Negative Energies Remedy: अवलोकन से ही परिवर्तन आ जाता है। इसी से ही हमारे भीतर जो भी नकारात्मक है वह दूर हो जाता है। हमारी चितवृत्तियों में भी एक लयक्रम है। कभी गौर किया कि हम नई गलतियां नहीं करते। वही पुरानी भूलेें बार-बार दोहराते रहते हैं। मैं तो कहता हूं कि कुछ नई-नई गलतियां करो। देखने योग्य है कि मनोवेगों का ढंग अथवा क्रम एक ही होता है चाहे वस्तु-स्थिति भिन्न हो। मानो एक ही वस्त्र को भिन्न समय पर भिन्न-भिन्न खूटियों पर टांगा गया हो। मनोवेगों की अभिव्यक्ति का ढंग वही होता है यद्यपि उनकी उत्पत्ति के कारण, व्यक्ति, वस्तु, परिस्थिति भिन्न हों।
Also read : वास्तु के हिसाब पौधे लगाकर घर से दूर भगाएं नेगेटिविटी: Spiritual Plants for Home
मनोवेगों के लक्षणों को देख लेना, उनका गुणधर्म और क्रम समझना बहुत महत्त्वपूर्ण है। किसी भी भाव की चरम सीमा पर पहुंचते ही हम उससे पार शून्य अवस्था में उतर जाते हैं। यही शून्य तो आप हो। जैसे आप धरती से ऊपर की ओर किसी भी दिशा में उड़ान भरें, आप अन्तरिक्ष में बादलों के पार पहुंच जाते हैं। किसी भी मनोवेग- चाहे वह क्रोध हो, खुशी हो अथवा भय की पराकाष्ठा आपको आपके आन्तरिक केन्द्र पर पहुंचा देगी।
आजकल सकारात्मक विचारों (सोच) की बड़ी चर्चा है। सकारात्मक विचार अर्थात्ï क्या? मन में कोई नकारात्मक विचार आया और आप उसे बदल कर सकारात्मक विचार लाते हो। विचार चाहे जैसा भी हो वह आ तो गया ही मन में। आपके देखते ही देखते वह जाने की तैयारी भी करने लगा। परन्तु सकारात्मक विचार प्रक्रिया में हम उस बीते हुए विचार को वापस लाकर फिर से उस पर सोच रहे हैं और नकारात्मक विचार के ऊपर बलपूर्वक सकारात्मक विचार ओढ़ाने का प्रयास करते हैं। परन्तु इस प्रकार के प्रयास से नकारात्मक विचार दूर न होकर हमारे अवचेतन की गहराइयों में उतर जाते हैं। फिर इन से भय और द्वन्द्व का जन्म हो जाता है। निवारण के लिए तो यदि हम विचारों को विचारों की भांति, भावों को भावों की भांति और आत्मा को आत्मा की भांति देख पाएं, उनका अवलोकन कर पाएं, तो हम अपने आत्मस्वरूप या अपनी भगवत्ता के दर्शन कर पाएंगे। अवलोकन से ही परिवर्तन आ जाता है। इसी से ही हमारे भीतर जो भी नकारात्मक है वह दूर हो जाता है। और यदि सकारात्मक भावों को देखेंगे, उन पर ध्यान देगें तो वह और बढ़ेंगे। क्रोध का अवलोकन करने से वह घट जाएगा और प्रेम पर ध्यान देने से प्रेम और फै लेगा।
अवलोकन ही एकमात्र और अति उत्तम उपाय है। आप यदि देखें तो पाएंगे कि विचार आते हैं और चले जाते हैं। नकारात्मक विचार किसी तनाव के कारण आते हैं। यदि आप लगातार एक दो दिन तनाव ग्रस्त रहें तो फिर आप और नकारात्मक हो जाएंगे और हताशा भी घेर लेगी। फिर हताश मन से ऐसे विचार उठ ही चुके हैं, उनके उद्ïगम स्थान पर ध्यान दें तो ठीक होगा। यदि अतंस शुद्ध है तो विचार भी शुभ होंगे। यदि अशुभ विचार आ भी गए तो क्या? वे आते हैं और यदि हम देखते रहें तो वे चले जाते हैं।
