सुबह-सुबह जब अपने 5 साल के बच्चे को स्कूल छोड़ते वक्त उसके कंधों पर स्कूल  बैग थमाया तो मानो थोड़ी देर के लिए मेरा दिल भी थम गया। मन में एक ख्याल बार-बार आता रहा कि  15 किलो वजन के बच्चे के कंधे पर 6 किलो का बैग ??? …… क्या यही है हमारे देश का भविष्य। अपने से लगभग आधे भार का बैग लटकाकर बस की ओर भागता मेरा बच्चा तो स्कूल चला गया लेकिन मेरी आंखें थोड़ी देर के लिए नम हो गईं। आजकल की प्रतिस्पर्धा भरी ज़िंदगी में पेरेंट्स बच्चों की एजुकेशन को लेकर इतने ज़्यादा कॉन्शियस हो गए हैं कि  कई बार ये भी भूल जाते हैं कि कुछ चीज़ों की वजह से बच्चों का स्वस्थ्य तक दांव में लग जाता है। सुबह भरी भरकम बैग के साथ स्कूल जाते हुए बच्चे कई बार उस बैग के बोझ तले इतना दब जाते हैं कि गंभीर बीमारियों का शिकार हो जाते हैं। आइए आपको बताते हैं कुछ गंभीर समस्याओं के बारे जो स्कूल बैग के भार की वजह से बच्चों के सामने आती हैं ।  
 
  •  स्कूल का भारी बैग उठाने की वजह से बच्चों का वजन 10 प्रतिशत तक कम होता है, जिसका बुरा असर उनकी स्पाइन यानि कि रीढ़ की हड्डी पर पड़ता है। 
  •  भारी बैग होने की वजह से बच्चों को कई स्वास्थ्य संबंधित शिकायतें रहती हैं जैसे  इसमें कंधे और गर्दन में दर्द के अलावा कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं। 
  • बच्चों की हाइट ठीक से नहीं बढ़ पाती। और कई बार वो औसत हाइट तक भी नहीं पहुंच पाते हैं। 
  • ज्यादा लंबे समय तक भारी बैग उठाने की वजह से रीढ़ की हड्डी मुड़ने लगती है और कमर झुक जाती है बच्चों में स्ट्रेस लेवल बढ़ जाता है। 
  • फेफड़ों पर दबाव आने के कारण सांस लेने की क्षमता कम होने लगती है। 
माता-पिता के लिए सुझाव
  • ध्यान से देख लें कि आपका बच्चा स्कूल केवल वही चीजें ले जाए जो उसे उस दिन के लिए जरूरी हों।  
  • बैग को लटकाने के बाद अपने बच्चे का पोश्चर देख लें । अगर बच्चा बैग लटकाकर आगे की ओर झुका हुआ लगे या उसकी कमर झुकी हुई लगे तो बैग का वजन देख लें।  वजन ज्यादा है तो बैग का सामन एक बार देख कर ठीक से अरेंज कर दें।  
  • जब अपने बच्चे के लिए स्कूल बैग खरीदें तो ऐसी डिजाइन वाला खरीदें जिसके शोल्डर स्ट्रैप्स पैड वाले हों जिससे गर्दन और कंधों पर दबाव कम आए।
  • बच्चों में बचपन से ही एक्सरसाइज और योग की आदत डालें ताकि वो शारीरिक रूप से फिट और एक्टिव रहें।
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