अब वो समय नहीं रहा जब पेरेंट्स अपने बच्चों को डॉक्टर इंजीनियर ही बनाना चाहते हैं, अब कोई अपनी बेटी को माधुरी दीक्षित जैसा डांसर बनाना चाहता है तो कोई सचिन जैसा मास्टर ब्लास्टर। आज ग्रहलक्ष्मी के इस एडिशन में हम आपको कुछ ऐसे ही करियर के बारे में बता रहे हैं, जिसकी डिमांड बढ़ी है और जिसमें बच्चों पर दबाव भी कम रहता है़।
डांसिंग- बच्चे अब न सिर्फ पढ़ाई तक सीमित है बल्कि डांस में भी रुचि दिखा रहे हैं। जहां पहले सिर्फ क्लासिकल की डिमांड थी, वहीं अब बच्चे और पेरेंट्स बॉलिवुड, कंटेम्पररी, हिप हॉप, फ्रीस्टाइल जैसे डांस फॉर्म्स भी सीखने में रुचि दिखा रहे हैं। डांस कोरियोग्राफर बताते हैं कि अब पेरेंट्स बच्चों को एक या दो फॉर्म्स तक ही नहीं सीमित रखना चाहते बल्कि उन्हें हर तरह के डांस फॉर्म्स सिखवाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि इसके वजह से छोटे शहर का टैलेंट भी रियलिटी शोज तक पहुँच रहा है।
एक्टिंग- अब जहां बच्चे थोड़े बड़े हुए नहीं, उनमें एक्टिंग के गुर आ जाते हैं। टीवी और फिल्मों में देख कर वो एक्टर्स की नकल उतारने लगते हैं। ये कहना है लखनऊ के थिएटर आर्टिस्ट प्रवीण चंद्रा का जो पिछले दस साल से लखनऊ में अभिनय की क्लास देते आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि पैरेंट्स अपने बच्चों को एक्टिंग सिखाने में बहुत रूचि लेते हैं, ज्यादातर समर वैकेशन्स में पेरेंट्स अपने बच्चों को एक्टिंग स्कूल भेजते हैं।
सिंगिंग- इन दिनों पैरेंट्स बच्चों को सिंगिंग के फील्ड में भी ज्यादा भेज रहे हैं। रियलिटी शोज की बढ़ती टीआरपी देखते अभिभावक अपने बच्चों को सिंगिंग की फील्ड में भेजना चाहते हैं। टीवी के रियलिटी शोज से बच्चों को प्लेटफार्म मिलता है जहां वो अपना टैलेंट दिखा सकते हैं और उन्हें एक्सपोजर मिलता है।
आर्ट एंड क्राफ्ट- अब वो समय नहीं रहा जब आर्ट एंड क्राफ्ट सीखकर बच्चे सिर्फ पेंटर या आर्टिस्ट बनते थे।अब आर्ट एंड क्राफ्ट की ट्रेनिंग लेने के बाद करियर की कई संभावनाएं खुली हैं। आर्ट एंड क्राफ्ट टीचर शिल्पी दुबे कहती हैं कि पेरेंट्स आर्ट एंड क्राफ्ट सिखाने में बहुत रुचि लेते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि इसमें करियर की अच्छी संभावनाएं है। आर्ट एंड क्राफ्ट के बाद डिजाइनिंग, आर्किटेक्चर, ग्राफ़िक एनिमेशन की फील्ड में जा सकते हैं।
कुकिंग: एक वक्त था, जब माता पिता कहते थे कि पढ़ लिख लो वरना जिंदगी भर चूल्हा फूंकना पड़ेगा, लेकिन आज कुकिंग एक अच्छे करियर विकल्प के रूप में सामने आया है, मशहूर मास्टर शेफ पंकज भदौरिया कहती हैं कि कई पैरेंट्स बच्चों को कुकिंग सीखने के लिए भेजते हैं, सीखने के बाद वो आगे चलकर अपना कुकिंग सेंटर खोल लेते हैं और कुछ स्टार्ट अप शुरू कर लेते हैं.
इस तरह से आपने देखा कि किस तरह आज कई तरह के करियर विकल्प सामने आए हैं और इससे बच्चों में तनाव भी कम रहता है और डॉक्टर इंजीनियर बनने की होड़ में बच्चे अपना बचपन भी नहीं खोते..
