नवरात्रि में अखंड ज्योति जलाने का क्या है महत्व? इन बातों का रखें विशेष ध्यान: Navratri 2023 Akhand Jyoti
Navratri 2023 Akhand Jyoti

Navratri 2023 Akhand Jyoti: नवरात्रि का महापर्व 18 अक्टूबर से प्रारंभ होगा और 23 अक्टूबर को समाप्त होगा। मां दुर्गा को समर्पित इस पर्व की शुरुआत कलश स्थापना के साथ होगी औ नौ दिन तक मां आदिशक्ति की उपासना की जाएगी। भक्त नौ दिन तक मां दुर्गा की भक्ति में लीन रहते हैं और उपवास रखते हैं। मान्यता है कि नवरात्रि में मां दुर्गा धरती पर आती हैं और भक्तों का कल्याण करती हैं। जो भी भक्त मां देवी की सच्चे मन से आराधना करता है, उसकी हर मुराद मां शक्ति पूरी करती हैं।

पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि नवरात्रि में मां जगदंबा की विधि विधान से आराधना करनी चाहिए। शास्त्र विधान और पूजा से जुड़े नियमों को ध्यान रखना चाहिए। नवरात्रि में कलश स्थापना का बड़ा महत्व होता है, उसी तरह अखंड ज्यो त जलाने का भी विशेष महत्व होता है। धार्मिक शास्त्रों में अखंड ज्योति से जुड़ी प्रमुख बातें बताई गई हैं। आज हम आपको इस आर्टिकल में नवरात्रि में अखंड ज्यो ति जलाने का महत्व बताएंगे और महत्वपूर्ण बातों की जानकारी देंगे।

नवरात्रि में अखंड ज्योति जलाने का महत्व

Navratri 2023 Akhand Jyoti
Navratri 2023 Akhand Jyoti Importance

पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि साल में दो बार नवरात्रि का पर्व मनाया है। मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए नवरात्रि में भक्त कलश स्थापना, माता की चौकी आदि तैयार करते हैं। माता रानी के इस पर्व में अखंड ज्योति जलाने का विधान है। मान्यता है कि बिना अखंड ज्योति के देवी की उपासना अधूरी मानी जाती है। नवरात्रि में नौ दिन मां दुर्गा की भक्ति की जाती है और अखंड ज्योति जलाते हैं।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, अखंड ज्योति पूरे 9 दिन लगातार जलती रहनी चाहिए। इस दीपक को जलाने रखने का अर्थ मां देवी के प्रति श्रद्धा व्यक्त करना। दीपक प्रकाश व ज्ञान का प्रतीक होता है। अखंड ज्योति से सभी बुरी शक्तियों का नाश होता है। अखंड ज्योति से जीवन का अंधकार भी दूर होता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। जीवन में सुख—समृद्धि व सौभाग्य आता है।

नवरात्रि में अखंड ज्योति जलाने के नियम

Navratri 2023 Akhand Jyoti Rule
Navratri 2023 Akhand Jyoti Rule

शास्त्रों में अखंड ज्योति जलाने के विशेष नियम बताए गए हैं। नवरात्रि के पूरे नौ दिन तक अखंड ज्योति जलती रहनी चाहिए। अखंड ज्योति में गाय का शुद्ध देसी डालने से जीवन में सुख—समृद्धि व शांति आती है। वहीं, शनि का कुप्रभाव दूर करने के लिए अखंड ज्योति में तिल के तेल का प्रयोग किया जाता है। इस बात का ध्यान रखें कि अखंड ज्योति की लौ बायीं से दायीं तरफ हों।

अखंड ज्योति से कोई दूसरा दीपक नहीं जलाना चाहिए। ना ही बार बार अखंड ज्योति बदलनी चाहिए। अखंड ज्योति जलाते समय ओम जयंती मंगला काली भद्रकाली कृपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु‍ते के मंत्र का जाप करना चाहिए। इससे मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और परिवार पर अपनी कृपा बनाए रखती हैं।

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