अगर संस्था पहले से करवा चुकी है ।
केवल वहीं बच्चा ले सकते है जिनके कोई ओलाद न हो ।
सच्चाई-
सिंगल पेरेन्ट्स को भी कानूनी हक है बच्चा गोद लेने का ।
अपनी तसल्ली के लिए पेरेन्ट्स अगर चाहे तो बच्चे की जाॅच करवा सकते है । चाहे एजेन्सी में पहले चेकअप करवाया हो ।
किसी तरह की कोई रोक नहीं है जिनके अपने बच्चे होते है वे भी बच्चा गोद ले सकते है ।
तो आप भी बच्चा गोद लीजिए ।खुद के बच्चे की तरह उसे प्यार देखभाल, सुरक्षा, शिक्षा और जीवन भर का सहयोग दें । देखिए कैसे बनती है आपकी जिन्दगी हसीन ।