नवरात्रि के दिनों में भक्त मां दुर्गा का सप्तशती का पाठ करते हैं। आपको बता दें कि दुर्गा सप्तशती का पाठ करने का संकल्प लिया जाता है। फिर इस संकल्प को पूरी श्रद्धा और भक्ती के साथ पूर्ण किया जाता है। दुर्गा सप्तशती क्या है तो हम आपकी जानकारी के लिए बता दें कि दुर्गा सप्तशती एक ग्रंथ है। इस ग्रंथ में 700 श्लोक हैं और इसे 3 भागों में बाटां गया है। आज हम आपके बता दें कि आखिर नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का कैसे और क्यों पढ़ना चाहिए। तो चलिए जानते हैं…

दुर्गा सप्तशती का महत्व क्यों हैं आखिर:

नवरात्रि में दुर्गासप्तशती का पाठ करना अनन्त पुण्य फलदायक माना गया है। ‘दुर्गासप्तशती’ के पाठ के बिना मां दुर्गा की अराधना अूधरी मानी जाती है। आपको बता दें कि ये ग्रंथ मनुष्य जाति की रक्षा के लिए है और जो व्यक्ति इसका पाठ करता है वह संसार में सुख भोग कर अन्त समय के लिए बैकुंठ में जाता है। दुर्गासप्तशती का अनुसरण हर वेद पुराण में किया गया है। इसलिए भक्तों को मां दुर्गा को खुश करने के लिए नवरात्रि के समय उनके नौ रूपों की उपासना के साथ ही दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहए। आपको बता दें कि इसे मां चंडी पाठ भी कहा जाता है। हिन्दु धर्म की मान्यतानुसार दुर्गा सप्तशती में कुल 700 श्लोक हैं जिनकी रचना स्वयं ब्रह्मा, विश्वामित्र और ऋषि वशिष्ठ द्वारा की गई है। इन 700 श्लोकों की वजह से ही इस ग्रंथ का नाम दुर्गा सप्तशती है।
 

 इसके फायदे:

दुर्गा सप्तशती एक बेहद शक्तिशाली ग्रंथ है। यदि आप इसे पूरे नियम और कायदे के साथ संकल्प लेकर करती हैं तो आपको इसका फल निश्चित तौर पर मिलेगा। इसमें 700 श्लोक हैं और इन सभी श्लोकों को अलग-अलग जरूरतों के हिसाब से रचा गया है। इसमें 90 श्लोक अंर्गत मारण क्रिया, 90 श्लोक सम्मोहन क्रिया और 200 श्लोक उच्चाटन क्रिया के लिए हैं। स्तंभ क्रिया के लिए 200 श्लोक हैं और 60-60 ग्रंथ विद्वेषण क्रिया के लिए हैं। आपको बता दें कि इस ग्रंथ को शुद्ध मन से ही पढ़ना चाहिए। वहीं यदि आप ऐसा नहीं कर पा रही है तो इसका जाप न करें। 
 

कैसे करें पाठ:

दुर्गा सप्तशती का पाठ करने के लिए सर्वप्रथम मां दुर्गा का सच्चे मन से संकल्प लेना चाहिए कि आप इस पाठ को कितने दिन में पूरा कर सकेगें। इसके लिए आपको कलश स्थापना करनी होगी। सबसे पहले आपको एक मिट्टी का कलश लेना होगा और उसे मिट्टी की वेदी पर रखना होगा। इसके साथ ही अपको उस कलश में जौ बो कर उस कलश पर रखना होगा। इसके बाद आपको रोज दुर्गा सप्तशती का पाठ करना होगा और जिस गति और आकार-प्रकार से जौ बढ़ेंगे उसी से पता चलेगा कि देवी दुर्गा आपसे कितना प्रसन्न हुई हैं। वहीं जिस दिन आपका यह पाठ पूरा होता है उस दिन आपको देवी जी से अपनी मनोकामना पूर्ण करने की प्रार्थना करनी चाहिए। 

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